पाठ – 1 वह चिड़िया जो (कविता)
– केदारनाथ अग्रवाल
पृष्ठ संख्या: 2
प्रश्न
अभ्यास
कविता से
प्रश्न
1.
कविता पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है उस चित्र को कागज़ पर बनाओ।
उत्तर- कविता पढ़कर हमारे मन में निम्नलिखित चित्र उभरते हैं-
कविता पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है उस चित्र को कागज़ पर बनाओ।
उत्तर- कविता पढ़कर हमारे मन में निम्नलिखित चित्र उभरते हैं-
·
चिड़िया
का आकार छोटा है।
·
उसे
आज़ादी बहुत पसंद है।
·
वह नीले
पंखोंवाली सुंदर चिड़िया है।
·
वह बहती
नदी का पानी पीती है।
·
चिड़िया
मधुर स्वर में जंगल में गाती है।
2. तुम्हें कविता को कोई और शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना
चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोच कर लिखो।
उत्तर - ‘छोटी चिड़िया’
या नन्हीं चिडिया
3. इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीज़ों से प्यार है?
उत्तर - चिड़िया को अन्न, जंगल और बहती नदी और आजादी से प्यार
है।
4. कवि ने चिड़िया को छोटी, संतोषी, मुँह बोली, गरबीली चिड़िया क्यों कहा है?
उत्तर - चिड़िया आकार में छोटी है इसलिए कवि ने
उसे छोटी कहा है। वह अन्न के थोड़े से दाने
में ही संतुष्ट है, इसलिए उसे संतोषी बताया गया है। वह एकांत
में उमंग से गाते हुए सारी बातों को बोल देती है इसलिए उसे मुँह
बोली कहा है। वह छोटी होते हुए भी बहती नदी से पानी पीने का साहस करती है, इसलिए गरबीली कहा है।
5. आशय स्पष्ट करो –
(क) रस उँडेल कर गा लेती है
उत्तर - चिड़िया जब खुश होकर मधुर भाषा में गाने
लगती है तब ऐसा लगता है मानो उसने अपना सारा रस उस गाने में उड़ेल दिया है।
(ख) चढ़ी नदी का दिल टटोलकर जल का मोती ले जाती है
उत्तर - छोटी चिड़िया चढ़ी हुई बहती नदी से बिलकुल भी नहीं घबराती है। वह उफनती
नदी के बीच से अपनी चोंच में पानी की बूंद लेकर उड़ जाती है। कवि नदी की जलराशि और
पानी की बूंद का अनुमान मोती से लगाकर कहता है कि उफनती जलराशि में से जल का मोती
निकाल कर अपनी प्यास बुझाती है, इसीलिए कवि
की कल्पना में पानी की बूंद मोती की तरह अमूल्य है।
पृष्ठ संख्या: 3
अनुमान और
कल्पना
प्रश्न 1.
कवि ने नीली
चिड़िया का नाम नहीं बताया है। वह कौन सी चिड़िया रही होगी? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए पक्षी-विज्ञानी
सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ देखो। इनमें ऐसे पक्षी भी शामिल हैं जो जाड़े में एशिया के
उत्तरी भाग और अन्य ठंडे देशों से भारत आते हैं। उनकी पुस्तक को देखकर तुम अनुमान
लगा सकते हो कि इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद इनमें से कोई एक रही होगी-
नीलकंठ
छोटा किलकिला
छोटा किलकिला
कबूतर
बड़ा पतरिंगा
बड़ा पतरिंगा
उत्तर- इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद नीलकंठ
रही होगी,
क्योंकि उसके शरीर का
रंग नीला, आकार छोटा तथा
आवाज़ मीठी होती है।
2. नीचे पक्षियों के कुछ नाम दिए गए हैं। उनमें यदि कोई पक्षी एक से
अधिक रंग का है तो लिखो कि उसके किस हिस्से का रंग कैसा है? जैसे तोते की चोंच लाल है, शरीर हरा है।
उत्तर- मैना – चोंच
काली-लाल तथा शरीर
का रंग हल्का काला
कौआ – चोंच
काली तथा शरीर का
रंग हल्का या गहरा काला रंग
बतख – चोंच हल्का पीला, शरीर सफ़ेद रंग का – पैर हल्के गुलाबी रंग के
कबूतर – चोंच
छोटी सफेद, शरीर – कई रंग सफेद, स्लेटी आदि टाँगे लाल आँखें, गला – सतरंगी
प्रश्न 3.
