पाठ 1 - हम पंछी उन्मुक्त गगन के (कविता) हिंदी
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7th: पाठ 1 - हम पंछी उन्मुक्त गगन के (कविता) हिंदी
वसंत भाग - II
- शिवमंगल सिंह
'सुमन'
पृष्ठ
संख्या - 2
प्रश्न-अभ्यास
कविता
से
1. हर
तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नही रहना चाहते?
उत्तर
हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद इसलिए रहना
नहीं चाहते क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता पसंद है, वे बंधन
में
रहना नही चाहते। वे खुले आकाश में आजादीपूर्वक उड़ना चाहते हैं।
2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?
उत्तर पक्षी उन्मुक्त रहकर
नदियों का शीतल जल पीना, कड़वी निबोरी खाना, पेड़ की सबसे ऊँची टहनी पर
झूलना, खुले और विस्तृत आकाश में उड़ना, और
क्षितिज के अंत तक उड़ने की इच्छाओं को पूरी करना चाहते हैं।
3.
भाव
स्पष्ट कीजिए -
"या तो
क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।"
उत्तर
इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि पक्षी स्वतंत्र
होकर क्षितिज यानी आकश और धरती के मिलन के
स्थान तक जाने की इच्छा रखते हैं। वे या तो इसे प्राप्त करना चाहते हैं नहीं तो
अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।
कविता से आगे
1.
बहुत से
लोग पक्षी पालते हैं -
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा
नहीं? अपना विचार लिखिए।
उत्तर
पक्षियों का पालना अनुचित कार्य है क्योंकि इससे उनकी आजादी का हनन
होता है। उनके पास पंख हैं, वे आसमान में उड़ना चाहती हैं। वे प्रकृति की छाँव में खुलकर रहना
चाहती हैं ना की हमारे बंद पिंजरों में। जिस तरह हमें आजादी पसंद है उसी तरह वे भी
स्वछंदता पसंद करती हैं क्योंकि बंधन में रहकर मिलने वाली
सुविधाओं से आजादी की स्थिति श्रेष्ठ है।
पृष्ठ
संख्या: 3
2.
पक्षियों
को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता
है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर
पक्षियाँ हमारे पर्यावरण को संतुलित रखने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अगर हम उन्हें स्वछंदता ना प्रदान कर पिंजरे में
बंद रखेंगे तो हमारा पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। ये पर्यावरण के अनेक
चीज़ों में सहायक का काम करती हैं। कुछ पक्षी छोटे कीटों को खाते हैं जिससे संतुलन
बनाये रखने में मदद मिलती है। पक्षी फलों को खाकर उनके बीजों को
गिरा देते हैं जिसके फलस्वरूप नए-नए पौधों पनपते हैं। कुछ पक्षी सफाई का काम भी
करती हैं। वे आसपास की हमारी फैलाई गंदगी जैसे रोटी का
टुकड़ा आदि खाकर उसे स्वच्छ बनाये रखने का काम करते हैं। यदि ये पक्षी
नहीं रहेंगे तो पर्यावरण दूषित हो जाएगा और मानव कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाएगा।
इसलिए पर्यावरण की तरह इनका भी एक महत्व है।
भाषा की बात
1. स्वर्ण-श्रृंखला और लाल किरण-सी में रेखांकित शब्द गुणवाचक विशेषण
हैं।
कविता से ढूंढ़कर इस प्रकार के तीन और उदाहरण लिखिए
उत्तर
पुलकित-पंख, कटुक-निबौरी, कनक-कटोरी
2. 'भूखे-प्यासे' में द्वंद्व समास है। इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिहन को सामासिक
चिह्न (-) कहते हैं। इस चिहन से 'और' का संकेत मिलता है, जैसे - भूखे-प्यासे=भूखे और प्यासे।
• इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर
सुख-दुःख, रात-दिन, अमीर-गरीब, बुरा -भला , अपना-पराया, पाप-पुण्य, सही-गलत, धूप-छाँव, सुबह-शाम, खट्टा-मीठा।
पाठ 2 - दादी माँ (कहानी) हिंदी
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7th: पाठ 2 - दादी माँ (कहानी) हिंदी वसंत भाग - II
- शिवप्रसाद
सिंह
पृष्ठ
संख्या: 10
प्रश्न-अभ्यास
कहानी
से
1. लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों
की याद आ जाती है?
