वचन की परिभाषा :
वचन का शब्दिक अर्थ संख्यावचन होता है। संख्यावचन को ही वचन कहते हैं। वचन का एक अर्थ कहना भी होता है। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति , वस्तु के एक से अधिक होने का या एक होने का पता चले उसे वचन कहते हैं। अथार्त संज्ञा के जिस रूप से संख्या का बोध हो उसे वचन कहते हैं अथार्त संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण और क्रिया के जिस रूप से हमें संख्या का पता चले उसे वचन कहते हैं।
जैसे :- लडकी खेलती है।
लडकियाँ खेलती हैं।
वचन के भेद :-
1. एकवचन
2. बहुवचन
1. एकवचन क्या होता है :- जिस शब्द के कारण हमें किसी व्यक्ति , वस्तु , प्राणी , पदार्थ आदि के एक होने का पता चलता है उसे एकवचन कहते हैं।
जैसे :- लड़का , लडकी , गाय , सिपाही , बच्चा , कपड़ा , माता , पिता , माला , पुस्तक , स्त्री , टोपी , बन्दर , मोर , बेटी , घोडा , नदी , कमरा , घड़ी , घर , पर्वत , मैं , वह , यह , रुपया , बकरी , गाड़ी , माली , अध्यापक , केला , चिड़िया , संतरा , गमला , तोता , चूहा आदि।
2. बहुवचन क्या होता है :- जिस विकारी शब्द या संज्ञा के कारण हमें किसी व्यक्ति , वस्तु , प्राणी , पदार्थ आदि के एक से अधिक या अनेक होने का पता चलता है उसे बहुवचन कहते हैं।
जैसे :- लडके , गायें , कपड़े , टोपियाँ , मालाएँ , माताएँ , पुस्तकें , वधुएँ , गुरुजन , रोटियां , पेंसिलें , स्त्रियाँ , बेटे , बेटियाँ , केले , गमले , चूहे , तोते , घोड़े , घरों , पर्वतों , नदियों , हम , वे , ये , लताएँ , लडकियाँ , गाड़ियाँ , बकरियां , रुपए।
एकवचन और बहुवचन के कुछ नियम इस प्रकार है :-
1. आदरणीय या सम्मानीय व्यक्तियों के लिए बहुवचन का भी प्रयोग होता है लेकिन एकवचन व्यक्तिवाचक संज्ञा को बहुवचन में ही प्रयोग कर दिया जाता है।
जैसे :-
(i) गांधीजी चंपारन आये थे।
(ii) शास्त्रीजी बहुत ही सरल स्वभाव के थे।
(iii) गुरूजी आज नहीं आये।
(iv) पापाजी कल कलकत्ता जायेंगे।
(v) गांधीजी छुआछुत के विरोधी थे।
(vi) श्री रामचन्द्र वीर थे।
2. एकवचन और बहुवचन का प्रयोग संबंध दर्शाने के लिए समान रूप से किया जाता है।
जैसे :- (i) नाना , मामी , ताई , ताऊ , नानी , मामा , चाचा , चाची , दादा , दादी आदि।
3. द्रव्य की सुचना देने वाली द्र्व्यसूचक संज्ञाओं का प्रयोग केवल एकवचन में ही होता है।
जैसे :- तेल , घी , पानी , दूध , दही , लस्सी , रायता आदि।
4. वचन के कुछ शब्दों का प्रयोग हमेशा ही बहुवचन में किया जाता है।
जैसे :- दाम , दर्शन , प्राण , आँसू , लोग , अक्षत , होश , समाचार , हस्ताक्षर , दर्शक , भाग्य केश , रोम , अश्रु , आशिर्वाद आदि।
उदहारण :-
(i) आपके हस्ताक्षर बहुत ही अलग हैं।
(ii) लोग कहते रहते हैं।
(iii) आपके दर्शन मिलना मुस्किल है।
(iv) तुम्हारे दाम ज्यादा हैं।
(v) आज के समाचार क्या हैं ?
(vi) आपका आशिर्वाद पाकर मैं धन्य हो गया हूँ।
5. वचन में पुल्लिंग के ईकारांत , उकारांत और ऊकारांत शब्दों का प्रयोग दोनों वचनों में समान रूप से किया जाता है।
जैसे :- एक मुनि , दस मुनि , एक डाकू , दस डाकू , एक आदमी , दस आदमी आदि।
6. कभी कभी कुछ लोग बडप्पन दिखाने के लिए वह और मैं की जगह पर वे और हम का प्रयोग करते हैं।
जैसे :- (i) मालिक ने नौकर से कहा कि हम मीटिंग में जा रहे हैं।
(ii) जब गुरूजी घर आये तो वे बहुत खुश थे।
(iii) हमे याद नहीं हमने ऐसा कहा था।
7. कभी कभी अच्छा व्यवहार करने के लिए तुम की जगह पर आप का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :- (i) आप कहाँ पर गये थे।
8. दोनों वचनों में जातिवाचक संज्ञा का प्रयोग किया जाता है।
जैसे :-
(i) कुत्ता भौंक रहा है।
(ii) कुत्ते भौंक रहे हैं।
(iii) शेर जंगल का राजा है।
(iv) बैल के चार पाँव होते हैं।
9. धातुओं की जाति बताने वाली संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में ही होता है।
जैसे :- सोना , चाँदी , धन आदि।
उदहारण :-
(i) सोना बहुत महँगा है।
(ii) चाँदी सस्ती है।
(iii) उसके पास बहुत धन है।
10. गुण वाचक और भाववाचक दोनों संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन और बहुवचन दोनों में ही किया जाता है।
जैसे :-
(i) मैं उनके धोके से ग्रस्त हूँ।
(ii) इन दवाईयों की अनेक खूबियाँ हैं।
(iii) डॉ राजेन्द्र प्रसाद की सज्जनता पर सभी मोहित थे।
(iv) मैं आपकी विवशता को जानता हूँ।
11. सिर्फ एकवचन में हर , प्रत्येक और हर एक का प्रयोग होता है।
जैसे :- (i) हर एक कुआँ का पानी मीठा नही होता।
(ii) प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा।
(iii) हर इन्सान इस सच को जानता है।
12. समूहवाचक संज्ञा का प्रयोग केवल एकवचन में ही किया जाता है।
जैसे :- (i) इस देश की बहुसंख्यक जनता अनपढ़ है।
(ii) लंगूरों की एक टोली ने बहुत उत्पात मचा रखा है।
13. ज्यादा समूहों का बोध करने के लिए समूहवाचक संज्ञा का प्रयोग बहुवचन में किया जाता है।
जैसे :- (i) विद्यार्थियों की बहुत सी टोलियाँ गई हैं।
(ii) अकबर की सदी में अनेक देशों की प्रजा पर अनेक अत्याचार होते थे।
14. एक से ज्यादा अवयवों का प्रयोग बहुवचन में होता है लेकिन एकवचन में उनके आगे एक लगा दिया जाता है।
जैसे :- आँख , कान , ऊँगली , पैर , दांत , अंगूठा आदि।
उदहारण :- (i) राधा के दांत चमक रहे थे।
(ii) मेरे बाल सफेद हो चुके हैं।
(iii) मेरा एक बाल टूट गया।
(iv) मेरी एक आँख में खराबी है।
(v) मंजू का एक दांत गिर गया।
15. करणकारक के शब्द जैसे – जाडा , गर्मी , भूख , प्यास आदि को बहुवचन में ही प्रयोग किया जाता है।
जैसे :- (i) बेचारा बन्दर जाड़े से ठिठुर रहा है।
(ii) भिखारी भूखे मर रहे हैं।
16. कभी कभी कुछ एकवचन संज्ञा शब्दों के साथ गुण , लोग , जन , समूह , वृन्द , दल , गण , जाति शब्दों को बहुवचन में प्रयोग किया जाता है।
जैसे :- (i) छात्रगण बहुत व्यस्त होते हैं।
(ii) मजदूर लोग काम कर रहे हैं।
(iii) स्त्रीजाति बहुत संघर्ष कर रही है।
एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम इस प्रकार हैं :-
1. जब आकारान्त के पुल्लिंग शब्दों में आ की जगह पर ए लगा दिया जाता है।
एकवचन = बहुवचन के उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) जूता = जूते
(ii) तारा = तारे
(iii) लड़का = लडके
(iv) घोडा = घोड़े
(v) बेटा = बेटे
(vi) मुर्गा = मुर्गे
(vii) कपड़ा = कपड़े
(viii) गधा = गधे
(ix) कौआ = कौए
(x) केला = केले
(xi) पेडा = पेडे
(xii) कुत्ता = कुत्ते
(xiii) कमरा = कमरे
2. जब अकारांत के स्त्रीलिंग शब्दों में अ की जगह पर ऐं लगा दिया जाता है।
जैसे :- (i) कलम = कलमें
(ii) बात = बातें
(iii) रात = रातें
(iv) आँख = आँखें
(v) पुस्तक = पुस्तकें
(vi) किताब = किताबें
(vii) गाय = गायें
(viii) बहन = बहनें
(ix) झील = झीलें
(x) सडक = सडकें
(xi) दवात = दवातें
3. जब आकारान्त के स्त्रीलिंग शब्दों में आ की जगह पर ऍ कर दिया जाता है।
जैसे :- (i) कविता = कविताएँ
(ii) लता = लताएँ
(iii) अध्यापिका = अध्यापिकाएँ
(iv) कन्या = कन्याएँ
(v) माता = माताएँ
(vi) भुजा = भुजाएँ
(vii) पत्रिका = पत्रिकाएँ
(viii) शाखा = शाखाएँ
(ix) कामना = कामनाएँ
(x) कथा = कथाएँ
(xi) कला = कलाएँ
(xii) वस्तु = वस्तुएँ
(xiii) दवा = दवाएँ आदि।
4. जब स्त्रीलिंग के शब्दों में या की जगह पर याँ लगा दिया जाता है।
जैसे :-(i) बिंदिया = बिंदियाँ
(ii) चिड़िया = चिड़ियाँ
(iii) डिबिया = डिबियाँ
(iv) गुडिया = गुड़ियाँ
(v) चुहिया = चुहियाँ
(vi) बुढिया = बुढियाँ
(vii) लुटिया = लुटियाँ
(viii) गैया = गैयाँ
(ix) कुतिया = कुतियाँ
(x) शक्ति = शक्तियाँ
(xi) राशि = राशियाँ
(xii) रीति = रीतियाँ
(xiii) तिथि = तिथियाँ आदि।
5. जब इकारांत और ईकारांत के स्त्रीलिंग शब्दों याँ लगाकर ई को इ कर दिया जाता है।
जैसे :- (i) नीति = नीतियाँ
(ii) नारी = नारियाँ
(iii) गति = गतियाँ
(iv) थाली = थालियाँ
(v) रीति = रीतियाँ
(vi) नदी = नदियाँ
(vii) लडकी = लडकियाँ
(viii) घुड़की = घुड़कियाँ
(ix) चुटकी = चुटकियाँ
(x) टोपी = टोपियाँ
(xi) रानी = रानियाँ
(xii) रीति = रीतियाँ
(xiii) थाली = थालियाँ
(xiv) कली = कलियाँ
(xv) बुद्धि = बुद्धियाँ
(xvi) सखी =सखियाँ आदि।
6. जब उ , ऊ ,आ , अ , इ , ई और औ की जगह पर ऍ कर दिया जाता है और ऊ को उ में बदल दिया जाता है।
जैसे :- (i) वस्तु = वस्तुएँ
(ii) गौ = गौएँ
(iii) बहु = बहुएँ
(iv) वधू = वधुएँ
(v) गऊ = गउएँ
(vi) लता = लताएँ
(vii) माता = माताएँ
(viii) धातु = धातुएँ
