विशेषण क्या होता है :-
जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उसे विशेषण कहते हैं। अथार्त जो शब्द गुण , दोष , भाव , संख्या , परिणाम आदि से संबंधित विशेषता का बोध कराते हैं उसे विशेषण कहते हैं। विशेषण को सार्थक शब्दों के आठ भेदों में से एक माना जाता है। यह एक विकारी शब्द होता है। जो शब्द विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं। जब विशेषण रहित संज्ञा में जिस वस्तु का बोध होता है विशेषण लगने के बाद उसका अर्थ सिमित हो जाता है।
जैसे :- बड़ा , काला , लम्बा , दयालु , भारी , सुंदर , कायर , टेढ़ा – मेढ़ा , एक , दो , वीर पुरुष , गोरा , अच्छा , बुरा , मीठा , खट्टा आदि।
विशेषण के उदाहरण :-
(i) आसमान का रंग नीला है।
(ii) मोहन एक अच्छा लड़का है।
(iii) टोकरी में मीठे संतरे हैं।
(iv) रीता सुंदर है।
(v) कौआ काला होता है।
(vi) यह लड़का बहुत बुद्धिमान है।
(vii) कुछ दूध ले आओ।
(viii) पांच किलो दूध मोहन को दे दो।
(ix) यह रास्ता लम्बा है।
(x) खीरा कडवा है।
(xi) यह भूरी गाय है।
(xii) सुनीता सुंदर लडकी है।
विशेष्य क्या होता है :- जिसकी विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं अथार्त जिस संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य को विशेषण के पहले या बाद में भी लिखा जा सकता है।
जैसे :- विद्वान् अध्यापक , सुंदर गीता , थोडा सा जल लाओ , खीरा कडवा है , सेब मीठा , आसमान नीला है , मोहन अच्छा लड़का है , सुंदर फूल ,काला घोडा , उजली गाय मैदान में खड़ी है आदि।
प्रविशेषण क्या होता है :- जिन शब्दों से विशेषण की विशेषता का पता चलता है उन्हें प्रविशेष्ण कहते हैं।
जैसे :- यह आम बहुत मीठा है , यह लडकी बहुत अच्छी है , मोहित बहुत चालाक है।
उद्देश्य विशेषण किसे कहते हैं :- विशेष्य से पहले जो विशेषण लगते हैं उन्हें उद्देश्य विशेषण कहते हैं।
जैसे :- सुंदर लडकी , अच्छा लड़का , काला घोडा आदि।
विधेय विशेषण किसे कहते हैं :- जो विशेष्य संज्ञा और सर्वनाम आदि के बाद प्रयुक्त होते हैं उसे विधेय कहते हैं।
जैसे :- ये सेब मीठे हैं , वह लडकी सुंदर है आदि।
विशेषण के भेद :-
(क) गुणवाचक विशेषण
(ख) परिणामवाचक विशेषण
(ग) संख्यावाचक विशेषण
(घ) सार्वनामिक विशेषण
(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण
(च) प्रश्नवाचक विशेषण
(छ) तुलनाबोधक विशेषण
(ज) संबंधवाचक विशेषण
(क) गुणवाचक विशेषण :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण के रूप की विशेषता बताते हैं उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- कालिदास विद्वान् व्यक्ति थे , वह लम्बा पेड़ है , उसने सफेद कमीज पहनी है , मंजू का घर पुराना है , यह ताजा फल है , पुराने फर्नीचर को बेच दो।
गुणवाचक विशेषण के कुछ रूपों के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
रूप = उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(1) गुणबोधक = सुंदर , बलवान , विद्वान् , भला , उचित , अच्छा , ईमानदार , सरल , विनम्र , बुद्धिमानी , सच्चा , दानी , न्यायी , सीधा , शान्त आदि।
(2) दोष बोधक = बुरा , लालची , दुष्ट , अनुचित , झूठा , क्रूर , कठोर , घमंडी , बेईमान , पापी आदि।
(3) रंगबोधक = लाल , पीला , सफेद ,नीला , हरा , काला , बैंगनी , सुनहरा , चमकीला , धुंधला , फीका आदि।
(4) अवस्थाबोधक = लम्बा , पतला , अस्वस्थ ,दुबला , मोटा , भारी , पिघला , गाढ़ा , गीला , सूखा , घना , गरीब , उद्यमी , पालतू , रोगी , स्वस्थ , कमजोर , हल्का , बूढ़ा , अमीर आदि।
(5) स्वादबोधक = खट्टा ,मीठा , नमकीन , कडवा , तीखा , सुगंधित आदि।
(6) आकारबोधक = गोल , चौकोर , सुडौल , समान , पीला , सुंदर , नुकीला , लम्बा , चौड़ा , सीधा , तिरछा , बड़ा , छोटा , चपटा ,ऊँचा , मोटा , पतला , पोला आदि।
(7) स्थानबोधक = उजाड़ , चौरस , भीतरी , बाहरी , उपरी , सतही , पुरबी , पछियाँ , दायाँ , बायाँ , स्थानीय , देशीय , क्षेत्रीय , असमी , पंजाबी , अमेरिकी , भारतीय , विदेशी , ग्रामीण , जापानी आदि।