उत्तर
लेखक
को जब पता चला कि उसकी दादी माँ की मृत्यु हो
गयी है तो उनके सामने दादी माँ के साथ बिताईं गई कई यादें जीवित हो उठीं। उसे अपने
बचपन की स्मृतियाँ-गंधपूर्ण झाग्भारे जलाशयों में कूदना, बीमार
होने पर दादी का दिन-रात सेवा करना, किशन भैया की शादी पर
औरतों द्वारा किए जानेवाले गीत और अभिनय के समय चादर ओढ़कर सोना और पकड़े जाना आदि
भी याद आ जाती हैं।
2.
दादा की
मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गयी थी?
उत्तर
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति इसलिए ख़राब
होने लगी क्योंकि उनके पिताजी व भैया ने धन का सही इस्तेमाल नही
किया। ग़लत मित्रों की संगति से सारा धन नष्ट कर डाला। दादा के श्राद्ध में भी
दादी माँ के मना करने पर भी लेखक के पिताजी ने अपार संपत्ति व्यय की।
3. दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर
दादी माँ के स्वभाव का सेवा, संरक्षण, परोपकारी
व सरल स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है। दादी माँ भले ही कटु वचन बोलती
थीं परन्तु घर के सदस्यों तथा दूसरों की आर्थिक मदद
के लिए हर समय तैयार रहती थी। रामी चाची का कर्ज माफ़ कर उसे नकद रूपए भी दिए ताकि
उसकी बेटी का विवाह निर्विघ्न संपन्न हो जाए। इन्हीं के कारण ही वे दूसरों का मन
जीतने में सदा सफल रहीं।
कहानी से आगे
1. आपने इस कहानी में महीनों के नाम पढ़ें, जैसे - क्वार, आषाढ़, माघ। इन महीनों में मौसम कैसा
रहता है, लिखिए।
उत्तर
क्वार - इस महीने में बारिश समाप्त हो चुकी
होती है और हल्की-हल्की ठंड रहती है। आकाश साफ रहता है।
आषाढ़ - इस महीने में वर्षा आरम्भ हो जाती है। कभी-कभी ना हो
तो गर्मी बढ़ जाती है।
माघ - इस महीने में अत्यधिक ठंड होती
है।
पृष्ठ
संख्या: 11
भाषा की बात
1. नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए -
जरा-सी
कठिनाई पड़ते
अनमना-सा
हो जाता है
सन-से
सफेद
समानता का
बोध कराने के लिए सा, सी, से का प्रयोग किया जाता है।
ऐसे पाँच
और शब्द लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर
मिश्री-सी - बच्चों की मिश्री-सी बातें कानों को बहुत आनंद देती
हैं।
नीला-सा - आकाश नीला-सा हो गया है।
कछुए-सी - शिक्षक को सामने देखकर उसकी चाल कछुए-सा हो
गयी।
सागर-सा - कबीर के दोहों में सागर-सा गहरा ज्ञान है।
रुई-से - दादीजी के बाल रुई-से सफ़ेद हो गए थे।
2. कहानी में 'छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं, पूछ-पूछकर घरवालों को परेशान कर
देतीं' - जैसे वाक्य आए हैं। किसी क्रिया को ज़ोर देकर कहने के लिए एक से अधिक
बार एक ही शब्द का प्रयोग होता है। जैसे वहाँ जा-जाकर थक गया, उन्हें ढूँढ़-ढूँढ़कर देख लिया।
