Class 06 || Hindi || Ch. 03. नादान दोस्त 1

Class 06 || Hindi || Ch. 03. नादान दोस्त


Page No 24:

कहानी से 

प्रश्न 1– केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे? अंडों के बारे में दोनों आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?

उत्तर :– केशव और श्यामा छोटे जिज्ञासु बच्चे थे; इसलिए अंडों को देखकर उनके मन में जिज्ञासावश अनेक प्रश्न उठे। 

केशव और श्यामा की माता जी घर के कामों में और पिता पढ़ाई-लिखाई के कार्य में व्यस्त रहते थे। अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए वे स्वयं ही एक दूसरे से सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे।

प्रश्न 2. केशव ने श्यामा से चिथड़े, टोकरी और दाना-पानी मँगाकर कार्निस पर क्यों रखे थे?
उत्तर- 
कार्निस पर चिड़िया के अंडे देखकर केशव और श्यामा ने सोचा कि अंडों से बच्चे निकलेगें तो उन्हें धूप लगेगी। उन्हें धूप से बचाने के लिए टोकरी मँगाई गई। चिथड़ों से बच्चों के लिए गद्दी बनाई गई। प्याली में खाने के लिए दाना और पानी रख दिया। दाना-पानी से उनकी भूख और प्यास मिटाने का प्रबंध किया गया। 


प्रश्न 3. केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा की या नादानी?
उत्तर- 
केशव और श्यामा नहीं मालूम था कि यदि वे अंडों को छू लेंगे तो चिड़िया उन्हें छोड़ ही देगी। उन्होंन अंडों की रक्षा करनी चाही, अंडों की रक्षा करने की नादानी और अनजाने में उन्हें छूकर गंदा कर दिया। वे तो वास्तव में उन अंडों की रक्षा करना चाहते थे लेकिन नादानी में रक्षा में हत्या हो गई।

कहानी से आगे

प्रश्न 1. केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?
उत्तर- 
केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में अनुमान लगाया कि अब उन अंडों से बच्चे निकल आए होंगे। चिड़िया बच्चों के लिए इतना खाना कहाँ से लाएगी। उन्हें धूप से भी कष्ट होगा।

यदि केशव और श्यामा की जगह हम होते तो हम अंडों को दूर से ही देखते तथा दूसरे जानवरों को अंडों तक पहुंचने से रोकने का प्रयास करते। यदि दाना पानी देना होता तो उन्हें घोंसले से कुछ दूरी पर रखते। अंडे तो कभी नहीं छोड़ते।

प्रश्न 2. माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
उत्तर- 
माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर निकल आए क्योंकि यह समय ऐसा था जब वे बाहर आकर चुपचाप चिड़िया के अंडों को देख सकते थे।  माँ उन्हें देख लेती तो अंडों को छेड़ने नहीं देती।

माँ के पूछने पर भी पिटाई के डर से दोनों में से किसी ने भी किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण नहीं बताया।

प्रश्न 3. प्रेमचंद जी ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। आप इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?

उत्तर- मेरे अनुमान से इसके कई शीर्षक हो सकते हैं। मैं इसका दूसरा अन्य शीर्षक 'अंडों की रक्षा' या ‘रक्षा में हत्या’ या 'बच्चों की नादानी’ या 'नादान बचपन' या ' बचपना' में से कोई एक देना चाहेंगे।


अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. इस पाठ में गरमी के दिनों की चर्चा है। अगर सरदी या बरसात के दिन होते तो क्या-क्या होता? अनुमान करो और अपने साथियों को सुनाओ।
उत्तर-
 अगर सर्दी या बरसात के दिन होते तो केशव और श्यामा अंडों को ठंड  या बरसात  से बचाने की व्यवस्था करते। उनकी माँ उन्हें इतनी सर्दी  या बरसात में बाहर निकलने के लिए जरूर डाँटती। 

प्रश्न 2. पाठ पढ़कर मालूम करो कि दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर क्यों नहीं दिखाई दीं? वे कहाँ गई होंगी? इस पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर बातचीत करो।
उत्तर- 
चिड़ियों के सारे अंडे गंदे हो गए वह स्थान अब उनके लिए असुरक्षित हो गया इसलिए वे दोनों वहाँ से किसी दूसरी सुरक्षित जगह पर चली गईं और फिर कभी वापस नहीं आईं। उन्होंने कोई दूसरी सुरक्षित जगह ढूंढ कर वहाँ अपना घोंसला बनाया होगा और फिर समय आने पर उसमें अंडे दिए होंगे।