(8) कालबोधक = नया , पुराना , ताजा , भूत , वर्तमान , भविष्य , प्राचीन , अगला , पिछला , मौसमी , आगामी , टिकाऊ , नवीन , सायंकालीन , आधुनिक , वार्षिक , मासिक , अगला , पिछला , दोपहर , संध्या , सवेरा आदि।
(9) दिशाबोधक = निचला , उपरी , उत्तरी , पूर्वी , दक्षिणी , पश्चिमी आदि।
(10) स्पर्शबोधक = मुलायम , सख्त , ठंडा , गर्म , कोमल , खुरदरा आदि।
(11) भावबोधक = अच्छा , बुरा , कायर , वीर , डरपोक आदि।
(ख) परिणामवाचक विशेषण :– परिणाम का अर्थ होता है – मात्रा। जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा या नाप – तौल के परिणाम की विशेषता बताएं उसे परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- चार किलो दूध , थोडा रुपया , एक किलो घी , कम लोग , थोडा आटा , चार किलो चावल , कम तेल , सेर भर दूध , तोला भर सोना , कुछ पानी , सब धन , मुझे थोड़ी चाय दीजिये आदि।
परिणामवाचक विशेषण के भेद :-
1. निश्चित परिणामवाचक विशेषण
2. अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण
1. निश्चित परिणामवाचक विशेषण :– जहाँ पर वस्तु की नाप तौल का निश्चित ज्ञान होता है उसे निश्चित परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- पांच लिटर घी , दस किलो आलू , सवा दो मीटर कपड़ा , दस हाथ की जगह , चार गज मलमल , चार किलो चावल , एक लीटर पानी , दस किलोमीटर , दस किलो गेंहूँ , एक एकड़ जमीन आदि।
2. अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण :- जहाँ पर वस्तु की नाप -तौल का निश्चित ज्ञान न हो उसे अनिश्चित परिणामवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- थोडा पानी , कुछ आटा , मेले में बहुत आदमी है , बहुत दूध , थोडा धन , कुछ आम , थोडा नमकीन , बहुत चिड़िया , कुछ दाल , ढेर सारा पैसा , वहाँ कोई था , बहुत मिठाई , बहुत घी , थोड़ी चीनी आदि।
(ग) संख्यावाचक विशेषण :- संख्या की विशेषता का बोध कराने वाले शब्दों को संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। अथार्त जिन संज्ञा और सर्वनाम शब्दों से प्राणी , व्यक्ति , वस्तु की संख्या की विशेषता का पता चले उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- एक ,दो , द्वितीय , दुगुना , चौगुना , पाँचों , दस ,अनेक , कई , चार , कुछ , सात , पाँच , तीन , बीस , तीसरा , तृतीय आदि।
उदाहरण :- (i) मन्दिर में दो पुजारी हैं।
(ii) अभिषेक दौड़ में प्रथम आया।
(iii) इस घर में सत्रह लोग रहते हैं।
(iv) मुझे एक पुस्तक दे दो।
(v) मंजू के चार मित्र हैं।
(vi) कुछ लोग वहाँ पर हैं।
संख्यावाचक विशेषण के भेद :-
1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
3. विभागबोधक संख्यावाचक विशेषण
1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिन संज्ञा , सर्वनाम शब्दों से किसी प्राणी , व्यक्ति , वस्तु आदि की संख्या का निश्चित ज्ञान हो उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- चार कलम , दो लोग , पहला लड़का , तीस साल , दस किताब , चार मित्र ,दसवाँ भाग , तीन कलम , चार किताब , पाँच केले , चार वृक्ष , तीन कलम , एक , दो , तीन , आठ गाय , एक दर्जन पेंसिल , पाँच बालक , दस आम आदि।
उदाहरण :- (i) दो पुस्तक मेरे लिए ले आना।
(ii) मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
(iii) डाली पर दो चिड़िया बैठी हैं।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के प्रकार :-
1. पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
2. अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
3. क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
4. आवृतिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
5. समुदायवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
6. प्रत्येकबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
7. समुच्चवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण
1. पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिन शब्दों से संख्या की पूर्ण विशेषता का पता चले उसे पूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इन्हें गणनावाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी कहते हैं।
जैसे :- एक , दो , तीन , दस लडके , एक पाव चावल , एक , दो , तीन आदि।
उदाहरण :- (i) एक लड़का स्कूल जा रहा है।
(ii) चार आम लाओ।
(iii)पच्चीस रूपए दो।
2. अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्या की पूर्ण विशेषता का पता न चले उसे अपूर्णसंख्याबोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- आधा (1/2) , पोन (3/4) , पाव (1/4) , सवा आदि।
3. क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्या के क्रम में आने का पता चले उसे क्रमवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- पहला , दूसरा , तीसरा , सातवाँ , आठवाँ , चतुर्थ आदि।
(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण :-
उदाहरण :-(i) पहले लड़के यहाँ आओ।
(ii) राम कक्षा में प्रथम रहा।
(iii) वह दो लडके हैं।
(iv) राम तृतीय आया।
(v) राम कक्षा में प्रथम रहा।
4. आवृतिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्या की आवृति का पता चले उसे आवृतिवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- दूना , तिगुना , चौगुना , दुगुना ,पांच गुना आदि।
उदाहरण :- (i) मोहन तुमसे चौगुना काम करता है।
(ii) गोपाल तुमसे दुगुना मोटा है।
(iii) राम तिगुना वजन उठा सकता है।
5. समुदायवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों से संख्याओं में समूह या समुदाय का पता चले उसे समुदायवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- दर्जन , चालीसा , बत्तीसी , तीनों लोक , चारों घर , पाँचों भाई , दोनों , तीनों , चारों आदि।
6. प्रत्येक बोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों के प्रयोग से संख्या के हर एक का पता चले उसे प्रत्येक बोधक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- हर , प्रत्येक , हर एक , एक-एक , दो-दो , सवा-सवा आदि।
7. समुच्चवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण :-
जिन शब्दों के प्रयोग से समुच्च संख्या का पता चले उसे समुच्चवाचक निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- दर्जन , जोड़ी , सतसई , शताब्दी आदि।
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जिन शब्दों से संज्ञा और सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध न हो उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- सब , कुछ , कई , थोडा , सैंकड़ों , अनेक , चंद , अनगिनत , हजारों आदि।
उदाहरण :-(i) कुछ बच्चे पार्क में खेल रहे हैं।
(ii) थोडा सा खाना ले आओ।
(iii) कुछ फल खाने से मेरी भूख मिट गई।
(iv) कुछ देर बाद हम चले गये।
3. विभागबोधक संख्यावाचक विशेषण :- जिन शब्दों से संख्या में विभाग का होना पाया जाये उसे विभाग बोधक संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- चार-चार लोग , दस-दस हाथी , प्रत्येक नागरिक आदि।
(घ) सार्वनामिक विशेषण :- जो सर्वनाम संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता की ओर संकेत करते हैं उन्हें सार्वनामिक विशेषण भी कहते हैं अथार्त जो सर्वनाम संज्ञा से पहले लगकर संज्ञा की विशेषता की तरफ संकेत करें उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। इन्हें निर्देशक भी कहते हैं।
जैसे :- मेरी पुस्तक , कोई बालक , किसी का महल , वह लड़का , वह बालक , वह पुस्तक , वह आदमी , वह लडकी आदि।
सार्वनामिक विशेषण के भेद :-
1. संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण
2. अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण
3. प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण
4. संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण
5. मौलिक सार्वनामिक विशेषण
6. यौगिक सार्वनामिक विशेषण
1. संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जब यह , वह , इस , उस आदि शब्द संज्ञा के शब्दों की विशेषता बताते हैं उसे संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। इसे निश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण भी कहते हैं।
जैसे :- (i) उस कुर्सी को यहाँ लाओ।
(ii) क्या यह कलम तुम्हारी है।
(iii) उस पेन को यहाँ रख दो।
(iv) वे लडके सब जानते हैं।
2. अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जहाँ पर कोई और कुछ जैसे शब्द अनिश्चयवाचक के रूप में आते हैं उसे अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- (i) कोई लडकी बाहर खड़ी है।
(ii) घर में खाने को कुछ चीज नहीं है।
(iii) कोई कवि आया है।
(iv) कुछ मित्र मेरे घर आने वाले हैं।
3. प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जहाँ पर कौन , क्या , किस , कैसे जैसे शब्दों के रूप में आते हैं उसे प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- (i) तुम क्या चाहते हो।
(ii) कौन जा रहा है।
(iii) किस आदमी से बात कर रहे हो।
(iv) तुम्हे क्या मिला है।
4. संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण :-
जहाँ पर मेरा , हमारा , तेरा , तुम्हारा , इसका , उसका , जिसका , उनका जैसे शब्द के रूप में सर्वनाम संज्ञा शब्दों की विशेषता बताता है उसे संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- (i) तुम्हारा सूंट सिल गया है।
(ii) मेरा भाई घर पहुंच गया है।
(iii) मेरा नाम राधा है।
(iv) वह आदि मुझे जानता है।
5. मौलिक सार्वनामिक विशेषण :-
जो शब्द अपने मूल रूप में संज्ञा के आगे लगकर संज्ञा की विशेषता बताते है उसे मौखिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- यह घर , वह लड़का , कोई नौकर , यह लडकी , कुछ काम आदि।
6. यौगिक सार्वनामिक विशेषण :-
जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं। सर्वनाम का रूपांतरित रूप जो संज्ञा की विशेषता बताता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- ऐसा आदमी , कैसा घर , जैसा देश , उतना काम आदि।
(ड) व्यक्तिवाचक विशेषण :- जो शब्द विशेषण शब्दों की रचना करते हैं और व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने होते हैं उसेव्यक्तिवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- इलाहबाद से इलाहाबादी , जयपुर से जयपुरी , बनारस से बनारसी , लखनऊ से लखनवी आदि।
(च) प्रश्नवाचक विशेषण :- जिन शब्दों की वजह से संज्ञा या सर्वनाम के बारे में जानने के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं उसे प्रश्नवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- कौन सी पुस्तक है , कौन आदि आया था , वह क्या है ? आदि।
(छ) तुलना बोधक विशेषण :- विशेषण शब्द किसी भी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। लेकिन विशेषता बताई जाने वाली वस्तुओं के गुण , दोष कम या ज्यादा होते हैं। जब गुणों और दोषों की तुलना की जाती है तबी उनके कम या ज्यादा होने का पता चलता है। इसी ढंग को तुलनात्मक विशेषण कहते हैं।
तुलना बोधक विशेषण की अवस्था :-
1. मूलावस्था
2. उत्तरावस्था
3. उत्तमावस्था
1. मूलावस्था :- जब किसी व्यक्ति के गुण दोष बताने के लिए विशेषण का प्रयोग किया जाता है उसे मूलावस्था कहते हैं। इसमें किसी भी वस्तु या व्यक्ति की तुलना नहीं की जाती है।
जैसे :- सुंदर , कुरूप , अच्छा , बुरा , बहादुर , कायर ,
उदाहरण :- (i) कमल सुंदर फूल है।
(ii) राम मोहन से अधिक समझदार है।
(iii) सूर्य तेजस्वी है।
(iv) सुरेश अच्छा लड़का है।
2. उत्तरावस्था :- जब दो व्यक्तियों या वस्तुओं के गुणों दोषों की तुलना आपस में की जाती है तथा उसमें से एक को श्रेष्ठ माना जाता है उसे उत्तरावस्था कहते हैं।
जैसे :- (i) रविन्द्र चेतन से अधिक बुद्धिमान है।
(ii) सविता रमा से अधिक सुंदर है।
(iii)रघु मधु से बहुत चालाक है।
(iv) वह तुम से सबसे अच्छी लडकी है।