इस प्रकार
के पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर
वे जोकर के करतबों को देख-देखकर हँस रहे थे।
बच्चे अपने पाठ को बोल-बोलकर याद कर रहे
थे।
वह अपनी बात को सच साबित करने के लिए जोर-जोर से चिल्ला रहा
था।
उसके बार-बार के मूर्खतापूर्ण कार्यों से सब तंग आ
गए।
भीड़ ने अपराधी को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया।
3. बोलचाल में प्रयोग होनेवाले शब्द और वाक्यांश 'दादी माँ' कहानी में हैं। इन शब्दों और
वाक्यांशों से पता चलता है कि यह कहानी किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित है। ऐसे शब्दों और वाक्यांशों
में क्षेत्रीय बोलचाल की खूबियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए - निकसार, बरह्मा, उरिन, चिउड़ा, छौंका इत्यादि शब्दों को देखा जा सकता है। इन शब्दों का उच्चारण
अन्य क्षेत्रीय बोलियों में अलग ढंग से होता है, जैसे - चिउड़ा को चिड़वा, चूड़त्र, पोहा और इसी तरह छौंका को छौंक, तड़का भी कहा जाता है। निकसार, उरिन और बरह्मा शब्द क्रमशः
निकास, उऋण और ब्रह्मा शब्द का क्षेत्रीय रूप हैं। इस प्रकार के दस शब्दों
को बोलचाल में उपयोग होनेवाली भाषा/बोली से एकत्र कीजिए और कक्षा में लिखकर दिखाइए।
उत्तर
बन्दा, लच्छन, भनक, किरपा, लक्षमण, रिसतेदार, लच्छमी, आदि।
पाठ 3 - हिमालय की
बेटियां (निबंध) हिंदी वसंत भाग - II
- नागार्जुन
पृष्ठ संख्या: 15
प्रश्न अभ्यास
लेख से
1. नदियों को माँ मानने की परम्परा
हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते
हैं?
उत्तर
नदियों को माँ मानने की परम्परा हमारे यहाँ काफ़ी
पुरानी है लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें बेटियों, प्रेयसी
व बहन के रूपों में भी देखते हैं।
2. सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या
विशेषताएँ बताई गयी हैं?
उत्तर
सिंधु और ब्रह्मपुत्र दोनों महानदियाँ हैं
जिनमें सारी नदियों का संगम होता है। ये दो ऐसी नदियाँ हैं जो दयालु हिमालय के पिघले
हुए दिल की एक-एक बूँद से निर्मित हुई हैं। इनका रूप इतना लुभावना है कि
सौभाग्यशाली समुद्र भी पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ थामने पर गर्व
महसूस करता है। इनका रूप विशाल और विराट है।
3.
काका
कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता इसलिए कहा है
क्योंकि ये युगों से एक माँ की तरह हमारा भरण-पोषण करती रही है। ये
हमें पीने को जल तथा मिट्टी को उपजाऊ बनाने में सहायक होती हैं। जिस
तरह माता तमाम कष्ट सहने के बावजूद अपने पुत्रों का भला चाहती हैं उसी तरह नदियाँ
भी मनाव द्वारा दूषित किये जाने के बावजूद जगत का कल्याण करती हैं।
4.