कविता का हर बंध ‘वह चिड़िया जो-‘ से शुरू होता है और मुझे बहुत प्यार है’ पर खत्म होता है। तुम भी इन। पंक्तियों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।
उत्तर- वह चिड़िया जो,
कविता का हर बंध ‘वह चिड़िया जो-‘ से शुरू होता है और मुझे बहुत प्यार है’ पर खत्म होता है। तुम भी इन। पंक्तियों का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।
उत्तर- वह चिड़िया जो,
चींची करके,
हम सबका मन बहलाती है।
पकडो तो,
अंतहीन नील गगन में,
पंख पसार उड़ जाती है।
मेरे दिए दानों को खाती,
उससे मुझे बहुत प्यार है’
भाषा की बात
1. पंखों वाली चिड़िया
2. ऊपर वाली दराज
3. नीले पंखों वाली चिड़िया
सबसे ऊपर वाली दराज
यहाँ
रेखांकित शब्द विशेषण का काम कर रहे हैं। अगले पृष्ठ पर’ वाला/वाली’ जोड़कर बनने वाले कुछ और विशेषण
दिए गए हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोड़ो –
…………………………….. मोरों वाला बाग
► रंग-बिरंगे
…………………………….. पेडों वाला घर
► हरे-भरे
…………………………….. फूलों वाली क्यारी
► लाल
…………………………….. खादी वाला कुर्ता
► सफ़ेद
…………………………….. रोने वाला बच्चा
► ज्यादा
…………………………….. मूँछों वाला आदमी
► बड़ी
2. वह चिड़िया …….. जुंडी के दाने रुचि से…….. खा लेती है।
वह चिड़िया …….. रस उँडेल कर गा लेती है।
कविता की इन पंक्तियों में मोटे छापे वाले शब्दों को ध्यान से पढ़ो। पहले वाक्य में ‘रुचि से’ खाने के ढंग की और दूसरे वाक्य में ‘रस उँडेल कर’ गाने के ढंग की विशेषता बता रहे हैं। अत: ये दोनों क्रिया-विशेषण हैं। नीचे दिए वाक्यों कार्य के ढंग या रीति से संबंधित क्रिया-विशेषण छाँटो –
(क) सोनाली जल्दी-जल्दी मुँह में
लड्डू ठूँसने लगी।
► जल्दी-जल्दी
► जल्दी-जल्दी
(ख) गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में
चली गई।
► लुढ़कती हुई
► लुढ़कती हुई
(ग) भूकंप के बाद जनजीवन धीरे-
धीरे सामान्य होने लगा।
► धीरे- धीरे
► धीरे- धीरे
(घ) कोई सफ़ेद-सी चीज धप्प से
आँगन में गिरी।
► सफ़ेद-सी
(ड)
टॉमी फुर्ती से चोर पर झपटा।
► फुर्ती से
(च)
तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
► सहमकर
(छ)
आज अचानक ठंड बढ़ गई है।
► अचानक
अतिरिक्त
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कविता के आधार पर चिड़िया के स्वभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर- इस कविता में नीले पंखोंवाली छोटी-सी चिड़िया का वर्णन है। इस चिड़िया का स्वभाव संतोषी, मुँह बोली, साहसी और हिम्मती और मधुर स्वर में गाने वाली है।
उत्तर- इस कविता में नीले पंखोंवाली छोटी-सी चिड़िया का वर्णन है। इस चिड़िया का स्वभाव संतोषी, मुँह बोली, साहसी और हिम्मती और मधुर स्वर में गाने वाली है।
प्रश्न 2. चिड़िया किससे प्यार करती है ?
उत्तर- छोटी चिड़िया को अन्न अर्थात जुडी के दाने, नदी मधुर स्वर में गाने और उफनती नदी की बीच धारा से जल की बूंदें अपनी चोंच में लेकर उड़ने प्यार करती है।
उत्तर- छोटी चिड़िया को अन्न अर्थात जुडी के दाने, नदी मधुर स्वर में गाने और उफनती नदी की बीच धारा से जल की बूंदें अपनी चोंच में लेकर उड़ने प्यार करती है।
प्रश्न 3. चिड़िया के गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- वह छोटी चिड़िया खुले गले से बहुत ही मधुर आवाज़ में गाती है, जो वातावरण में रस घोल देते हैं। उसके गीत जंगल को समर्पित होते है।
उत्तर- वह छोटी चिड़िया खुले गले से बहुत ही मधुर आवाज़ में गाती है, जो वातावरण में रस घोल देते हैं। उसके गीत जंगल को समर्पित होते है।
प्रश्न 4. चिड़िया के माध्यम से कवि इस कविता में हमें क्या संदेश
देना चाहते हैं?
उत्तर- कवि चिड़िया के माध्यम से खुशी से रहने का संदेश देना चाहते हैं । चिड़िया के माध्यम से वे हमें सीख देते है कि हमें थोड़े में ही संतोष करना चाहिए, अकेले में भी उमंग से जीना चाहिए, साथ ही कवि बताते हैं कि हमें विपरीत परिस्थितियों में भी साहस नहीं खोना चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा होना चाहिए।
उत्तर- कवि चिड़िया के माध्यम से खुशी से रहने का संदेश देना चाहते हैं । चिड़िया के माध्यम से वे हमें सीख देते है कि हमें थोड़े में ही संतोष करना चाहिए, अकेले में भी उमंग से जीना चाहिए, साथ ही कवि बताते हैं कि हमें विपरीत परिस्थितियों में भी साहस नहीं खोना चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं पर पूरा भरोसा होना चाहिए।
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