3. उत्तमावस्था :- जो विशेष्य अन्य विशेष्यों की तुलना में सिर्फ एक को अधिक गुणवान बताता है और दूसरे को दोषी उसे उत्तमावस्था कहते हैं।
जैसे :- (i) तुम सबसे सुंदर हो।
(ii) वह सबसे अच्छी लडकी है।
(iii) पंजाब में अधिकतम अन्न होता है।
(iv) संदीप निकृष्टतम बालक है।
तुलना बोधक विशेषण के उदाहरण इस प्रकार है :-
मूलावस्था = उत्तरावस्था = उत्तमावस्था के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(1) अच्छी = अधिक अच्छी = सबसे अच्छी
(2) चतुर = अधिक चतुर = सबसे अधिक चतुर
(3) बुद्धिमान = अधिक बुद्धिमान = सबसे अधिक बुद्धिमान
(4) बलवान = अधिक बलवान = सबसे अधिक बलवान
(5) उच्च = उच्चतर = उच्चतम
(6) कठोर = कठोरतर = कठोरतम
(7) गुरु = गुरुतर = गुरुतम
(8) महान = महानतर,महत्तर = महानतम,महत्तम
(9) न्यून = न्यूनतर = न्यनूतम
(10) लघु = लघुतर = लघुतम
(11) तीव्र = तीव्रतर = तीव्रतम
(12) विशाल = विशालतर = विशालतम
(13) उत्कृष्ट = उत्कृष्टर = उत्कृटतम
(14) सुंदर = सुंदरतर = सुंदरतम
(15) मधुर = मधुरतर = मधुतरतम
(16) अधिक = अधिकतर = अधिकतम
(17) वृहत् = वृहत्तर = वृहत्तम
(18) कोमल = कोमलतर = कोमलतम
(19) प्रिय = प्रियतर = प्रियतम
(20) निम्न = निम्नतर = निम्नतम
(21) शुभ्र = शुभ्रतर = शुभ्रतम
(22) निकृष्ट = निकृष्टतर = निकृष्टतम
(23) प्रिय = प्रियतर = प्रियतम
(24) महत् = महत्तर = महत्तम
(ज) संबंधवाचक विशेषण :- जिन शब्दों से एक वस्तु की विशेषता का संबंध दूसरी वस्तु से बताया जाये उसे संबंध वाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे :- दयामय , बाहरी , गला आदि।
विशेषण शब्दों की रचना :-
(1) संज्ञा से विशेषण बनाना :-
संज्ञा + प्रत्यय = उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) अंश , धर्म , अलंकार , नीति , अर्थ , दिन , इतिहास , देव + इक = आंशिक , धार्मिक , अलंकारिक , नैतिक , आर्थिक , दैनिक , ऐतिहासिक , दैविक आदि।
(ii) अंक , कुसुम , सुरभि , ध्वनि , क्षुधा , तरंग + इत = अंकित , कुसुमित , सुरभित , ध्वनित , क्षुधित , तरंगित आदि।
(iii) जटा , पंक , फेन , उर्मी + इल = जटिल , पंकिल , फेनिल , उर्मिल आदि।
(iv) स्वर्ण , रक्त + इम = स्वर्णिम , रक्तिम आदि।
(v) रोग , भोग + ई = रोगी , भोगी आदि।
(vi) कुल + ईन = कुलीन आदि।
(vii) ग्राम + ईण = ग्रामीण आदि।
(viii) आत्मा , जाति + ईय = आत्मीय , जातीय आदि।
(ix) श्रद्धा , ईर्ष्या + आलू = श्रद्धालु , ईर्ष्यालु आदि।
(x) मनस , तपस + वी = मनस्वी , तपस्वी आदि।
(xi) सुख , दुःख + मय = सुखमय , दुखमय आदि।
(xii) रूप , गुण + वान = रूपवान , गुणवान आदि।
(xiii) गुण , पुत्र + वती = गुणवती , पुत्रवती आदि।
(xiv) बुद्धि , श्री + मान = बुद्धिमान , श्रीमान आदि।
(xv) श्री , बुद्धि + मति = श्रीमती , बुद्धिमती आदि।
(xvi) धर्म , कर्म +रत = धर्मरत , कर्मरत आदि।
(xvii) समीप , देह + स्थ = समीपस्थ , देहस्थ आदि।
(xviii) धर्म , कर्म + निष्ठ = धर्मनिष्ठ , कर्मनिष्ठ आदि।
सर्वनाम से विशेषण बनाना :-
सर्वनाम = विशेषण के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) वह = वैसा
(ii) यह = ऐसा
(iii) अलंकार = अलंकारिक आदि।
क्रिया से विशेषण बनाना :-
क्रिया = विशेषण के उदाहरण इस प्रकार हैं :-
(i) पत = पतित
(ii) पूज = पूजनीय
(iii) पठ = पठित
(iv) वंद = वन्दनीय
(v) भागना = भागने वाला
(vi) पालना = पालने वाला आदि।
विशेषणों के निम्नलिखित उदाहरण इस प्रकार हैं :-
विशेष्य = विशेषण के उदाहरण इस तरह से हैं :-
1. अंक = अंकित
2. अग्नि = आग्नेय
3. अर्थ = आर्थिक
4. अधिकार = अधिकारिक
5. अंचल = आंचलिक
6. अपेक्षा = अपेक्षित
7. अध्यात्म = आध्यात्मिक
8. अनुवाद = अनुदित
9. अनुशासन = अनुशासित
10. अपमान = अपमानित
11. अभ्यास = अभ्यस्त
12. अवरोध = अवरुद्ध
13. आदर = आदरणीय
14. आराधना = आराध्य
15. आधार = आधारित
16. आत्मा = आत्मिक
17. आरम्भ = आरम्भिक
18. उत्तेजना = उत्तेजित
19. ऋण = ऋणी
20. एकता = एक आदि।
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