Class 07 || Science H || Ch. 05 अम्ल क्षार और लवण
प्रश्न - अम्ल किसे कहते हैं उदाहरण देकर समझाइए ?
उत्तर - वे पदार्थ जो स्वाद में खट्टे होते हैं तथा नीले लिटमस पेपर को लाल कर देते हैं आम्ल कहलाते हैं। जैसे दही, नींबू का रस, संतरे का रस सिरका आदि।
जिन पदार्थों में अम्ल पाए जाते हैं वे अम्लीय पदार्थ कहलाते हैं। दही, नींबू का रस, संतरे का रस, सिरका खादी अम्लीय पदार्थ हैं।
प्रश्न - क्षारक किसे कहते हैं उदाहरण देकर समझाइए
उत्तर - वह पदार्थ जो स्वाद में कड़वा होते हैं और स्पर्श करने पर साबुन जैसे लगते हैं तथा लाल लिटमस पेपर को नीला कर देते हैं । क्षारक कहलाते हैं । जैसे खाने का सोडा।
जिन पदार्थों में क्षार पाए जाते हैं वे क्षारीय पदार्थ कहलाते हैं। खाने का सोडा और साबुन आदि क्षारीय पदार्थ हैं।
प्रश्न - सूचक किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर - वह पदार्थ जो अम्लीय या क्षारीय पदार्थों के परीक्षण के लिए प्रयोग किए जाते हैं । सूचक कहलाते हैं सूचक दो प्रकार के होते हैं प्राकृतिक सूचक और संश्लेषित सूचक।
प्राकृतिक सूचक - वे सूचक जो हमें प्रकृति से सीधे ही प्राप्त होते हैं प्राकृतिक सूचक कहलाते हैं जैसे लिटमस पेपर हल्दी पाउडर आदि
संश्लेषित सूचक - वे सूचक जो रासायनिक रूप से तैयार की जाते हैं संश्लेषित सूचक कहलाते हैं जैसे फिनाॅल्फथेलिन।
प्रश्न - उदासीनीकरण क्रिया क्या है उदाहरण देकर समझाइए
उत्तर - किसी अमल और किसी क्षारक के बीच होने वाली अभिक्रिया उदासीनीकरण क्रिया कहलाती है क्योंकि यह एक दूसरे की गुणों को नष्ट करके लवण और जल का निर्माण करती हैं। इस प्रकरण में उस्मा भी निकलती है ।
जैसे अम्ल + क्षारक = लवण + जल
प्रश्न :- प्राकृतिक सूचक लिटमस कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर - सबसे सामान्य रूप से उपयोग में आने वाला प्राकृतिक सूचक लिटमस है जुलाई के नाम के पौधे से प्राप्त किया जाता है।
आसुत जल मैं इसका रंग माॅव (नील शोण) होता है। यह अम्लीय प्रकृति में लाल और क्षारीय प्रकृति में नीला हो जाता है।
प्रश्न - हल्दी किस प्रकार एक सूचक के रूप में उपयोग की जाती है?
उत्तर - हल्दी के पेस्ट में ऐसा ही शौक था अर्थात ब्लिटिंग पेपर डालकर या फिल्टर पेपर डालकर हल्दी पत्र बना लेते हैं। यह क्षारीय माध्यम में लाल हो जाती है।
प्रश्न - गुड़हल के पुष्प को किस प्रकार सूचक के रूप में इस्तेमाल करेंगे?
उत्तर - गुड़हल के पुष्प की पंखुड़ियां एकत्रित कर उसे गर्म जल में डाल कर रंगीन जलीय विलियन प्राप्त कर लेते हैं । जो हल्के गुलाबी रंग का होता है।
जब गुड़हल के पुष्प का सूचक के रूप में उपयोग किया जाता है तो यह अम्लीय विलयन बिलियन को गहरा गुलाबी या मैजेंटा कलर में क्षारीय विलयन को हरे रंग में बदल देता है।
प्रश्न दैनिक जीवन में उदासीनीकरण के उदाहरण दीजिए।
उत्तर -
1. अपाचन का उपचार
अपाचन के समय में अमाशय में बने हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिल्क ऑफ मैग्नीशिया के मैग्निशियम ऑक्साइड के द्वारा उदासीन किया जाता है।
2. चींटी के काटने का उपचार
चींटी काटते समय त्वचा के अंदर अम्ल डाल देती है । जिससे जलन होती है । इस जलन के प्रभाव को कम करने के लिए नमी युक्त खाने का सोडा (सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट) अथवा कैलेमाइन विलियन मलने पर उदासीन जिंक कार्बोनेट बनता है। जिससे जलन कम होती है।
3. अम्लीय या क्षारीय मृदा का उपचार
खेतों में रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग मृदा को अम्लीय बना देता है । यदि मृदा अत्यधिक आम्लिय है तो उसे बिना बुझे चूने (कैल्शियम ऑक्साइड) अथवा बुझे हुए चूने (कैल्शियम हाइड्रोक्साइड) से उपचारित करके उदासीन किया जाता है।
यदि मृदा क्षारीय हो जाती है तो उस में जैव पदार्थ जैसे कंपोस्ट खाद आदि मिलाते हैं । जो मृदा में अम्ल छोड़ते हैं और उसकी क्षारीय प्रकृति को उदासीन कर देते हैं।
प्रश्न प्रति अम्ल किसे कहते हैं किसी एक का नाम बताइए?
उत्तर वे पदार्थ जो अपाचन से मुक्ति दिलाते हैं प्रति अम्ल कहलाते हैं दूधिया मैग्नीशियम या मिल्क ऑफ मैग्नीशिया और खाने का सोडा प्रति अम्ल है जो पेट की अमृता के प्रभाव को उदासीन कर आराम दिलाते हैं।
प्रश्न - कारखानों के अपशिष्ट को सीधे ही नदिया में क्यों नहीं छोड़ा जाता ?
उत्तर - कारखानों के अपशिष्ट अर्थात कचरे में अम्लीय पदार्थ मिले होते हैं । जो जलाशय या नदियों के पानी को भी अम्लिय बना देते हैं । जिससे उसमें रहने वाले जीव नष्ट हो सकते हैं ।
इसी कारण कारखानों के अपशिष्ट को जलाशय या नदियों में विसर्जित करने से पहले उसके उसमें क्षारीय पदार्थ मिलाकर उन्हें उदासीन किया जाता है।
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