(ix) धेनु = धेनुएँ
(x) लू = लुएँ
(xi) जू = जुएँ
7. जब दल , वृंद , वर्ग , जन लोग , गण आदि शब्दों को जोड़ा जाता है।
जैसे :- (i) साधु = साधुलोग
(ii) बालक = बालकगण
(iii) अध्यापक = अध्यापकवृंद
(iv) मित्र = मित्रवर्ग
(v) विद्यार्थी = विद्यार्थीगण
(vi) सेना = सेनादल
(vii) आप = आपलोग
(viii) गुरु = गुरुजन
(ix) श्रोता = श्रोताजन
(x) गरीब = गरीबलोग
(xi) पाठक = पाठकगण
(xii) अधिकारी = अधिकारीवर्ग
(xiii) स्त्री = स्त्रीजन
(xiv) नारी = नारीवृंद
(xv) दर्शक = दर्शकगण
(xvi) वृद्ध = वृद्धजन
(xvii) व्यापारी =व्यापारीगण
(xviii) सुधी = सुधिजन आदि।
8. जब एकवचन और बहुवचन दोनों में शब्द एक समान होते हैं।
जैसे :- (i) राजा = राजा
(ii) नेता = नेता
(iii) पिता = पिता
(iv) चाचा = चाचा
(v) क्षमा = क्षमा
(vi) प्रेम = प्रेम
(vii) बाजार = बाजार
(viii) दादा = दादा
(ix) जल = जल
(x) गिरी = गिरी
(xi) योद्धा = योद्धा
(xii) फल = फल
(xiii) पानी = पानी
(xiv) क्रोध = क्रोध
(xv) फूल = फूल
(xvi) छात्र = छात्र आदि।
9. जब शब्दों को दो बार प्रयोग किया जाता है।
जैसे :- (i) भाई = भाई -भाई
(ii) बहन = बहन-बहन
(iii) गॉंव = गाँव -गाँव
(iv) घर = घर -घर
(v) शहर = शहर -शहर आदि।
विभक्तिसहित संज्ञा के शब्दों के नियम इस प्रकार हैं :-
1. जब अकारांत , आकारान्त और एकारांत के संज्ञा शब्दों में अ, आ , तथा ए की जगह पर ओं कर दिया जाता है। जब इन संज्ञाओं के साथ ने , को , का , से आदि परसर्ग होते हैं तब भी इनके साथ ओं लगा दिया जाता है।
जैसे :- (i) लडके को बुलाओ – लडकों को बुलाओ।
(ii) बच्चे ने गाना गाया – बच्चों ने गाना गाया।
(iii) नदी का जल बहुत ठंडा है – नदियों का जल बहुत ठंडा है।
(iv) आदमी से पूछ लो – आदमियों से पूंछ लो।
(v) लडके ने पढ़ा – लडकों ने पढ़ा।
(vi) गाय ने दूध दिया – गायों ने दूध दिया।
(vii) चोर को छोड़ना मत – चोरों को छोड़ना मत।
2. जब संस्कृत की आकारांत और हिंदी की उकारांत , ऊकारांत , अकारांत और औकरांत में पीछे ओं जोड़ दिया जाता है। ओं जोड़ने के बाद ऊ को उ में बदल दिया जाता है।
जैसे :- (i) लता = लताओं
(ii) साधु = साधुओं
(iii) वधू = वधुओं
(iv) घर = घरों
(v) जौ = जौओं
(vi) दवा = दवाओं
3. जब इकारांत और ईकारांत संज्ञाओं के पीछे यों जोड़ दिया जाता है और ई को इ में बदल दिया जाता है।
जैसे :- (i) मुनि = मुनियों
(ii) गली = गलियों
(iii) नदी = नदियों
(iv) साड़ी = साड़ियों
(v) श्रीमती = श्रीमतियों
(vi) गाड़ी = गाड़ियों
(vii) झाड़ी = झाड़ियों आदि।
वचन परिवर्तन :-
एकवचन = बहुवचन के उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) पत्ता = पत्ते
(ii) बच्चा = बच्चे
(iii) बेटा = बेटे
(iv) कपड़ा = कपड़े
(v) लड़का = लडके
(vi) बात = बातें
(vii) आँख = आँखें
(viii) पुस्तक = पुस्तकें
(ix) किताब = किताबें
(x) रुपया = रुपए
(xi) तिनका = तिनके
(xii) भेड़ = भेड़ें
(xiii) बहन = बहनें
(xiv) घोडा = घोड़े
(xv) तस्वीर = तस्वीरें
(xvi) कक्षा = कक्षाएँ
(xvii) ऋतु = ऋतुएँ
(xviii) कमरा = कमरे
(xix) भाषा = भाषाएँ
(xx) सेना = सेनाएँ
(xxi) अध्यापिका = अध्यापिकाएँ
(xxii) कविता = कविताएँ
(xxiii) वस्तु = वस्तुएँ
(xxiv) लता = लताएँ
(xxv) बुढिया = बुढियां
(xxvi) चिड़िया = चिड़ियाँ
(xxvii) चुहिया = चुहियाँ
(xxviii) गुडिया = गुड़ियाँ
(xxix) कहानी = कहानियाँ
(xxx) घड़ी = घड़ियाँ
(xxxi) कुर्सी = कुर्सियां
(xxxii) हड्डी = हड्डियाँ
(xxxiii) मिठाई = मिठाइयाँ
(xxxiv) दवाई = दवाईयाँ
(xxxv) अलमारी = अलमारियाँ
(xxxvi) छुट्टी = छुट्टियाँ
(xxxvii) कवि = कविगण
(xxxviii) गुरु = गुरुजन आदि।
लिंग किसे कहते हैं :-
लिंग संस्कृत का शब्द होता है जिसका अर्थ होता है निशान। जिस संज्ञा शब्द से व्यक्ति की जाति का पता चलता है उसे लिंग कहते हैं। इससे यह पता चलता है की वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का है।
उदाहरण के लिए :
पुरुष जाति में = बैल , बकरा , मोर , मोहन , लड़का , हाथी , शेर , घोडा , दरवाजा , पंखा , कुत्ता , भवन , पिता , भाई आदि।
स्त्री जाति में = गाय , बकरी , मोरनी , मोहिनी , लडकी , हथनी , शेरनी , घोड़ी , खिड़की , कुतिया , माता , बहन आदि।
लिंग के निर्माण में आई कठिनाई और उसका हल :-
हिंदी में लिंग के निर्णय का आधार संस्कृत के नियम ही हैं। संस्कृत में हिंदी से अलग एक तीसरा लिंग भी है जिसे नपुंसकलिंग कहते हैं। नपुंसकलिंग में अप्राणीवाचक संज्ञाओं को रखा जाता है। हिंदी में अप्राणीवाचक संज्ञाओं के लिंग निर्णय में सबसे अधिक कठिनाई हिंदी न जानने वालों को होती है।
जिनकी मातृभाषा हिंदी होती है उन्हें सहज व्यवहार के कारण लिंग निर्णय में परेशानी नहीं होती। लेकिन इनमें भी एक समस्या है की कुछ पुल्लिंग शब्दों के पर्यायवाची स्त्रीलिंग हैं और कुछ स्त्रीलिंग के पुल्लिंग। जैसे :- पुस्तक को स्त्रीलिंग कहते हैं और ग्रन्थ को पुल्लिंग।
हिंदी में लिंग :-
व्याकरणाचार्य ने निर्णय के कुछ नियम बताये हैं लेकिन उन सभी में अपवाद है। लेकिन फिर भी लिंग निर्णय के कुछ नियम इस प्रकार है :-
1. जब प्राणीवाचक संज्ञा पुरुष जाति का बोध कराएँ तो वे पुल्लिंग होते हैं और जब स्त्रीलिंग का बोध कराएँ तो स्त्रीलिंग होती हैं।
जैसे :- कुत्ता , हाथी , शेर पुल्लिंग हैं और कुत्तिया , हथनी , शेरनी स्त्रीलिंग हैं।
2. कुछ प्राणीवाचक संज्ञा जब पुरुष और स्त्री दोनों लिंगों का बोध करती है तो वे नित्य पुल्लिंग में शामिल हो जाते हैं।
जैसे :- खरगोश , खटमल , गैंडा , भालू , उल्लु आदि।
3. कुछ प्राणीवाचक संज्ञा जब पुरुष और स्त्री दोनों का बोध करे तो वे नित्य स्त्रीलिंग में शामिल हो जाते हैं।
जैसे :- कोमल , चील , तितली , छिपकली आदि।
लिंग के भेद :-
संसार में तीन जातियाँ होती हैं – (1) पुरुष , (2) स्त्री , (3) जड़। इन्ही जातियों के आधार पर लिंग के भेद बनाए गये हैं।
1. पुल्लिंग
2. स्त्रीलिंग
3. नपुंसकलिंग
1. पुल्लिंग क्या होता है :-
जिन संज्ञा के शब्दों से पुरुष जाति का पता चलता है उसे पुल्लिंग कहते हैं।
जैसे :- पिता , राजा , घोडा , कुत्ता , बन्दर , हंस , बकरा , लडकी , आदमी, सेठ , मकान , लोहा , चश्मा , दुःख , प्रेम , लगाव , खटमल , फूल , नाटक , पर्वत , पेड़ , मुर्गा , बैल , भाई , शिव , हनुमान , शेर आदि।
पुल्लिंग अपवाद :-
पक्षी , फरवरी , एवरेस्ट , मोतिया , दिल्ली , स्त्रीत्व आदि।
पुल्लिंग की पहचान :-
1. जिन शब्दों के पीछे अ , त्व , आ , आव , पा , पन , न आदि प्रत्यय आये वे पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- मन , तन , वन , शेर , राम , कृष्ण , सतीत्व , देवत्व , मोटापा , चढ़ाव , बुढ़ापा , लडकपन , बचपन , लेन -देन आदि।
2. पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- हिमालय , हिमाचल , विघ्यांच्ल , सतपुड़ा , आल्प्स , यूराल , कंचनजंगा , एवरेस्ट , फूजियामा , कैलाश , मलयाचल , माउन्ट एवरेस्ट आदि।
3. दिनों के नाम पुल्लिंग होते हैं :-
जैसे :- सोमवार , मंगलवार , बुद्धवार , वीरवार , शुक्रवार , शनिवार , रविवार आदि।
4. देशों के नाम पुल्लिंग होते हैं :-
जैसे :- भारत , चीन , ईरान , यूरान , रूस , जापान , अमेरिका , पाकिस्तान , उत्तर प्रदेश , हिमाचल , मध्य प्रदेश आदि।
5. धातुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं :-
जैसे :- सोना , ताम्बा , पीतल , लोहा ,चाँदी , पारा आदि।
6. नक्षत्रों के नाम पुल्लिंग होते हैं :-
जैसे :- सूर्य , चन्द्र , राहू , आकाश , शनि , बुद्ध , बृहस्पति , मंगल , शुक्र आदि।
7. महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- फरवरी , मार्च , चैत , आषाढ़ , फागुन आदि।
8. द्रवों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- पानी , तेल , पेट्रोल , घी , शरबत , दही , दूध आदि।
9. पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- केला , पपीता , शीशम , सागौन , जामुन , बरगद , पीपल , नीम , आम , अमरुद , देवदार , अनार , अशोक , पलाश आदि।
10. सागर के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- हिन्द महासागर , प्रशांत महासागर , अरब महासागर आदि।
11. समय के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- घंटा , पल , क्षण , मिनट , सेकेंड आदि।
12. अनाजों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- गेंहूँ , बाजरा , चना , जौ आदि।