हिमालय की
यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर
हिमालय की यात्रा में लेखक ने इसके अनुपम छटा की, इनसे
निकलने वाली नदियों की अठखेलियों की, बर्फ से
ढँकी पहाड़ियों सुंदरता की, पेड़-पौधों से भरी घाटियों
की, देवदार, चीड, सरो, चिनार, सफैदा, कैल से भरे जंगलों की प्रशंसा की है।
पृष्ठ संख्या: 16
भाषा की बात
1. अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक
समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है।
उदहारण
(क)
संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और
दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
अन्य
पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर
प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर
1. सचमुच मुझे दादी
माँ शापभ्रष्ट देवी-सी लगी।
2.बच्चे ऐसे सुंदर जैसे सोने के सजीव खिलौने।
3. हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे। बड़े आँवले जैसे।
4. काली चीटियों-सी कतारें धूमिल हो रही हैं।
5.संध्या को स्वप्न की भाँति गुजार देते थे।
2. निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी
नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों
पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे
(क) परंतु
इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका
कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
पाठ से
इसी तरह के और उदाहरण ढूँढि़ए।
उत्तर
1. संभ्रांत महिला की भाँति
वे प्रतीत होती थीं।
2. कितना सौभाग्यशाली
है वह समुद्र जिसे पर्वतराज हिमालय की इन दो
बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला।
3. बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती
हैं।
4. हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहने में कुछ झिझक नहीं होती
थी।
3.
पिछली
कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं।
नीचे दिए
गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए -
विशेषण |
विशेष्य |
संभ्रांत |
वर्षा |
उत्तर
विशेषण |
विशेष्य |
संभ्रांत |
महिला |
4.
द्वंद्व
समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में 'और' शब्द का लोप हो जाता है जैसे -
राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर
द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली)
में लिखिए।
उत्तर
छोटी-बड़ी
दुबली-पतली
भाव-भंगी
माँ-बाप
5. नदी को उलटा लिखने से दीन होता
है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक
शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे - नदी-दीन (भाववाचक संज्ञा)
उत्तर
धारा - राधा (व्यक्तिवाचक संज्ञा)
नव - वन (जातिवाचक संज्ञा)
राम - मरा (भाववाचक संज्ञा)
राही - हीरा (द्रव्यवाचक संज्ञा)
गल - लग (भाववाचक संज्ञा)
6. समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप
बदलते हैं, जैसे - बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप 'वेत्रावती' है। नीचे दिए गए शब्दों में से
ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए -
उत्तर
सतलुज |
सतद्रुम |
7. 'उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े
हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।'
उपर्युक्त पंक्ति में 'ही' के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। 'ही' वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए 'ही' वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते
हैं - उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार 'नहीं' के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस
दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर
'ही' वाले
वाक्य जिनका प्रयोग नकारात्मक अर्थ देता है-
1. वे शायद ही इस कलम का
इस्तेमाल करें।
2. बच्चे शायद ही स्कुल
जाएँ।
3. वे शायद ही मेरी बात
टालें।
'नहीं' वाले वाक्य
जिनका प्रयोग नहीं के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं -
1. ऐसा कौन क्रिकेट फैन है
जो सचिन तेंदुलकर को नहीँ जानता हो।
2. वृक्ष से होने वाले लाभ
को कौन नही जानता।
3. सच्चे दोस्तों का महत्व
कौन नही जानता।
पाठ 4 - कठपुतली (कविता)
हिंदी वसंत भाग - II
- भवानीप्रसाद मिश्र
पृष्ठ संख्या: 20
प्रश्न अभ्यास
कविता से
1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर
कठपुतली धागे से बाँधकर रखा जाता था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र रहना
चाहती थी, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती
थी। धागे से बँधे रहना उसे पराधीनता लगती है इसीलिए उसे गुस्सा आता है।
2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?
उत्तर
कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है किन्तु वह खड़ी
इसलिए नही होती क्योंकि उसके पास स्वतंत्र रूप से खड़े हो सकने की क्षमता नहीं है। जब सारे कठपुतलियों की स्वतंत्रता की
जिम्मेदारी उस पर आती है तो उसे लगता है कि कहीं उसका
यह कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे।
3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों
अच्छी लगी?
उत्तर
पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को इसलिए
अच्छी लगी क्योंकि स्वतंत्रता सभी को प्रिय होती है।वे भी बंधन में दुखी हो चुकी
थीं और अपना जीवन इच्छानुसार जीना चाहती थीं।
4.
