3.1 संधि (व्यंजन संधि)
(2)व्यंजन संधि :- किसी व्यंजन का
स्वर अथवा व्यंजन से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
(i) किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या किसी स्वर से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
क्, च्, ट्, त्, प्
|
य्, र्, ल्,
व्,
ह
या स्वर
|
|
क्
|
|
ग्
|
च्
|
|
ज्
|
ट्
|
|
ड्
|
प्
|
|
ब्
|
जैसे -
क् + ग
= ग्ग
|
दिक् +
गज = दिग्गज।
|
|
क् + ई
= गी
|
वाक + ईश = वागीश
|
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च् + अ
= ज्
|
अच् +
अंत = अजंत
|
|
ट् + आ
= डा
|
षट् +
आनन = षडानन
|
षट + दर्शन = षड्दर्शन
|
प + ज
= ब्ज
|
अप् + ज = अब्ज
|
|
(ii) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल
न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
क्, च्, ट्, त्, प्
|
न् या
म्
|
पंचम
वर्ण
|
जैसे –
क्, च्, ट्, त्, प्
|
|
|
क् + म
= ं
|
वाक +
मय = वाङ्मय
|
|
च् + न
= ं
|
अच् + नाश = अंनाश
|
|
ट् + म
= ण्
|
षट् +
मास = षण्मास
|
षट् + मुख = षण्मुख
|
त् + न
= न्
|
उत् +
नयन = उन्नयन
|
|
प् +
म् = म्
|
अप् + मय = अम्मय
|
|
(iii) त्
का मेल ग,
घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या किसी स्वर से हो जाए तो द् हो
जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
त्
|
ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या स्वर
|
द्
|
जैसे –
त् + भ
= द्भ
|
सत् +
भावना = सद्भावना
|
भगवत्
+ भक्ति = भगवद्भक्ति
|
त् + ई
= दी
|
जगत् +
ईश = जगदीश
|
|
त् + र
= द्र
|
तत् + रूप = तद्रूप
|
|
त् + ध
= द्ध
|
सत् + धर्म = सद्धर्म
|
|
(iv) त्
से परे च् या छ् होने पर च, ज् या झ्
होने पर ज्,
ट् या ठ् होने पर ट्, ड् या ढ् होने पर ड् और ल होने पर ल्
हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
त्
|
च् या
छ्
|
च्
|
|
ज् या
झ्
|
ज्,
|
|
ट् या
ठ्
|
ट्,
|
|
ड् या
ढ्
|
ड्
|
|
ल
|
ल्
|
जैसे –
त् + च
= च्च
|
उत् +
चारण = उच्चारण
|
सत् + चारण= उच्चारण
|
त् + ज
= ज्ज
|
सत् + जन = सज्जन
|
|
त् + झ
= ज्झ
|
उत् + झटिका = उज्झटिका
|
|
त् + ट
= ट्ट
|
तत् + टीका = तट्टीका
|
|
त् + ड
= ड्ड
|
उत् + डयन = उड्डयन
|
|
त् + ल
= ल्ल
|
उत् + लास = उल्लास
|
|
(v) त् का मेल यदि श् से हो तो त् को च्
और श् का छ् बन जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
त्
|
श्
|
च्छ
|
जैसे –
त् +
श् = च्छ
|
उत् +
श्वास = उच्छ्वास
|
सत् +
शास्त्र = सच्छास्त्र
|
|
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
|
|
|
|
|
(vi) त् का मेल यदि ह् से हो तो त् का द्
और ह् का ध् हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
त्
|
ह्
|
द्ध
|
जैसे –
त् + ह
= द्ध
|
उत् +
हार = उद्धार
|
उत् +
हरण = उद्धरण
|
|
तत् + हित = तद्धित
|
|
|
|
|
(vii) स्वर के बाद यदि छ् वर्ण आ जाए तो छ्
से पहले च् वर्ण बढ़ा दिया जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
स्वर
|
छ्
|
च्छ
|
जैसे –
अ + छ
= अच्छ
|
स्व + छ
= स्वच्छ
|
स्व +
छंद = स्वच्छंद
|
आ + छ
= आच्छ
|
आ + छादन = आच्छादन
|
आ + छादित
= आच्छादित
|
इ + छ
= इच्छ
|
संधि + छेद = संधिच्छेद
|
|
उ + छ
= उच्छ
|
अनु + छेद = अनुच्छेद
|
|
(viii) यदि म् के बाद क् से म् तक कोई व्यंजन
हो तो म् अनुस्वार में बदल जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
म्
|
क् से
म् तक कोई व्यंजन
|
म्
अनुस्वार (ं) में बदल जाता है
|
जैसे –
म् + क
= ं
|
किम् +
कर = किंकर
|
सम् +
कल्प = संकल्प
|
म् +
च् = ं
|
किम् + चित = किंचित
|
सम् +
चय = संचय
|
म् + त
= ं
|
सम् +
तोष = संतोष
|
किम् + तु = किंतु
|
म् + प
= ं
|
सम् + पूर्ण = संपूर्ण
|
|
म् + ब
= ं
|
सम् + बंध = संबंध
|
|
म् + भ
= ं
|
सम् + भव = संभव
|
|
(ix) म् के बाद म का द्वित्व हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
म्
|
म्
|
म्म
|
जैसे –
म् + म
= म्म
|
सम् +
मति = सम्मति
|
सम् +
मान = सम्मान
|
(x) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में
से कोई व्यंजन होने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
म्
|
य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह्
|
म्
अनुस्वार (ं) में बदल जाता है
|
जैसे –
म् + य
= ं
|
सम् +
योग = संयोग
|
|
म् + र
= ं
|
सम् + रक्षण = संरक्षण
|
|
म् + ल
= ं
|
सम् +
लग्न = संलग्न
|
|
म् + व
= ं
|
सम् + विधान = संविधान
|
सम् +
वाद = संवाद
|
म् + श
= ं
|
सम् + शय = संशय
|
|
म् + स
= ं
|
सम् + सार = संसार
|
|
(xi) ऋ, र्,
ष् से परे न् का ण् हो जाता है।
परन्तु चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग,
श और स का व्यवधान हो जाने पर
न् का ण् नहीं होता।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
ऋ, र्, ष्
|
न्
|
ण्
|
परन्तु
चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग, श
और स का व्यवधान हो जाने पर न् का ण् नहीं होता।
|
जैसे –
र् + न
= ण
|
परि +
नाम = परिणाम
|
ऋ + न = ऋण
|
र् + म
= ण
|
प्र + मान = प्रमाण
|
विष् + नु = विष्णु
|
(xii) स् से पहले अ, आ से
भिन्न कोई स्वर आ जाए तो स् को ष हो जाता है।
नियम -
पूर्व लग्न
|
अनु लग्न
|
संध्य
|
अ, आ
से भिन्न कोई स्वर
|
स्
|
स् का
ष हो जाता है
|
जैसे –
भ् +
स् = ष
|
अभि +
सेक अभिषेक
|
नि +
सिद्ध = निषिद्ध
|
|
वि + सम = विषम
|
|
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