13. वर्णमाला के अक्षरों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- अ , उ , ए , ओ , क , ख , ग , घ , च , छ , य , र , ल , व् , श आदि।
14. प्राणीवाचक शब्द हमेशा पुरुष जाति का ही बोध करते हैं।
जैसे :- बालक , गीदड़ , कौआ , कवि , साधु , खटमल , भेडिया , खरगोश , चीता , मच्छर , पक्षी आदि।
15. समूह वाचक संज्ञा भी पुल्लिंग होती है।
जैसे :- मण्डल , समाज , दल , समूह , सभा , वर्ग , पंचायत आदि।
16. भारी और बेडौल वस्तु भी पुल्लिंग होती हैं।
जैसे :- जूता , रस्सा , पहाड़ , लोटा आदि।
17. रत्नों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- नीलम , पुखराज , मूँगा , माणिक्य , पन्ना , मोती , हीरा आदि।
18. फूलों के नाम पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- गेंदा , मोतिया , कमल , गुलाब आदि।
19. द्वीप भी पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- अंडमान -निकोबार , जावा , क्यूबा , न्यू फाउंलैंड आदि।
20. शरीर के अंग पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :-हाथ , पैर , गला , अंगूठा , कान , सिर , मुंह , घुटना , ह्रदय , दांत , मस्तक आदि।
21. दान , खाना , वाला से खत्म होने वाले शब्द हमेशा पुल्लिंग होते हैं।
जैसे :- खानदान , पीकदान , दवाखाना , जेलखाना , दूधवाला , दुकानवाला आदि।
22. आकारान्त संज्ञा पुल्लिंग होती है।
जैसे :- गुस्सा , चश्मा , पैसा , छाता आदि।
पुल्लिंग के शब्द :-
1. अ- अरमान, अनार, अदरख, अपराध, अनाज, अनुसार, अनुसरण, अबरब, अबीर, अन्वय, अमृत, अपरिग्रह, अपहरण, अनुदान, अनुमोदन, अनुसन्धान, अपयश, अक्षत, अणु, अकाल, अक्षर, अनुच्छेद, अखरोट आदि।
2. आ- आलस्य, आचार, आईना, आचरण, आखेट, आभार, आलू, आवेश, आविर्भाव, आश्रम, आश्र्वासन, आसन, आषाढ़, आस्वादन, आहार, आसव, आशीर्वाद, आकाश, आयोग, आटा, आमंत्रण, आक्रमण, आरोप, आयात, आयोजन, आरोपण, आलोक, आवागमन, आविष्कार आदि।
3. अं, अँ, आँ- अंधड़, अंगूर, अंक, अंबर, अंकुश, अंगार, अंतरिक्ष, अंतर्धान, अंतस्तल, अंबुज, अंश, अंजन, अंचल, अंकन, अंगुल, अंकगणित, अंतःपुर, अंतःकरण, अँधेरा, अंधेर, अंबर, अंशु, आँसू आदि।
4. ओ, औ- ओठ, ओल, ओला, औजार, औसत आदि।
5. इ, ई- इजलास, इन्द्रासन, इकतारा, इलाका, इजहार, इनाम, इलाज, इस्तीफा, इस्पात, इस्तेमाल, इन्तजार, इन्साफ, इलजाम, इत्र, ईंधन आदि।
6. उ, ऊ- उद्धार, उतार, उपवास, उफान, उबटन, उबाल, उलटफेर, उपादान, उपकरण, उत्पादन, उत्कर्ष, उच्छेदन, उत्तरदायित्व, उत्तरीय, उत्ताप, उत्साह, उत्सर्ग, उदय, उद्गार, उद्घाटन, उद्धरण, उद्यम, उन्माद, उन्मूलन, उपकार, उपक्रम, उपग्रह, उपचार, उपनयन, उपसर्ग, उपहास, उपाख्यान, उपालंभ, उल्लंघन, उल्लास, उल्लू, उल्लेख, ऊख, ऊन, ऊखल, ऊधम आदि।
7. क- कण्ठ, कपूर, कर्म, कम्बल, कलंक, कपाट, कछार, कटहल, कफन, कटोरा, कड़ाह, कलह, कक्ष, कच्छा, कछुआ, कटिबन्ध, कदम्ब, कनस्तर, कफ, कबाब, कब्ज, करकट, करतल, कर्णफूल, करार, करेला, कलाप, कलेवर, कल्प, कल्याण, कल्लोल, कवच आदि।
8. का- काग, काजल, काठ, कार्तिक, काँच (शीशा), कानन, कार्य, कायाकल्प आदि।
9. कि, की- कित्रर, किमाम, किसलय, कीर्तन, कीचड़ आदि।
10. कु, कू- कुँआ, कुटीर, कुतूहल, कुमुद, कुल, कुहासा, कुशल, कुष्ट, कूड़ा आदि।
11. के, को, कौ- केवड़ा, केंकड़ा, केराव, केशर, केश, कोटर, कोल्हू, कोढ़, कोदो, कीप, कोष(श), कोहनूर, कोष्ठ, कोट, कौतूहल, कौर, कौआ,कौशल आदि ।
12. ख- खँडहर, खजूर, खटका, खटमल, खपड़ा, खरगोश, खरबूजा, खराद (यन्त्र), खर्राटा, खलिहान, खाँचा, खाका, खान(पठान), खान-पान, खार, खिंचाव, खीर-मोहन, खीरा, खुमार, खुदरा, खुर, खुलासा, खूँट(छोर), खूँटा, खेमा, खेल, खेलवाड़, खोंचा, खोआ आदि।
13. ग- गंजा, गन्धक, गन्धराज, गगन, गज, गजट, गजब, गठबन्धन, गढ़, गदर, गद्य, गबन, गमन, गरुड़, गर्जन, गर्व, गर्भाशय, गलसुआ, गलियारा, गलीचा, गश, गाँजा, गार्हस्थ्य, गिरजा, गिरगिट, गड्ढा, गुणगान, गोदाम, गुनाह, गुंजार, गुलाब, गुलाम, गिला, गूदा, गोंद, गेंद, गोत्र, गोधन, गोलोक, गौरव, ग्रह, ग्रीष्म, ग्रहण, ग्रास, गिलाफ, गिद्ध आदि।
14. घ- घट, घटाटोप, घटाव, घड़ा, घड़ियाल, घन, घराना, घपला, घर्षण, घाघरा, घाघ, घाटा, घात (चोट), घाव, घी, घुँघरू, घुटना, घुन, घुमाव, घूँघट, घूँट, घृत, घेघा, घोंघा, घोटाला, घोल आदि।
15. च- चंगुल, चण्डमुण्ड, चन्दन, चन्द्रमा, चन्दनहार, चन्द्रबिन्दु, चन्द्रहार, चन्द्रोदय, चकमा, चकला, चकवा, चकोर, चक्कर, चक्र, चक्रव्यूह, चटावन, चढाव, चढ़ावा, चप्पल, चमगादड़, चमत्कार, चमर, चम्मच, चम्पक, चयन, चर्खा, चरागाह, चर्स, चलचित्र, चलन, चालान, चषक, चाँटा, चाँद, चाक, चातक, चातुर्य, चाप (धनुष), चाबुक, चाम, चरण, चाकू, चाव, चिन्तन, चित्रकूट, चित्रपट, चिरकुट, चिराग, चीता, चीत्कार, चीर, चीलर, चुम्बक, चुम्बन, चुनाव, चुल्लू, चैन, चोकर, चौक, चौपाल आदि।
16. छ- छन्द, छछूँदर, छज्जा, छटपट, छत्ता, छत्र, छप्पर, छलछन्द, छाजन, छार, छिद्र, छिपाव, छींटा, छेद, छोआ, छोर आदि।
17. ज- जख्म, जमघट, जहाज, जंजाल, जन्तु, जड़ाव, जत्था, जनपद, जनवासा, जप, जमाव, जलधर, जलपथ, जलपान, जाँता, जाकड़, जाम, जाप, जासूस, जिक्र, जिगर, जिन, जिहाद, जी, जीरा, जीव, ज्वारभाटा, जुआ, जुकाम, जुर्म, जुलाब, जुल्म, जुलूस, जूड़ा, जेठ, जेल, जौ, जैतून, जोश, ज्वर आदि।
18. झ- झंझा, झंझावात, झकझोर, झकोर, झाड़ (झाड़ी), झंखाड़, झाल (बाजा), झींगुर, झुण्ड, झुकाव, झुरमुट, झूमर आदि।
19. ट- टण्टा, टमटम, टकुआ, टाट, टापू, टिकट, टिकाव, टिफिन, टीन, टमाटर, टैक्स आदि।
20. ठ- डंक, डंड, डण्डा, डब्बा, डमरू, डर, डीह, डोल, डेरा आदि।
21. ढ- ढक्कन, ढेला, ढाँचा, ढोंग, ढाढस, ढंग, ढोल, ढकना, ढिंढोरा, ढेर आदि।
22. त- तम्बाकू, तम्बूरा, तकिया, तन, तनाव, तप, तबला, तमंचा, तरकश, तरबूज, तराजू, तल, ताण्डव, ताज, तार, ताला, तालाब, ताश, त्रिफला, तिल, तिलक, तिलकुट, तीतर, तीर, तीर्थ, तेजाब, तेल, तेवर, तोड़-जोड़, तोड़-फोड़, तौल, तौलिया, त्रास, तख्ता, तंत्र आदि।
23. थ- थन, थप्पड़, थल, थूक, थोक, थाना, थैला आदि।
24. द- दंड, दबाव, दर्जा, दर्शन, दरबार, दहेज, दाँत, दाग, दाम, दही, दिन, दिमाग, दिल, दीपक, दीया, दुःख, दुशाला, दूध, दृश्य, देहात, देश, द्वार, द्वीप, दर्द, दुखड़ा, दुपट्टा, दंश, दफा, दालान, दलाल, दानव, दाय, दास, दिखाया, दिमाग, दिल, दीपक, दुलार, दुशाला, दूध, दृश्य, दैत्य, दोष, दौरान, द्वार, द्वीप, द्वेष, दफ्तर आदि।
25. ध- धन्धा, धक्का, धड़, धन, धनुष, धर्म, धान, धाम, धैर्य, ध्यान, धनिया, धुआँ आदि।
26. न- नकद, नक्षत्र, नग, ननिहाल, नभ, नगर, नमक, नसीब, नरक, नल, नाख़ून, निबाह, नियम, निर्झर, निगम, निवास, निवेदन, निशान, निष्कर्ष, नीबू, नीर, नीलम, नीलाम, नृत्य, नेत्र, नैवेद्य, न्याय, नमस्कार, नक्शा, नगीना, नशा, न्योता आदि।
27. प-पंक्षी, पकवान, पक्ष, पक्षी, पत्र, पड़ोस, पतंग, पनघट, पतलून, पतन, पत्थर, पद, पदार्थ, पनीर, पपीहा, पर्दा, परमाणु, परलोक, पराग, परिचय, परिणाम, परिवर्तन, परिवार, पर्व, पल्लव, पहर, पहिया, पाखण्ड, पाचन, पाताल, पापड़, पाला, पिल्लू, पीताम्बर, पीपल, पुआल, पुराण, पुरस्कार, पुल, पुलक, पुस्तकालय, पूर्व, पोत, पोल, पोषण, पाजामा, प्याज, प्रकोप, प्रयोग, प्रतिफल, प्रतिबन्ध, प्रत्यय, प्रदेश, प्रभाव, प्रलय, प्रसार, प्रातः, प्रारम्भ, पैसा, प्राण, पेट, पौधा, प्यार, पहरा, पानी आदि।
28. फ- फर्क, फर्ज, फर्श, फल, फसाद, फाटक, फल, फूल, फेन, फेफड़ा, फेर, फेरा, फतिंगा आदि।
29. ब– बण्डल, बन्दरगाह, बखान, बबूल, बचपन, बचाव, बड़प्पन, बरतन, बरताव, बल, बलात्कार, बहाव, बहिष्कार, बाँध, बाँस, बाग, बाज, बाजा, बाजार, बादाम, बेलन, बेला, बेसन, बोझ, बोल, बैर, बगीचा, बादल, बुढ़ापा, बटन, बिल, बुखार, बीज, बिछावन, बेंत, बदला आदि।
30. भ- भण्डाफोड़, भँवर, भजन, भवन, भत्ता, भरण, भस्म, भाग्य, भाल, भाव, भाषण, भिनसार, भुजंग, भुलावा, भूकम्प, भेदभाव, भेड़िया, भोज, भोर, भरोसा आदि।
31. म- मंच, मंजन, मण्डन, मजा, मटर, मसूर, मतलब, मद्य, मच्छर, मनसूबा, मनोवेग, मरहम, मरोड़, मवेशी, मलय, मलाल, महुआ, माघ, माजरा, मिजाज, मील, मुकदमा, मुरब्बा, मुकुट, मूँगा, मृग, मेघ, मेवा, मोक्ष, मोती, मोतीचूर, मोम, मोर, मोह, मौन, म्यान, मुरब्बा, मक्खन आदि।
32. य- यन्त्र, यति (संन्यासी), यम, यश, यातायात आदि।
33. र- रक्त, रबर, रमण, रहस्य, राग, रासो, रूपा, रेत, रोग, रोमांच, रिवाज, रूमाल आदि।
34. ल- लंगर, लक्ष्य, लगान, लगाव, लटकन, लाघव, लालच, लिहाज, लेख, लेप, लोप, लोभ, लेनदेन आदि।