पहली
कठपुतली ने स्वयं कहा कि -'ये धागे/क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड़ दो;/मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।' -तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि -
'ये कैसी
इच्छा/मेरे मन में जगी?' नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए -
• उसे दूसरी
कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
• उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की
चिंता होने लगी।
• वह
स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय
सोचने लगी।
• वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर
पहली कठपुतली स्वतंत्र होकर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है
परन्तु जब उसपर सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, तो वह डर जाती है। उसे लगने लगता है कहीं उसका उठाया गया कदम सबको मुसीबत में ना डाल दे। वह स्वतंत्रता प्राप्त करने के
उपाय तथा उसे हमेशा बनाए रखने के उपाय
सोचने लगती है। उसे लगता है कि अभी उसकी उम्र कम है, वह सबकी जिम्मेदारी नही उठा सकती।
कविता से आगे
1. 'बहुत दिन हुए/हमें अपने मन के छंद छुए।' - इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ
लिखिए -
1. बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नही आई।
2. बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
3. बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
4. बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर
बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
पृष्ठ संख्या: 21
2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं।
इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए -
1. सन् 1857
2. सन् 1942
उत्तर
1. सन् 1857
• वीर
कुंवर सिंह
• रानी
लक्ष्मीबाई
2. सन् 1942
• सुभाषचंद्र
बोस
• सरदार वल्लभ भाई पटेल
भाषा की बात
1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल
रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन
हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने
में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए -
जैसे - काठ (कठ) से बना - कठगुलाब, कठफोड़ा
हाथ-हथ सोना-सोन मिट्टी-मट
उत्तर
हाथ-हथ - हथकरघा, हथकड़ी, हथगोला
सोना-सोन - सोनभद्रा, सोनजूही, सोनपापड़ी
मिट्टी-मट - मटमैला, मटका, मटर
2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए
प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे -आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों
की जोड़ी है, लेकिन कविता में 'पीछे-आगे' का प्रयोग हुआ है। यहाँ 'आगे' का '...बोली ये धागे' से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की
जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए - दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।
उत्तर
पतला-दुबला
उधर-इधर
नीचे-ऊपर
बाएँ-दाएँ
काला-गोरा
पीला-लाल
पाठ 5 - मिठाईवाला (कहानी) हिंदी
NCERT Solutions for Class
7th: पाठ 5 - मिठाईवाला (कहानी) हिंदी वसंत भाग - II
-
भगवतीप्रसाद
वाजपेयी
पृष्ठ संख्या: 30
प्रश्न अभ्यास
कहानी से
1.
मिठाईवाला
अलग-अलग चीज़ें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर
मिठाईवाला
अलग-अलग चीज़ें इसलिए बेचता ताकि एक ही चीज़ बार-बार मिलने से बच्चे ऊब ना जाएँ और
वह महीनों बाद इसलिए आता था क्योंकि उसे सभी बच्चों के लिए चीज़ें
इंतजाम करनी होती थीं। इससे बच्चों में उत्सुकता भी बनी रहती थी।
2.
मिठाईवाले
में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खीचें चले आते
थे?
उत्तर
मिठाईवाला
मादक-मधुर ढंग से गाकर अपनी चीज़ें बेचता था तथा वह चीज़ों के दाम
भी कम लेता था। उसे बच्चों से बड़ा स्नेह था और कभी गुस्सा नही करता। इन कारणों से
बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खीचें चले आते थे।
3.
विजय बाबू
एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या
तर्क पेश करते हैं?
