2.0 शब्द विचार (शब्दों के प्रकार)
शब्द विचार – एक
या अधिक वर्णों से बनी हुई स्वतंत्र व सार्थक ध्वनि 'शब्द'
कहलाता
है।
जैसे- एक वर्ण से निर्मित शब्द-
न (नहीं)
व (और)
अनेक वर्णों से निर्मित शब्द- नर, नार, आम,
सिंह,
कमल,
प्रासाद,
सर्वव्यापी,
परमात्मा।
शब्द-भेद
शब्दों का भेद विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है।
यहां हम शब्द भेद उनकी व्युत्पत्ति या बनावट तथा उनके उत्पन्न
होने के आधार पर कर रहे हैं।
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द-भेद-
व्युत्पत्ति (बनावट) के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद
हैं-
1. रूढ़
2. यौगिक
3. योगरूढ़
1. रूढ़ -
वे मूल शब्द जो अपना स्वतंत्र और विशेष अर्थ रखते हैं । जिनको विच्छेदित नहीं किया जा सकता
अर्थात जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ नहीं होता, वे रूढ़ शब्द
कहलाते हैं। जैसे-कर, पर।
इनमें कर = क, र तथा
पर = प, र का टुकड़े करने पर कुछ अर्थ नहीं हैं।
अतः ये अक्षर निरर्थक हैं।
2. यौगिक - जो शब्द कई सार्थक शब्दों के संयोग से
बनते हैं उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। जैसे-
विद्यालय = विद्या + आलय
हिमालय = हिम + आलय,
देवालय = देव + आलय, राजपुरुष = राज + पुरुष, देवदूत = देव +दू त आदि।
3. योगारूढ़ - वे शब्द, जो यौगिक तो
हैं, किन्तु
सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगारूढ़
कहलाते हैं।
जैसे-पंकज,
दशानन, गजाननआदि।
पंकज = पंक + ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला) सामान्य अर्थ
में प्रचलित न होकर कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है। अतः पंकज शब्द योगरूढ़ है।
इसी प्रकार दश (दस) आनन (मुख) वाला रावण के अर्थ में प्रसिद्ध
है।
गजानन अर्थात हाथी के जैसा मुख वाला अर्थात श्री गणेश।
Post a Comment
Post a Comment