35. व- वजन, वज्र, वन, वनवास, वर, वसन्त, वार, विकल्प, विक्रय, विघटन, विमर्श, विलास, विष, विवाद, विसर्जन, विस्फोट, विहार, वैष्णव, व्यंजन, व्यय, व्याख्यान, व्याज, व्यास, व्यूह आदि।
36. श- शंख, शक, शनि, शर, शव, शरबत, शहद, शाप, शिखर, शीर्ष, शील, शुक्र, शून्य, शोक, श्रम, श्र्वास आदि।
37. स- संकट, संकेत, संकोच, संखिया, संगठन, संगम, संचार, संयोग, सन्दूक, संन्यास, सम्पर्क, सम्बन्ध, संविधान, सतू, सफर, समीर, सर, सरोवर, सहन, सहयोग, सहारा, साग, साधन, साया, सार, सिंगार, सिन्दूर, सियार, सिर, सिल्क, सींग, सुमन, सुराग, सूअर, सूत, सूत्र, सूना, सूद, सूप, सेतु, सेब, सेवन, सोच, सोन, सोना, सोफा, सोम, सोहर (गीत), सौभाग्य, सौरभ, स्तर, स्थल, स्पर्श, स्वरूप, स्वर्ग, सवर्ण, स्वाद आदि।
38. ह– हंस, हक, हमला, हरण, हरिण, हल, हवाला, हार (माला), हाल (समाचार, दशा), हास्य, हित, हिल्लोल, हीरा, हेरफेर, हैजा, होंठ, होश, ह्रास आदि।
पुल्लिंग शब्द और उनके प्रयोग इस प्रकार हैं :-
1. प्राण – उसके प्राण उड़ गये।
2. घी – घी महँगा है।
3. अपराध – उनका अपराध क्षमा के योग्य है।
4. अकाल – राजस्थान में भीषण अकाल पड़ा था।
5. आईना – आईना टूट गया।
6. आयोजन – पूजा का आयोजन हो रहा है।
7. अम्बार – किताबों का अम्बार लगा हुआ है।
8. आँसू – मोहन के आँसू निकल पड़े।
9. इत्र – यह जैस्मिन का इत्र है।
10. ईंधन – ईंधन जला दिया गया।
11. कंबल – कंबल बहुत मोटा है।
12. कफन – कफन थोडा छोटा है।
13. कवच – यह सूअर की खाल का कवच है।
14. कीचड़ – कीचड़ सुख गया।
15. कुआँ – कुआँ गहरा है।
16. कुहासा – कुहासा छाया हुआ है।
17. गिरगिट – गिरगिट रंग बदल सकता है।
18. गुनाह – उसका गुनाह क्या है।
19. खलिहान – रामू का खलियान जल गया है।
20. घाव – घाव पक कर गहरा हो गया है।
21. चाबुक – तुम्हारा चाबुक गिर गया है।
22. चुनाव – चुनाव आने वाला है।
23. छप्पर – वह लकड़ी का छप्पर है।
24. जहाज – जहाज डूब गया है।
25. जख्म – जख्म हर हो गया है।
26. जुलुस – जुलूस लम्बा चलेगा।
27. जेल – यह मुम्बई का जेल है।
28. जौ – जौ का स्वाद अच्छा नहीं होता है।
29. टिकट – यह बस का टिकट है।
30. तकिया – यह रश्मी का तकिया है।
31. तीर – हाथ से अचानक तीर छुट गया।
32. तौलिया – यह स० डी० ओ० का तौलिया है।
33. दंगा – दंगा अच्छा नहीं होता है।
34. दाग – पान का दाग नहीं छूटता है।
35. नकद – उसने खरीद के नकद पैसे दिए हैं।
36. नीड़ – मेरा तो नीड़ उजड़ गया है।
37. नीलाम – जमीन को नीलाम होना ही है।
38. पतंग – पतंग उड़ रहा है।
39. पहिया – पहिया टूट चूका है।
40. फर्ज – हमारे प्रति उनका फर्ज बहुत ही ऊँचा है।
41. बोझ – उसके सिर पर बोझ रखा है।
42. भोर – भोर हो चूका है।
43. मोती – मोती चमकता रहता है ।
44. मोम – मोम पिघल रहा है ।
45. रुमाल – रुमाल फटने वाला है ।
46. शोक – उन्हें गाने का शोक है ।
47. सींग – गाय के दो सींग होते हैं ।
48. हार – यह हार बहुत महँगा है ।
49. होश – उनके होश उड़ चुके हैं ।
50. पानी – पानी साफ है ।
51. दही – दही बहुत खट्टा होता है ।
52. बचपन – सभी का बचपन बहुत सुंदर होता है ।
53. घर – घर साफ बना है ।
54. पर्वत – पर्वत बहुत ऊँचा है ।
55. उमंग – मन में उमंग बहुत अच्छी होती है ।
56. क्रोध – क्रोध आदमी को पागल कर देता है ।
57. गीत – वह गीत अच्छा नहीं है ।
58. वृक्ष – वृक्ष सुख चूका है ।
2. स्त्रीलिंग क्या होता है :-
जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का पता चलता है उसे स्त्रीलिंग कहते हैं ।
जैसे :- हंसिनी , लडकी , बकरी , माता , रानी , जूं , सुईं , गर्दन , लज्जा , बनावट , घोड़ी , कुतिया , बंदरिया , कुर्सी , पत्ती , नदी , शाखा , मुर्गी , गाय , बहन , यमुना , बुआ , लक्ष्मी , गंगा , लडकी , औरत , शेरनी , नारी , झोंपड़ी , लोमड़ी आदि ।
स्त्रीलिंग के अपवाद :-
जैसे :- जनवरी , मई , जुलाई , पृथ्वी , मक्खी , ज्वार , अरहर , मूंग , चाय , काफी , लस्सी , चटनी , इ , ई , ऋ , जीभ , आँख , नाक , उँगलियाँ , सभा , कक्षा , संतान , प्रथम , तिथि , छाया , खटास , मिठास , आदि ।
स्त्रीलिंग प्रत्यय :-
जब पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग बनाया जाता है तब प्रत्ययों को शब्दों में जोड़ा जाता है जिन्हें स्त्रीलिंग प्रत्यय कहते हैं ।
जैसे :-
ई = बड़ा – बड़ी , भला – भली आदि ।
इनी = योगी – योगिनी , कमल – कमलिनी आदि ।
इन = धोबी – धोबिन , तेल – तेली आदि ।
नि = मोर – मोरनी , चोर – चोरनी आदि ।
आनी = जेठ – जेठानी , देवर – देवरानी आदि ।
आइन = ठाकुर – ठकुराइन , पंडित – पण्डिताइन आदि ।
इया = बेटा – बिटिया , लोटा – लुटिया आदि ।
स्त्रीलिंग की पहचान :-
1. जिन संज्ञा शब्दों के पीछे ख , ट , वट , हट , आनी आदि आयें वे सभी स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- कडवाहट , आहट , बनावट , शत्रुता , मूर्खता , मिठाई , छाया , प्यास , ईख , भूख , चोख , राख , कोख , लाख , देखरेख , झंझट , आहट , चिकनाहट , सजावट , इन्द्राणी , जेठानी , ठकुरानी , राजस्थानी आदि ।
2. अनुस्वारांत , ईकारांत , उकारांत , तकारांत , सकारांत आदि संज्ञाएँ आती है वे स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- रोटी , टोपी , नदी , चिट्ठी , उदासी , रात , बात , छत , भीत , लू , बालू , दारू , सरसों , खड़ाऊं , प्यास , वास , साँस , नानी , बेटी , मामी , भाभी आदि ।
3. भाषा , बोलियों तथा लिपियों के नाम स्त्रीलिंग होती हैं :-
जैसे :- हिंदी , संस्कृत , देवनागरी , पहाड़ी , अंग्रेजी ,पंजाबी गुरुमुखी , फ्रांसीसी , अरबी ,फारसी, ज़र्मन ,बंगाली , रुसी आदि ।
4. नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं :-
जैसे :- गंगा , यमुना , गोदावरी , सरस्वती , रावी , कावेरी , कृष्णा , व्यास , सतलुज , झेलम , ताप्ती , नर्मदा आदि।
5. तरीखो और तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- पहली , दूसरी , प्रतिपदा , पूर्णिमा , पृथ्वी , अमावस्या , एकादशी , चतुर्थी , प्रथमा आदि ।
6. नक्षत्रो के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- अश्विनी , भरणी , रोहिणी , रेवती , मृगशिरा , चित्रा आदि ।
7. हमेशा स्त्रीलिंग रहने वाली संज्ञा होती हैं ।
जैसे :- मक्खी , कोयल , मछली , तितली , मैना आदि ।
8. समूहवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- भीड़ , कमेटी , सेना , सभा , कक्षा आदि ।
9. प्राणीवाचक संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- धाय , संतान , सौतन आदि ।
10. पुस्तकों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- कुरान , रामायण , गीता , रामचरितमानस , बाइबल , महाभारत आदि ।
11. आहारों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- सब्जी , दाल , कचौरी , पूरी , रोटी , पकोड़ी आदि ।
12. शरीर के अंगों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- आँख , नाक , जीभ , पलक , उँगली , ठोड़ी आदि ।
13. अभुष्ण और वस्त्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- साड़ी , सलवार , चुन्नी , धोती , टोपी , पेंट , कमीज , पगड़ी , माला , चूड़ी , बिंदी , कंघी , नथ , अंगूठी आदि ।
14. मशालों के नाम भी स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- दालचीनी , लौंग , हल्दी , मिर्च , धनिया , इलायची , अजवाइन , सौंफ , चाय आदि ।
15. राशि के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- कुम्भ , मीन , तुला , सिंह , मेष , कर्क आदि ।
स्त्रीलिंग के शब्द :-
1. अ- अँगड़ाई, अँतड़ी, अकड़, अक्ल, अदालत, अनबन, अप्सरा, अफवाह, अपेक्षा, अपील, अहिंसा, अरहर, अवस्था आदि ।
2. आ- आँच, आँत, आग, आजीविका, आज्ञा, आत्मा, आत्महत्या, आदत, आन, आपदा, आफत, आमद, आय, आयु, आराधना,आवाज, आस्तीन, आह, आहट, आशिष, आँख आदि ।
3. इ, ई- इंच, इन्द्रिय, इच्छा, इजाजत, इज्जत, इमारत, इला, ईट, ईद, ईख, ईर्ष्या आदि ।
4. उ, ऊ- उड़ान, उथल-पुथल, उपासना, उपेक्षा, उमंग, उम्र, उर्दू (भाषा), उलझन, उषा, ऊब आदि ।
5. ए, ऐ- एकता, ऐंठ, ऐंठन, ऐनक आदि ।
6. ओ, औ- ओट, ओस, औलाद आदि ।
7. क- कक्षा, कटुता, कड़क, कतार, कथा, कदर, कन्या, कमर, कमाई, कमान, कमीज, करवट, करुणा, कसक, कसम, कसरत, कपास, कसौटी, कस्तूरी, काँगरेस, काश्त, करतूत, किस्मत, किशमिश, क़िस्त (ऋण चुकाने का भाग), कीमत, कील, कुंजी, कुटिया, कुशल(कुशलता), कुल्हाड़ी, कूक, कृपा, कैद, कोख, कोयल, क्रिया, क्रीड़ा, क्षमा आदि ।