उत्तर
विजय
बाबू एक ग्राहक के तौर पर तर्क देते हैं कि दुकानदार को झूठ बोलने की आदत होती है।
सबको सामान एक ही भाव में देते हैं पर ग्राहक को दाम ज्यादा बताकर बाद में कम कर
देते हो पर अहसान का बोझ डाल देते हो।
मुरलीवाला एक विक्रेता के तौर पर देता है कि
ग्राहक को सामान की असली लागत का पता नहीं होता है और दुकानदार हानि उठाकर सामान
क्यों न बेचे पर ग्राहक को लगता है कि दूकानदार उसे लूट ही रहा है।
4. खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर
खिलौनेवाले
के आने पर उसके मधुर आवाज़ से निकट के मकानों में हलचल मच जाती। बच्चे पुलकित हो
उठते। वे पैसे लेकर मोलभाव करने लग जाते और खिलौने लेकर फिर उछल-कूद करने लगते।
5.
रोहिणी को
मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो गया?
उत्तर
मुरलीवाले
का स्वर रोहिणी को जानी पहचानी से लगी। उसे याद आया कि खिलौनेवाला भी इसी प्रकार
मधुर कंठ से गाकर खिलौने बेचा करता था इसलिए उसे खिलौनेवाले का स्मरण हो गया।
6.
किसकी बात
सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर
रोहिणी
की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने बताया कि उसके भी दो बच्चे थे जो की
अब इस दुनिया में नही रहे इसलिए उसने इस व्यवसाय को अपना
लिया क्योंकि उसे अपने बच्चों झलक दूसरों के बच्चों में मिल जाती है।
7.
'अब इस बार
ये पैसे न लूँगा' - कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर
कहानी
के अंत में मिठाईवाले ने पैसे लेने से इसलिए मन कर दिया क्योंकि पहली बार किसी ने
उसके दुःख को समझने का प्रयास किया साथ ही उसे चुन्नू-मुन्नु में
अपने ही बच्चे नज़र आए। उसे लगा की वह अपने बच्चों को मिठाई दे रहा है।
8.
इस कहानी
में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती
हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर
शहरों
में स्त्रियाँ चिक के पीछे से बात नही करतीं परन्तु आज भी
गाँवों में तथा रूढ़िवादी परिवारों में इनका पालन होता है
क्योंकि ऐसा करना संस्कार के साथ-साथ सम्मान के तौर पर भी लिया
जाता है।
मेरी
राय में यह बिलकुल भी उचित नही है चूँकि स्त्रियों के स्वतंत्रता के हनन करने जैसा
है। ये उनके प्रगति को तो रोकता ही साथ देश की प्रगति में भी संकट पैदा करता है।
पृष्ठ
संख्या: 31
भाषा की बात
1. मिठाईवाला बोलनेवाली गुडि़या
ऊपर 'वाला' का
प्रयोग है।अब बताइए कि-
(क) 'वाला' से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण
आदि में से क्या हैं?
(ख) ऊपर
लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
उत्तर
(क) वाला
से पहले आने वाला शब्द संज्ञा है जैसे - मिठाई, बोलना आदि।
(ख) ऊपर
वाले वाक्यांश में उनका प्रयोग किसी व्यक्ति और वस्तु के लिए हुआ है।
पाठ - 6 रक्त और हमारा
शरीर (निबंध) हिंदी वसंत भाग - II
- यतीश अग्रवाल
पृष्ठ संख्या: 40
प्रश्न अभ्यास
पाठ से
1. रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर
रक्त के बहाव को रोकने लिए उस स्थान पर कसकर एक साफ़ कपड़ा बाँध देना चाहिए चूँकि दबाव पड़ने पर रक्त का बहना कम हो जाता है, जो व्यक्ति के लिए लाभप्रद सिद्ध होता है फिर
तुरंत हमें उस व्यक्ति को डॉक्टर के
पास ले जाना चाहिए।
2. खून को 'भानुमती का पिटारा' क्यों कहा जाता है?
उत्तर
जिस तरह भानुमति के पिटारे में कई तरह की वस्तुएँ मौजूद होती
हैं उसी तरह अगर हम खून की एक बून्द को भी सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो उसमें लाखों की संख्या में लाल
रक्त कण मौजूद मिलेंगें। इसके अलावा कुछ कण सफ़ेद तथा
कुछ रंगहीन होते हैं। तरल भाग प्लाज्मा होता है रंगहीन कण प्लाज्मा में तैरते रहते
हैं। इन्हीं विविधताओं के कारण खून को भानुमती का पिटारा कहा जाता है।
3. एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या-क्या खाना चाहिए?