प्रश्न 3. केशव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे। क्या तुम्हें भी किसी नई चीज, या बात को लेकर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे?
उत्तर-
 जिस प्रकार केशव और श्यामा चिड़िया के अंडों को लेकर बहुत उत्सुक थे। उसी प्रकार मैं भी बिल्ली के नवजात बच्चों को देखने के लिए उत्सुक था। एक बिल्ली ने हमारे घर में तीन बच्चे दिए थे। मैंने देखा कि बिल्ली चूहे को मुंह से पकड़ती है तो वह मर जाता है परंतु वह अपने बच्चों को मुँह में दबाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाती तो उन्हें दर्द क्यों नहीं होता था। 

उन्हें देखना मुझे बहुत अच्छा लगता था। मैं घरवालों से छुप कर कटोरी में दूध रख आता था और कभी कभी अपने हिस्से की रोटी भी उन्हें खिला देता था। 

अतिरिक्त प्रश्न

प्रश्न  1: पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?

उत्तर – कहा जाता है कि यदि चिड़िया के अंडों को छू लिया जाए तो वो अंडे गंदे हो जाते हैं। जिन्हें चिड़िया दुबारा सेती नहीं है। केशव और श्यामा ने नादानी में चिड़िया के अंडों की रक्षा करने के लिए उनके नीचे चिथड़े लगा दिए थे। इसी नादानी के परिणामस्वरूप चिड़िया ने उन अंडों को घोंसले से गिरा दिया क्योंकि अब वे अंडे बेकार हो गए थे।


प्रश्न 2 – पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?

उत्तर – माँ की हँसी का कारण बच्चों की नादानी व अज्ञानता थी। जब उन्होंने बच्चों से अंडों के टूटने का कारण पूछा तो बच्चों ने बड़ी मासूमयित से कहा कि उन्हें गद्दी, पानी आदि देने के लिए अर्थात आरामदायक घोंसला देने के लिए उन्होंने उन्हें चिथड़ों के ऊपर रख दिया था, तो माँ का गुस्सा हँसी में बदल गया।

माँ को चाहिए था कि वो बच्चों की उस अज्ञानता को दूर करती जिसके कारणवश उनसे अंडो को छूने की गलती हुई थी; परन्तु वे उनकी अज्ञानता पर ही हँस पड़ी। बच्चें स्वयं ही पछता रहे थे। माँ को उन्हें समझाना चाहिए था यही सही था।

भाषा की बात 

प्रश्न 1: श्यामा माँ से बोली   मैंने   आपकी   बातचीत सुन ली है। ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और  आपकी  का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो-

* एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा,”मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

उत्तर : एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा,”मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?”

उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम− मैं, मुझे

मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम − आप

अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम − उन्होंने, उनकी, उसने

प्रश्न 2:

तगड़े बच्चे     मसालेदार सब्जी      बड़ा अंडा

इसमें रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।

उत्तर:

गुण वाचक विशेषण :-
(i) काला आदमी –> वह काला आदमी डरावना है।
() सुन्दर लड़की –> उस सुंदर लड़की की आदत बहुत अच्छी है।
() छोटा बच्चा –> छोटा बच्चा बड़ा शरारती है।
() जंगली बिल्ली –> ध्यान रहे कि जंगली बिल्ली बड़ी खतरनाक होती है।

प्रश्न 4:

(क) केशव ने झुँझलाकर कहा…

(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला…

(ग) केशव घबराकर उठा…

(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा…

(ङ) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा…

ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।

उत्तर –

(क) झुंझलाकर = नेहा झुंझलाकर घर चली गई।

(ख) बनाकर = माँ खाना बनाकर लाई।
(ग) घबराकर = वह घबराकर उठ बैठा। 
(घ) टिकाकर = वह कोहनी टिकाकर खड़ा था।
(ङ) गिड़गिड़ाकर = वह गिड़गिड़ाकर माफी मांग रहा था। 

प्रश्न 5:

नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ-

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूँ तो वहा क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है

उत्तर:

उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे, चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित ने बुलाया- खोमचेवाले! खोमचेवाला- कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न। अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहे और भूख न लगे। तुझे केवल इसलिए बुलाया है कि जऱा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।


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