8. ख- खटपट, खटास, खटिया, खड़क, खडांऊँ, खनक, खपत, खबर, खरीद, खींच, खरोंच, खाँड़, खाई, खाज, खाट, खातिर, खाद, खाल, खान (खनि), खिजाँ, खिदमत, खोच, खीझ, खीर, खील, खुदाई, खुरमा, खुशामद, खैरात, खोट, खोह आदि ।
9. ग- गंगा, गन्ध, गजल, गटपट, गठिया, गड़बड़, गणना, गति, गदा, गनीमत, गफलत, गरज, गर्दन, गरिमा, गर्द, गर्दिश, गाँठ, गाजर, गाज (बिजली), गागर, गाथा, गाद, गिटपिट, गिरफ्त, गिरह, गिलहरी, गीता, गीतिका, गुंजाइश, गुड़िया, गुड्डी, गुफा, गुरुता, गेरू, गुलेल, गूज, गैल, गैस, गोट, गोद, गोपिका, गौ आदि ।
10. घ- घटा, घटिका, घास, घिन, घुड़दौड़, घुड़साल, घूस, घृणा, घोषणा आदि ।
11. च- चमेली, चकई, चटक (चमक-दमक), चट्टान, चपत, चपला, चर्चा, चमक, चहक, चहल-पहल, चाँदी, चाँप, चाट, चादर, चारपाई, चाल, चाह, चाहत, चालढाल, चिकित्सा, चिट, चिमनी, चिलक, चिल्लाहट, चिढ, चिता, चिन्ता, चित्रकला, चिनक, चिनगारी, चिप्पी, चिलम, चील, चीख, चींटी, चीनी, चुटिया, चुड़ैल, चुनरी, चुनौती, चुहल, चुहिया, चूक, चें-चें, चेचक, चेतना, चेष्टा, चोंच, चोट, चौपड़, चौखट आदि ।
12. छ- छटा, छत, छमछम, छलाँग, छवि, छाँह, छाछ, छानबीन, छाप, छाया, छाल, छींक, छींट, छीछालेदर, छूट, छूत, छेनी, छुआछूत आदि ।
13. ज- जंग, जंजीर, जँभाई, जगह, जटा, जड़, जनता, जमात, जलवायु, जमानत, जमावट, जमीन, जलन, जय, जरा, जरूरत, जाँच, जाँघ, जागीर, जान, जायदाद, जिज्ञासा, जिद, जिरह, जिल्द, जिल्लत, जिह्ना, जीत, जीभ, जूँ, जूठन, जेब, जेवनार, जोंक, जोत, ज्वाला आदि ।
14. झ- झंकार, झंझट, झख, झिझक, झड़प, झनकार, झपक, झपट, झपास, झरझर, झकझक, झलमल, झाड़फूंक, झाड़(झाड़ने की क्रिया), झाड़, झाँझ, झाँझर, झाँप, झाड़न, झाल, (तितास), झालर, झिड़क, झील, झूम आदि ।
15. ट- टकसाल, टक्कर, टपक, टहल, टाँक, टाँग, टाँय-टाँय, टाप, टाल-मटोल, टिकिया, टिप-टिप, टिप्पणी, टीक, टीपटाप, टीमटाम, टीस, टूट, टेंट, टेक, टेर, टोह, टोक, ट्रेन आदि ।
16. ठ- ठण्डक, ठक-ठक, ठनक, ठमक, ठिठक, ठिलिया, ठूँठ, ठेक, ठोकर, ठेस आदि ।
17. ड- डग, डगर, डपट, डाक, डाट, डाँक, डाल, डींग, डीठ, डोर, डिबिया आदि ।
18. ढ- ढोलक आदि ।
19. त- तन्द्रा, तकरीर, तकदीर, तकरार, तड़क-भड़क, तड़प, तबीयत, तमत्रा, तरंग, तरकीब, तरफ, तरह, तरावट, तराश, तलब, तलवार, तलाश, तशरीफ, तह, तहजीब, तहसील, तान, ताक-झाँक, ताकत, तादाद, ताकीद, तातील, तारीफ, तालीम, तासीर, तिजारत, तीज, तुक, तुला, तोंद, तोबा, तोप, तोल, तोशक, त्योरी, त्रिया आदि ।
20. थ- थकान, थकावट, थरथर, थलिया, थाप, थाह आदि ।
21. द- दक्षिण, दगा, दतवन, दमक, दरखास्त, दरगाह, दरार, दलदल, दस्तक, दहाड़, दारू, दहशत, दावत, दिनचर्या, दिव्या, दीक्षा, दीठ, दीद, दीमक, दीवार, दुआ, दुकान, दुविधा, दुत्कार, दुम, दूरबीन, दुनिया, दुर्दशा, दूर, दूब, देखभाल, देखरेख, देन, देह आदि ।
22. ध- धड़क, धड़कन, धरपकड़, धमक, धरा, धरोहर, धाक, धातु, धाय, धार, धारणा, धुन्ध, धुन, धूम, धूप (सूर्य-प्रकाश), धूपछाँह, धौंक, धौंस, ध्वजा आदि ।
23. न- नकल, नस (स्त्रायु), नकाव, नकेल, नजर, नहर, नजाकत, नजात, नफरत, नफासत, नसीहत, नब्ज, नमाज, नाँद, नाक, निगाह, निद्रा, निराशा, निशा, निष्ठा, नींद, नीयत, नुमाइश, नोक, नोकझोंक, नौबत, नालिश, नेत्री आदि ।
24. प- पंचायत, पंगत, पकड़, पखावज, पछाड़, पतवार, पटपट, पतझड़, पताका, पत्तल, पनाह, परख, पसन्द, परवाह, परत, परात, परिक्रमा, परिषद, परीक्षा, पलटन, पहचान, पहुँच, पायल, पिपासा, पिस्तौल, पुलिस, पुश्त, पुड़िया, पुकार, पूछताछ, पूँछ, पेंसिल, पेंशन, पोशाक, पैदावार, पौध, प्रकिया, प्रतिज्ञा, प्रतिभा, प्रतीक्षा, प्रभा आदि ।
25. फ- फजीहत, फटकार, फटकन, फतह, फरियाद, फसल, फिक्र, फुरसत, फुलिया, फुहार, फूंक, फूट, फीस, फौज आदि ।
26. ब- बन्दूक, बकवास, बयार, बगल, बचत, बदबू, बदौलत, बधाई, बनावट, बरात, बर्दाश्त, बर्फ, बला, बहार, बाँह, बातचीत, बाबत, बरसात, बुलाहट, बूँद, बूझ, बेर (दफा या बार), बैठक, बोतल, बोलचाल, बौखलाहट, बौछार आदि ।
27. भ-भगदड़, भड़क, भनक, भभक, भरमार, भभूत, भाँग, भाप, भार्या, भिक्षा, भीख, भीड़, भुजा, भूख, भेंट, भेड़, भैंस, भौंह आदि ।
28. म- मंजिल, मंशा, मचक, मचान, मजाल, मखमल, मटक, मणि, मसनद, ममता, मरम्मत, मर्यादा, मलमल, मशाल, मज्जा, मशीन, मस्जिद, महक, मसल, महफिल, महिमा, माँग, माता, मात्रा, माया, माप, माला, मिठास, मिर्च, मिलावट, मीनार, मुद्रा, मुराद, मुलाकात, मुसकान, मुसीबत, मुस्कराहट, मुहब्बत, मुहर, मूँग, मूँछ, मूर्खता, मेखला, मेहनत, मैना, मैल, मौज, मौत, मृत्यु आदि ।
29. य- यमुना, याचना, यादगार, यातना, यात्रा, यामा, योजना आदि ।
30. र- रक्षा, रचना, रात, राह, रेखा, रंगत, रकम, रंग, रगड़, रफ्तार, रस्म, राख, रामायण, राय, राहत, रियासत, रिमझिम, रीढ़, रुकावट, रूह, रेणु, रेत (बालू), रेल, रोक, रोकड़, रोर, रौनक, रोकटोक,रोटी आदि ।
31. ल- लौंग, लड़ाई, लता, ललकार, लात, लहर, लार, लालटेन, लंका, लकीर, लगन, लगाम, लटक, लताड़, लचर, लज्जा, लट, लपक, ललक, ललकार, लहर, लात, लाज, लालमिर्च, लाश, लीक, लोटपोट, लू आदि ।
32. व- वकालत, वायु, विद्या, विनय, वसीयत, विजय, विदाई, विधवा, व्यथा, विदुषी आदि ।
33. श- शंका, शक्कर, शराब, शान, शाम, शरण, शर्त, शतरंज, शक्ल, शराफत, शबनम, शान, शाखा, शिखा, शिकायत, श्रद्धा।
34. स- सरसों, संस्कृत, संस्था, सजावट, सड़क, समझ, सभ्यता, समस्या, सरकार, ससुराल, साँझ, साँस, सिगरेट, सीमा, सुधा, सुविधा, सुबह, सूझ, सेना, सैर, साजिश, सनक, सन्तान (औलाद), सम्पदा, संसद आदि ।
35. ह-हजामत, हड़ताल, हत्या, हवा, हलचल, हाय, हाट, हालत, हिंसा, हिचक, हिम्मत, हींग, हरकत, हड़प, हद, हकीकत, हिफाजत, हैसियत, हिम्मत आदि ।
स्त्रीलिंग के शब्द और प्रयोग इस प्रकार हैं :-
1. आदत – मुझे शराब पीने की आदत है ।
2. आय – मेरी आय ठीक है ।
3. आँख – उनकी आँख बहुत छोटी – छोटी हैं ।
4. आग – घर में आग लग गई ।
5. इच्छा – मेरी इच्छा सोने की हैं ।
6. ईट – ईंट बिलकुल पक चुकी है ।
7. ईर्ष्या – दूसरों से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए ।
8. उम्र – तुम्हारी उम्र लंबी है ।
9. ऊब – नीरस बातों से ऊब होती है ।
10. कब्र – कब्र खोदी जा चुकी है ।
11. कमर – मेरी कमर में बहुत दर्द है ।
12. कसम – मैंने उनकी कसम खायी है ।
13. कलम – कलम टूट चुकी है ।
14. खटिया – उसकी तो खटिया खड़ी हो गई ।
15. खोज – गुमशुदा व्यक्तियो की खोज अभी तक जारी है ।
16. खबर – उसकी मृत्यु की खबर गलत निकली थी ।
17. गर्दन – मेरी गर्दन फंस गई है ।
18. घूस – घूस बहुत ही बुरी चीज है ।
19. घात – चील साँप की घात में है ।
20. चमक – उनके चेहरे की चमक गायब हो चुकी है ।
21. चिढ – राम की चिढ बहुत महंगी पड़ी ।
22. चाल – घोड़े की चाल अच्छी होती है ।
23. चील – चील आकाश में उड़ रही है ।
24. छत – छत टूट चुकी है ।
25. जाँच – जाँच पूरी नहीं हुई है ।
26. जीभ – जीभ कटी नहीं है ।
27. जूं – मेरे सिर में जूं हो रही हैं ।
28. झंझट – झंझट में कभी नहीं पड़ना चाहिए ।
29. तांग – मरी तांग टूटने से बच गई है ।
30. ठेस – उसे बहुत ठेस लगी है ।
31. किताब – किताब बहुत पुराणी है ।
32. तबियत – उनकी तबियत ठीक है ।
33. थकावट – सारा दिन काम करने से शरीर में थकावट हो गई है ।
34. दीवार – दीवार गिर चुकी है ।
35. देह – उनकी देह बहुत मोटी है ।
36. धूप – धूप निकल गई है ।
37. नकल – मेरी नकल मत किया करो ।
38. नहर – नहर का पानी बहुत गंदा है ।
39. नब्ज – मै उसकी नब्ज पहचानता हूँ ।
40. प्रतिज्ञा – मेरी प्रतिज्ञा अटल है ।
41. फटकार – मैंने उसमे फटकार लगाई ।
42. बंदूक – यह सीता की बंदूक है ।
43. बर्फ – बर्फ गिर चुकी है ।
44. बालू – बालू पीली है ।
45. बूंद – पानी की बुँदे एक एक करके गिर रही हैं ।
46. भीख – भीख कभी नही देनी चाहिए ।
47. भीड़ – वहाँ पर भीड़ लग रही थी ।
48. भूख – मुझे भूख लग रही है ।
49. मूंछ – उनकी मूंछें नुकीली नहीं है ।
50. यात्रा – यात्रा अच्छी हुई थी ।
51. लाश – लाश सड चुकी है ।
52. लीक – यह लिक किस तरह की है ।
53. लु – लु चलने से उसे चक्कर आ गया ।
54. शराब – शराब बहुत महंगी है ।
55. विजय – युद्ध में उनकी विजय हुई ।
56. सजा – उसे दो साल की सजा हुई है ।
57. सडक – सडक बहुत छोटी है ।
58. साँझ – साँझ हो चुकी है ।
नोट :- आपको जिस संज्ञा शब्द का लिंग बदलना है पहले उसका बहुवचन में परिवर्तन कीजिए । बहुवचन में बदलने के बाद अगर शब्द के पीछे ऍ या आँ आये तो वो स्त्रीलिंग है और अगर पीछे ऍ और आँ नहीं आता है तो वह पुल्लिंग होगा ।
जैसे :-
पंखा – पंखे = आँ या ऍ नहीं आया है तो यह पुल्लिंग है ।
चाबी – चाबियाँ = आँ आया है तो यह स्त्रीलिंग हैं ।
शब्दों का लिंग परिवर्तन इस प्रकार है :-
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग इस प्रकार हैं :-
1. कवि = कवियित्री
2. विद्वान् = विदुषी
3. नेता = नेत्री
4. महान = महती
5. साधु = साध्वी
6. दादा = दादी
7. बालक = बालिका
8. घोडा = घोड़ी
9. शिष्य = शिष्या
10. छात्र = छात्रा
11. बाल = बाला
12. धोबी = धोबिन
13. पंडित = पण्डिताइन
14. हाथी = हथिनी
15. ठाकुर = ठकुराइन
16. नर = मादा
17. पुरुष = स्त्री
18. युवक = युवती
19. सम्राट = सम्राज्ञी
20. मोर = मोरनी
21. सिंह = सिंहनी
22. सेवक = सेविका
23. अध्यापक = अध्यापिका
24. पाठक = पाठिका
25. लेखक = लेखिका
26. दर्जी = दर्जिन
27. ग्वाला = ग्वालिन
28. मालिक = मालकिन
29. शेर = शेरनी
30. ऊँट = ऊंटनी
31. गायक = गायिका
32. शिक्षक = शिक्षिका
33. वर = वधू
34. श्रीमान = श्रीमती
35. भेड़ = भेडा
36. नाग = नागिन
37. पडोस = पड़ोसिन
38. मामा = मामी
39. बलवान = बलवती
40. नर तितली = तितली
41. भेडिया = मादा भेडिया
42. नर मक्खी = मक्खी
43. कछुआ = मादा कछुआ
44. नर चील = चील
45. खरगोश = मादा खरगोश
46. नर चीता = चीता
47. भालू = मादा भालू
48. नर मछली = मछली
49. घोडा = घोड़ी
50. देव = देवी
51. लड़का = लडकी
52. ब्राह्मण = ब्राह्मणी
53. बकरा = बकरी
54. चूहा = चुहिया
55. चिड़ा = चिड़िया
56. बेटा = बिटिया
57. गुड्डा = गुडिया
58. लोटा = लुटिया
59. माली = मालिन
60. कहार = कहारिन
61. सुनार = सुनारिन
62. लुहार = लुहारिन
63. नौकर = नौकरानी
64. चौधरी = चौधरानी
65. देवर = देवरानी
66. सेठ = सेठानी
67. जेठ = जेठानी
68. बाल = बाला
69. सुत = सुता
70. तपस्वी = तपस्विनी
71. हितकारी = हितकारिनी
72. स्वामी = स्वामिनी
73. परोपकारी = परोपकारिनी
74. दास = दासी आदि ।
पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों में प्रयुक्त होने वाले शब्द इस प्रकार हैं :-
प्रधानमंत्री , मुख्यमंत्री , राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , चित्रकार , पत्रकार , गवर्नर ,लेक्चर , वकील , डॉक्टर , सेक्रेटरी , प्रोफेसर , शिशु , दोस्त , बर्फ , मेहमान , मित्र , ग्राहक , प्रिंसिपल , मैनेजर , श्र्वास , मंत्री आदि ।
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम इस प्रकार हैं :-
1. अ , आ पुल्लिंग शब्दों को जब ‘ ई ‘ कर दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं ।
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) गूँगा = गूँगी
(ii) गधा = गधी
(iii) देव = देवी
(iv) नर = नारी
(v) नाला = नाली
(vi) नाना = नानी
(vii) मोटा = मोटी
(viii) बन्दर = बंदरी
(ix) लड़का = लडकी
(x) मुर्गा = मुर्गी
(xi) दादा = दादी
(xii) घोडा = घोड़ी
(xiii) बेटा = बेटी
(xiv) कबूतर = कबूतरी
(xv) काला = काली
(xvi) दास = दासी
(xvii) पोता = पोती
(xviii) चाचा = चाची
(xix) मामा = मामी
(xx) काका = काकी
(xxi) साला = साली
(xxii) पुत्र = पुत्री
(xxiii) नट = नटी
(xxiv) बकरा = बकरी आदि ।
2. जब अ , आ , वा आदि पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में बदला जाता है तो अ, आ, तथा वा की जगह पर ‘ इया ‘ लगा दिया जाता हैं ।
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
(i) लोटा = लुटिया
(ii) बन्दर = बंदरिया
(iii) बुढा = बुढिया
(iv) बेटा = बिटिया
(v) चिड़ा = चिड़िया
(vi) कुत्ता = कुतिया
(vii) चूहा = चुहिया
(viii) बाछा = बछिया
(ix) खाट = खटिया
3. जब अक जैसे तत्सम शब्दों में ‘ इका ‘ जोडकर भी स्त्रीलिंग बनाए जाते हैं ।
तत्सम शब्द + इका = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं ।
(i) अध्यापक + इका = अध्यापिका
(ii) पत्र + इका = पत्रिका
(iii) चालक + इका = चालिका
(iv) सेवक + इका = सेविका
(v) लेखक + इका = लेखिका
(vi) गायक + इका = गायिका
(vii) पाठक + इका = पाठिका
(viii) संपादक + इका = संपादिका
(ix) बालक + इका = बालिका
(x) भक्षक + इका = भक्षिका
(xi) पालक + इका = पालिका आदि ।
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
4. जब पुल्लिंग को स्त्रीलिंग बनाया जाता है तो कभी कभी नर या मादा लगाना पड़ता है ।
(i) तोता = मादा तोता
(ii) खरगोश = मादा खरगोश
(iii) मच्छर = मादा मच्छर
(iv) जिराफ = मादा जिराफ
(v) खटमल = मादा खटमल
(vi) मगरमच्छ = मादा मगरमच्छ
(vii) उल्लू = मादा उल्लू
(viii) कोयल = नर कोयल
(ix) चील = नर चील
(x) मकड़ी = नर मकड़ी
(xi) भेड़ = नर भेड़
(xii) मक्खी = नर मक्खी
(xiii) गिलहरी = नर गिलहरी
(xiv) मैना = नर मैना
(xv) कछुआ = नर कछुआ
(xvi) भालू = मादा भालू
(xvii) भेडिया = मादा भेडिया आदि ।
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
5. कुछ शब्द स्वतंत्र रूप से स्त्री -पुरुष के स्वंय में ही जोड़े होते हैं । कुछ पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग बिलकुल उल्टे होते हैं ।
(i) राजा = रानी
(ii) सम्राट = सम्राज्ञी
(iii) पिता = माता
(iv) भाई = बहन
(v) वर = वधू
(vi) पति = पत्नी
(vii) मर्द = औरत
(viii) पुरुष = स्त्री
(ix) बैल = गाय
(x) पुत्र = कन्या
(xi) फूफा = बुआ
(xii) साहब = मेम
(xiii) बिलाव = बिल्ली
(xiv) बेटा = पुतोहू आदि ।
पुल्लिंग + आनी = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
6. कुछ शब्दों का स्त्रीलिंग न हो पाने की वजह से उनमें ‘ आनी ‘ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है ।
(i) ठाकुर + आनी = ठकुरानी
(ii) सेठ + आनी = सेठानी
(iii) चौधरी + आनी = चौधरानी
(iv) देवर +आनी = देवरानी
(v) नौकर + आनी = नौकरानी
(vi) इंद्र + आनी = इन्द्राणी
(vii) जेठ + आनी = जेठानी
(viii) मेहतर + आनी = मेहतरानी
(ix) पण्डित +आनी = पंडितानी
पुल्लिंग + इन = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
7. कभी कभी पुल्लिंग के कुछ शब्दों में ‘ इन ‘ जोडकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है ।
(i) साँप + इन = सांपिन
(ii) सुनार + इन = सुनारिन
(iii) नाती + इन = नातिन
(iv) दर्जी + इन = दर्जिन
(v) कुम्हार + इन = कुम्हारिन
(vi) लुहार + इन = लुहारिन
(vii) माली + इन = मालिन
(viii) धोबी + इन = धोबिन
(ix) बाघ + इन = बाघिन आदि ।
पुल्लिंग + आइन = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
8. कभी कभी बहुत से शब्दों में ‘ आइन ‘ जोडकर स्त्रीलिंग बनाए जाते हैं ।
(i) चौधरी + आइन = चौधराइन
(ii) हलवाई + आइन = हलवाइन
(iii) गुरु + आइन = गुरुआइन
(iv) पंडित + आइन = पण्डिताइन
(v) ठाकुर + आइन = ठकुराइन
(vi) बाबू +आइन = बबुआइन आदि ।
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
9. जब पुल्लिंग शब्दों में ता की जगह पर ‘ त्री ‘ लगा दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग बन जाते हैं ।
(i) नेता = नेत्री
(ii) दाता = दात्री
(iii) अभिनेता = अभनेत्री
(iv) रचयिता = रचयित्री
(v) विधाता = विधात्री
(vi) वक्ता = वक्त्री
(vii) धाता = धात्री आदि ।
पुल्लिंग शब्द + नी = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
10. जब पुल्लिंग के जाति और भाव बताने वाले शब्दों में नी लगा दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं ।
(i) सियार + नी = सियारनी
(ii) हिन्दू + नी = हिन्दुनी
(iii) ऊँट + नी = ऊंटनी
(iv) शेर + नी = शेरनी
(v) भील + नी = भीलनी
(vi) हंस + नी = हंसनी
(vii) मोर + नी = मोरनी
(viii) चोर + नी = चोरनी
(ix) हाथी + नी = हथिनी
(x) सिंह + नी = सिंहनी आदि ।
पुल्लिंग शब्द + इनी = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
11. पुल्लिंग शब्दों में जब ‘ इनी ‘ जोड़ दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग बन जाते हैं ।
(i) तपस्वी + इनी = तपस्विनी
(ii) स्वामी + इनी = स्वामिनी
(iii) मनस्वी + इनी = मनस्विनी
(iv) अभिमान + इनी = अभिमानिनी
(v) दंडी + इनी = दंडिनी
(vi) संन्यासी + इनी = संन्यासिनी
(vii) सुहास + इनी = सुहासिनी आदि ।
पुल्लिंग = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
12. संस्कृत के पुल्लिंग शब्दों मान और वान को जब वती और मति में बदल दिया जाता है तो वे स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं ।
(i) बुद्धिमान = बुद्धिमती
(ii) पुत्रवान = पुत्रवती
(iii) श्रीमान = श्रीमती
(iv) भाग्यवान = भाग्यवती
(v) आयुष्मान = आयुष्मती
(vi) भगवान = भगवती
(vii) धनवान = धनवती आदि ।
अकारांत + आ = स्त्रीलिंग के उदहारण इस प्रकार हैं :-
13. संस्कृत के अकारांत शब्दों में आ लगा देने से वे स्त्रीलिंग हो जाते हैं ।
(i) तनुज + आ = तनुजा
(ii) चंचल + आ = चंचला
(iii) आत्मज + आ = आत्मजा
(iv) सुत +आ = सुता
(v) प्रिय + आ = प्रिया
(vi) पूज्य +आ = पूज्या
(vii) श्याम + आ = श्यामा
(viii) भैस + आ = भैंसा
(ix) भेड़ + आ = भेडा
(x) मौसी +आ = मौसा
(xi) जीजी + आ = जीजा आदि ।
लिंग निर्णय करने के लिए प्रकार इस तरह से हैं :-
1. तत्सम शब्दों का लिंग निर्णय
2. संस्कृत शब्दों का लिंग निर्णय
3. तद्भव शब्दों का लिंग निर्णय
4. अर्थ के अनुसार लिंग निर्णय
5. प्रत्ययों के आधार पर तद्भव हिंदी शब्दों का लिंग निर्णय
6. उर्दू शब्दों का लिंग निर्णय
1. तत्सम शब्दों का लिंग निर्णय :- तत्सम शब्दों के लिंग निर्णय को दो भागों में बाँटा गया है ।
(क) तत्सम पुल्लिंग शब्द
(ख) तत्सम स्त्रीलिंग शब्द
(क) तत्सम पुलिंग शब्द :-
अ , आ से शुरू होने वाले शब्द :-
1. अध्याय , आश्र्चर्य , अंकन , अंकुश , अंजन , अंचल , अन्तर्धान , अन्तस्तल , अम्बुज , अंश , अकाल , अक्षर , अलंकार , अनुच्छेद , अवमान, अनुमान , आकलन , आमंत्रण , आक्रमण , आभार , आवास , अपराध आदि ।
उ , ऊ से शुरू होने वाले शब्द :-
2. उरोज , उपहार , उत्तर , उद्भव , उपकरण आदि ।
च से शुरू होने वाले शब्द :-
3. चित्र , चन्द्र , चन्दन आदि ।
प से शुरू होने वाले शब्द :-
4. पत्र , पात्र , पोषण , पालन , प्रकार , प्रहार , प्रचार , प्रसार , पश्र , प्रहर , परिमाण, परिमार्जन, परिवर्तन, परिशोध, परिशीलन, प्राणदान, प्रान्त, पक्ष, पृष्ट, प्रवेश, प्रभाव आदि ।
म से शुरू होने वाले शब्द :-
5. मित्र, मलयज, माधुर्य, मास, मोद, मस्तक, मेघ, मर्म, मार्ग आदि ।
ग से शुरू होने वाले शब्द :-
6. गोत्र, गमन, गगन, ग्रन्थ, गज, गण, ग्राम, गृह, आदि ।
श ,स ,श्र से शुरू होने वाले शब्द :-
7. श्रवण, शोषण, सतीत्व, स्वाध्याय, शिख, सुख, शंख, सरोवर, संस्करण, संशोधन, सोमवार, स्वदेश, सर्प, सागर, साधन, सार, स्वर्ग, शासन, शिविर, स्वास्थ्य, समाज, श्रम, सन्देश, संघ, संकल्प आदि ।
ल से शुरू होने वाले शब्द :-
8. लालन, लाघव, लोभ, लोक आदि ।
ज , क , न से शुरू होने वाले शब्द :-
9. जलज, कृत्य, कार्य, कर्म, क्रोध, नख , काष्ट, कष्ट, कल्याण, कवच, कायाकल्प, कलश, काव्य, कास, नगर, नियम, निमन्त्रण, नियंत्रण, निबन्ध, नाटक, निगम, न्याय, निर्माण, न्याय आदि ।
र, य , व् और ध से शुरू होने वाले शब्द :-
10. वीर्य, विहार, वचन, यवन, रविवार, राजयोग , रूपक , राष्ट्र , धन, विधेयक, विनिमय, विनियोग, विभाग, विभाजन, विऱोध, विवाद, वाणिज्य, वाद, विघटन, विसर्जन, विवाह, व्याख्यान, धर्म, विराम, विक्रम आदि ।
द , ब , छ और ह , ज्ञ से शुरू होने वाले शब्द :-
11. दमन, ह्रास, बोध , दुःख, तुषार, तुहिन, छत्र, क्षण, छन्द, तत्त्व, बहुमत, ज्ञापक, छात्रावास आदि ।
(ख) तत्सम स्त्रीलिंग शब्द :-
द और म से शुरू होने वाले शब्द :-
1. दया, माया, महिमा, मण्डली, मृत्यु आदि ।
क, ल , क्ष से शुरू होने वाले शब्द :-
2. कृपा, लज्जा, क्षमा, कालिमा, लालिमा, काया, कला, क्षति, कृति, कटि ,केलि, लक्ष्मी, कुण्डली, कुण्डलिनी, कौमुदी आदि ।
श , स , श्र और र से शुरू होने वाले शब्द :-
3. शोभा, सभा, समवेदना, रचना, सुन्दरता ,रक्षा, संहिता, सीमा, स्थापना, संस्था, सहायता, शिक्षा, समता, सम्पदा, संविदा, सूचना, सेवा, सेना, सिद्धि, समिति, रीति, शक्ति, स्थित ,शान्ति, सन्धि, समिति, सम्पत्ति, सुसंगति, रुचि, शताब्दी, श्री, रज्जु, रेणु आदि ।
प, व् , घ और अ , आ से शुरू होने वाले शब्द :-
4. प्रार्थना, वेदना, प्रस्तावना, घटना, अवस्था, प्रभुता, अभिलाषा, आशा, पूर्णिमा, अरुणिमा, अनुज्ञा, आज्ञा, आराधना, आजीविका, घोषणा, परीक्षा, व्याख्या, विज्ञप्ति, अनुमति, अभियुक्ति, अभिव्यक्ति, विधि, पूर्ति, विकृति, प्रतिकृति, प्रतिभूति, प्रतिलिपि, अनुभूति, परिस्थिति, विमति, वृत्ति, आवृत्ति, अग्नि, आयु, वस्तु, वायु आदि ।
न , ज ,ग , ध से शुरू होने वाले शब्द :-
5. नम्रता, जड़ता, गरिमा, निराशा, गवेषणा, नगरपालिका, नागरिकता, जाति, निधि, नियुक्ति, निवृत्ति, धृति , नदी, नारी, गोष्ठी, धात्री आदि ।
ह , य , उ , इ , च , छ से शुरू होने वाले शब्द :-
6. ईष्र्या, भाषा, चपला, इच्छा, उपासना, याचना, योग्यता, उपलब्धि, युक्ति, हानि, छवि आदि ।
2. संस्कृत शब्दों का लिंग निर्णय :-
संस्कृत के लिंग निर्णय को दो भागों में बाँटा जाता है ।
(क) संस्कृत पुल्लिंग शब्द
(ख) संस्कृत स्त्रीलिंग शब्द
(क) संस्कृत पुल्लिंग शब्द व नियम इस प्रकार हैं :-
1. जब संज्ञाओं के अंत में त्र होता है ।
जैसे :- चित्र , चरित्र , पत्र , पात्र , नेत्र , क्षेत्र , शस्त्र आदि ।
2. नान्त संज्ञाएँ संस्कृत पुल्लिंग शब्दों में आती हैं ।
जैसे :- पालन , पोषण , चरण , हरन , गमन , नयन , वचन , दमन , दामन आदि ।
3. जिन संज्ञाओं के अंत में ज होता है ।
जैसे :- जलज , स्वेदज , पिंडज , सरोज , जहाज आदि ।
4. जिन संज्ञाओं के अंत में त्व , त्य , व् , य होता है ।
जैसे :- सतीत्व , बहुत्व , नृत्य , कृत्य , गौरव , माधुर्य आदि ।
5. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में आस , वा , आर , आय होता है ।
जैसे :- विस्तार , अध्याय , उपाध्याय , उपाय , समुदाय , विकार , संसार , उल्लास , विकास , ह्रास आदि ।
6. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में अ आते हैं ।
जैसे :- क्रोध , कलम , कमल , मोह , पाक , त्याग , दोष , स्पर्श आदि ।
7. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में त आता है ।
जैसे :- चरित , फलित , गणित , गीत , मत , स्वागत आदि ।
8. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में ख आता है ।
जैसे :- नख , मुख , सुख , दुःख , लेख , मख , शख आदि ।
(ख) संस्कृत स्त्रीलिंग शब्द व् उनके नियम इस प्रकार हैं :-
1. जहाँ पर अकारांत संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- दया , माया , क्षमा , लज्जा , शोभा आदि ।
2. जहाँ पर नकारांत संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- प्रार्थना , वेदना , रचना , घटना आदि ।
3. जहाँ पर उकारांत संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- धातु , आयु , वस्तु , वायु , रेनू , रज्जू , जानू आदि ।
4. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में ति और नि आता है ।
जैसे :- गति , रति , हानि , नीति , रीति , जीति , जाति , मति , ग्लानी , योनी आदि ।
5. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में ता आता है ।
जैसे :- त्रमता , लघुता , सुन्दरता , प्रभुता ,जड़ता , गीता आदि ।
6. जहाँ पर इकारांत संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- निधि , परिधि , विधि , राशि , अग्नि , छवि , केलि आदि ।
7. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में इमा आता है ।
जैसे :- महिमा , गरिमा , कालिमा , लालिमा , रिधिमा आदि ।
3. तद्भव शब्दों का लिंग निर्णय :-
तद्भव शब्दों के लिंग निर्णय को दो भागों में बाँटा गया है ।
(क) तद्भव पुल्लिंग शब्द
(ख) तद्भव स्त्रीलिंग शब्द
(क) तद्भव पुल्लिंग शब्द व् उनके नियम इस प्रकार हैं :-
1. जहाँ पर उकारांत संज्ञाओं को छोडकर शेष आकारान्त संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- कपड़ा , गन्ना , आटा , पैसा , चमक , पहिया , चमडा आदि ।
2. जिन संज्ञाओं के अंत में ना , आव , पन , वा , पा होता है ।
जैसे :- आना , गाना , बहाव , चढ़ाव , खिचाव , बढ़ावा , बुढ़ापा आदि ।
(ख) तद्भव स्त्रीलिंग शब्द व् उनके नियम इस प्रकार हैं :-
1. जहाँ पर इकारांत संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- नदी , सदी , चिट्ठी , रोटी , जूती , आदि ।
2. जहाँ पर ऊनवाचक यकारांत संज्ञा होता है ।
जैसे :- गुडिया , डिबिया , पुडिया , खटिया , टिबिया आदि ।
3. जहाँ पर तकारांत संज्ञा होती है ।
जैसे :- रात , बात , जात , लात , छत , खत , पत , भीत आदि ।
4. जहाँ पर उकारांत संज्ञा होती है ।
जैसे :- बालू , आलू , झाड़ू , ब्यालू , लू , दारू आदि ।
5. जहाँ पर अनुस्वारांत संज्ञा होती है ।
जैसे :- सरसों , खडाऊँ , भौं , जूँ आदि ।
6. जहाँ पर सकारांत संज्ञाएँ होती हैं ।
जैसे :- प्यास , मिठास , खटास , उदास , निदास , बाँस , सांस आदि ।
7. जहाँ पर कृदंत नकारांत संज्ञा होती है ।
जैसे :- रहन ,सहन , सूजन , जलन , उलझन आदि ।
8. जहाँ पर कृदंत की आकारान्त संज्ञाएँ होती है ।
जैसे :- लुट , मार , समझ , दौड़ , रगड , चमक आदि ।
9. जहाँ पर अंत में ट , वट , हट होता है ।
जैसे :- सजावट , घबराहट , चिकनाहट , आहट आदि ।
10. जिन संज्ञा शब्दों के अंत में ख आता है ।
जैसे :- ईंख , भूख , राख , कांख , कोख , साख आदि ।
4. अर्थ के अनुसार लिंग निर्णय :-
अर्थ के अनुसार लिंग निर्णय को दो भागों में बाँटा गया है ।
(क) अप्राणीवाचक पुल्लिंग हिंदी शब्द
(ख) अप्राणीवाचक स्त्रीलिंग हिंदी शब्द
(क) अप्राणीवाचक पुल्लिंग हिंदी शब्द और नियम इस प्रकार हैं :-
1. शरीर के अंगों के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- कान , दांत , मुंह , ओठ , पाँव , गाल , तालु , सिर , मस्तक , अंगूठा , मुक्का , नाख़ून , नथना , गट्टा , हाथ आदि ।
2. इसमें रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- मोती , पत्रा , हीरा , जवाहर , मूँगा , नीलम , पुखराज , लाल आदि ।
3. इसमें धातुओं के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- ताँबा , लोहा , चाँदी , पीतल , सोना , कांसा , टीन , स्टील आदि ।
4. इसमें अनाज के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- जौ , गेंहूँ , चावल , बाजरा , चना , मटर आदि ।
5. इसमें पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- अशोक , तमाल , पीपल , बड , देवदार , आम , शीशम , सागौन , कटहल , नीबू , सेब , बादाम , अखरोट आदि ।
6. इसमें द्रव्यों के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- पानी , घी , दूध , तेल , शरबत , इत्र , सिरका , रायता , लस्सी आदि ।
7. इसमें स्थान और जलों के नाम पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- देश , नगर , शहर , नभोमण्डल , वायुमंडल , पाताल , समुद्र , सरोवर , पर्वत आदि ।
(ख) अप्राणीवाचक स्त्रीलिंग हिंदी शब्द और नियम इस प्रकार हैं :-
1. इसमें नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- गंगा , जमुना , सरस्वती , ब्रह्मपुत्र , सतलुज , गोदावरी , रावी , झेलम , व्यास आदि ।
2. इसमें नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- भरणी , अश्विनी , रोहिणी आदि ।
3. दुकानदार की चीजें स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- लौंग , इलायची , मिर्च , दालचीनी , हल्दी , सुपारी , हींग आदि ।
4. इसमें खाने पिने की चीजें स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- कचौड़ी , खीर, पूरी , दाल , पकौड़ी , रोटी , चपाती , तरकारी , खिचड़ी आदि ।
प्रत्ययों के आधार पर तद्भव हिंदी शब्दों का लिंग निर्णय :-
प्रत्ययों के आधार पर तद्भव हिंदी शब्दों का लिंग निर्णय चार भागों में बाँटा गया है ।
(क) स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्यय
(ख) पुल्लिंग कृदंत प्रत्यय
(ग) स्त्रीलिंग तद्धित प्रत्यय
(घ) पुल्लिंग तद्धित प्रत्यय
(क) स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में अ , अंत , आई , आन , आवट , आस , आहट , ई , औती , आवनी , क , की , ती , नि आदि शब्द आते हैं ।जिन धातु शब्दों में हिंदी के कृदंत प्रत्यय लगे होते हैं वे स्त्रीलिंग होते हैं । इन स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्ययों में अ , क और न प्रत्यय कहीं कहीं पर पुल्लिंग में भी आ जाते हैं ।
जैसे :- लूट , चमक , देन , भिडंत , लखावत , प्यास , घबराहट , हँसी , मनौती , छावनी , बैठक , फुटकी , बचत , गिनती , करनी , सीवन आदि ।
(ख) पुल्लिंग कृदंत प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में अक्कड , आ , आऊ , आक , आकू , आप , आपा , आव , इयल , इया , ऊ , एरा , ऐया , ऐत , औता , औना , औवल , क , का , न , वाला आदि शब्द आते हैं । जिन धातु शब्दों में हिंदी कृदंत प्रत्यय लगे होते हैं वे पुल्लिंग होते हैं । क और न को उभयलिंग ही माना जाता है । इन दोनों प्रत्ययों को और स्त्रीलिंग प्रत्ययों को छोडकर सभी पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- भुलक्कड , मेरा , जीवाक , लड़ाकू , विलाप , बुढ़ापा , फिराव , छलावा , प्रियल , मुखिया , लुटेरा , समझौता दान आदि ।
(ग) स्त्रीलिंग तद्धित प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में आई , आवट , आस , आहट , इन , एली , ऑडी , ओटी , औती , की , टी , डी , त , ती , नी , ऋ , ल , ली आदि शब्द आते हैं । जिन धातु शब्दों में हिंदी तद्धित प्रत्यय लगते हैं वे स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- सिलाई , थकावट , खास , हथेली आदि ।
(घ) पुल्लिंग तद्धित प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में आ, आऊ, आका, आटा, आना, आर, इयल, आल, आड़ी, आरा, आलू, आसा, ईला, उआ, ऊ, एरा, एड़ी, ऐत, एला, ऐला, ओटा, ओट, औड़ा, ओला, का, जा, टा, ड़ा, ता, पना, पन, पा, ला, वन्त, वान, वाला, वाँ, वा, सरा, सों, हर आदि आते हैं । जिन धातु शब्दों में हिंदी तद्धित प्रत्यय लगते हैं वे पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- पैताना, भिखारी, हत्यारा, मुँहासा, मछुआ, सँपेरा, डकैत, अधेला, चमोटा, लँगोटा, हथौड़ा, चुपका, दुखड़ा, रायता, कालापन, बुढ़ापा, गाड़ीवान, टोपीवाला, छठा आदि ।
6. उर्दू शब्दों का लिंग निर्णय :-
उर्दू शब्दों के लिंग निर्णय को दो भागों में बाँटा गया है ।
(क) पुल्लिंग उर्दू शब्द
(ख) स्त्रीलिंग उर्दू शब्द
(क) पुल्लिंग उर्दू शब्द व् उनके नियम इस प्रकार हैं :-
1. जिन शब्दों के पीछे आब आता है वे पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- गुलाब , किताब , साहब आदि ।
2. जिन शब्दों के अंत में आर और आन होता है वे पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- इकरार , बाजार , अहसान , इंकार , मकान आदि ।
3. इसमें अकारांत शब्द पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- परदा , चश्मा , गुस्सा आदि ।
(ख) स्त्रीलिंग उर्दू शब्द व् उनके नियम इस प्रकार हैं :-
1. यहाँ ईकारांत संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- गर्मी , सर्दी , गरीबी , अमीरी , चालाकी आदि ।
2. यहाँ पर शकारांत संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- नालिश , कोशिश , लाश , तलाश आदि ।
3. यहाँ पर तकारांत संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- दौलत , कसरत , अदालत , इजाजत आदि ।
4. यहाँ पर अकारांत संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- हवा , दवा , खास , दगा , दुनिया आदि ।
5. यहाँ पर हकारांत संज्ञा स्त्रीलिंग होती हैं ।
जैसे :- सुबह , तरह , राह , सलाह आदि ।
7. अंग्रेजी शब्दों का लिंग निर्णय :-
अंग्रेजी शब्दों का लिंग निर्णय दो भागों में बंटा होता है ।
(क) अंग्रेजी पुल्लिंग शब्द
(ख) अंग्रेजी स्त्रीलिंग शब्द
(क) अंगेजी के पुल्लिंग शब्द इस प्रकार हैं :-
यहाँ पर अकारांत संज्ञा पुल्लिंग होती है ।
जैसे :- 1. ऑर्डर, आयल, ऑपरेशन, इंजिन, इंजीनियर, इंजेक्शन, एडमिशन, एक्सप्रेस, एक्सरे, ओवरटाइम, क्लास, कमीशन, कोट, कोर्ट, कैलेण्डर, कॉंलेज, कैरेम, कॉलर, कॉलबेल, काउण्टर, कारपोरेशन, कार्बन, कण्टर, केस, क्लिनिक, क्लिप, कार्ड, क्रिकेट, गैस, गजट, ग्लास, चेन, चॉकलेट, चार्टर, टॉर्च, टायर, ट्यूब, टाउनहाल, टेलिफोन, टाइम, टाइमटेबुल, टी-कप, टेलिग्राम, ट्रैक्टर, टेण्डर, टैक्स, टूथपाउडर, टिकट, डिवीजन, डान्स, ड्राइंग-रूम, नोट, नम्बर, नेकलेस, थर्मस, पार्क, पोस्ट, पोस्टर, पेन, पासपोर्ट, पेटीकोट, पाउडर, पेंशन, प्रोमोशन, प्रोविडेण्ट फण्ड आदि ।
2. पेपर, प्रेस, प्लास्टर, प्लग, प्लेट, पार्सल, प्लैटफार्म, फुटपाथ, फुटबॉल, फार्म, फ्रॉक, फर्म, फैन, फ्रेम, फुलपैण्ट, फ्लोर, फैशन, बोर्ड, बैडमिण्टन, बॉर्डर, बाथरूम, बुशशर्ट, बॉक्स, बिल, बोनस, बजट, बॉण्ड, बोल्डर, ब्रश, ब्रेक, बैंक, बल्ब, बम, मैच, मेल, मीटर, मनिआर्डर, रोड, रॉकेट, रबर, रूल, राशन, रिवेट, रिकार्ड, रिबन, लैम्प, लेजर, लाइसेन्स, वाउचर, वार्ड, स्टोर, स्टेशनर, स्कूल, स्टोव, स्टेज, स्लीपर, स्टेल, स्विच, सिगनल, सैलून, हॉल, हॉंस्पिटल, हेयर, हैण्डिल, लाइट, लेक्चर, लेटर आदि ।
(ख) अंग्रेजी के स्त्रीलिंग शब्द इस प्रकार हैं :-
यहाँ पर ईकारांत संज्ञा स्त्रीलिंग होती है ।
जैसे :- 1. एसेम्बली, कम्पनी, केतली, कॉपी, गैलरी, डायरी, डिग्री
2. टाई, ट्रेजेडी, ट्रेजरी, म्युनिसिपैलिटी, युनिवर्सिटी आदि ।
Post a Comment
Post a Comment