उत्तर
एनीमिया से बचने के लिए हमें पौष्टिक और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। हमें प्रोटीन, विटामिन और लौह-तत्व युक्त भोजन जैसे हरी सब्जी, फल, दूध, अंडें आदि खाने चाहिए।
4. पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर
पेट में कीड़े प्रायः दूषित जल पीने और दूषित खाना खाने से होते
हैं। कुछ ऐसे किस्म के भी कीड़े होते
हैं जिनके अंडे जमीन की ऊपरी सतह में होते हैं और उनसे निकले लार्वे त्वचा के
रास्ते हमारे पीट में चले जाते हैं।
इनसे बचने के लिए हमें सफाई से बनाये गए खाद्य पदार्थों को खाना
चाहिए। भोजन करने से पहले और बाद में हाथ अच्छी तरह से धोना चाहिए और साफ़ पानी
पीना चाहिए। ख़ास किस्म के कीड़ों से बचने के लिए हमें शौच के लिए शौचालय का प्रयोग
करना चाहिए तथा नंगे पैर इधर-उधर घूमने से बचना चाहिए।
5. रक्त के सफ़ेद कणों को 'वीर सिपाही' क्यों कहा गया है?
उत्तर
जब रोगाणु शरीर पर हमला करते हैं तो रक्त के सफ़ेद कण उनसे डटकर मुकाबला करते हैं और
जहाँ तक संभव होता है वह रोगाणुओं को हमारे शरीर के भीतर घर करने नही देते इसलिए
इन्हें वीर सिपाही कहा गया है।
6. ब्लड-बैंक में रक्तदान से क्या लाभ हैं?
उत्तर
ब्लड-बैंक में रक्दान से हम खून की आवश्यकता वाले मरीजों की जान
बचा सकते हैं। किसी आवश्यक मरीज को किसी भी रक्त-समूह का रक्त ब्लड-बैंक से दिया
जा सकता है।
7. साँस लेने पर साफ़ हवा से ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से निम्न में से कौन पहुँचाता है?
सफ़ेद कण, लालकण, साँस नाली, फेफड़े
उत्तर
साँस लेने पर साफ़ हवा से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में लाल रक्त कण पहुँचाते हैं।
पाठ से आगे
1. रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता
पड़ती है -
जस्ता, शीशा, लोहा, प्लैटिनम
उत्तर
लोहा
खनिज
2.
बिम्बाणु
(प्लेटलैट कण) की कमी किस बीमारी में पाई जाती है -
टाइफायड, मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया
उत्तर
डेंगू
भाषा की बात
1. (क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं -
इस वाक्य को ध्यान से पढ़िए।इस वाक्य में 'होते-होते' के प्रयोग से यह बताया गया है कि चार महीने से
पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के पाँच वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का
प्रयोग हो -
बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते
उत्तर
बात बनते-बनते बिगड़ गयी।
स्टेशन पर पहुँचते-पहुँचते हमारी ट्रेन खुल गयी।
वह अपना सामान लेते-लेते रह गयी।
मैं अपना होमवर्क करते-करते थक गया।
1. (ख) इन प्रयोगों को पढ़िए -
सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगे हैं।
आज दूर-दूर तक वर्षा होगी।
इन वाक्यों में 'होते-होते' की तरह 'किनारे-किनारे' और 'दूर-दूर' शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न
है।
किनारे-किनारे का अर्थ है - किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर
का-बहुत दूर तक।
आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और
उनके अर्थ लिखिए -
ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या
उत्तर
ठीक-ठीक (ठीक से) - उसने क्या बोला यह मुझे ठीक-ठीक याद नही है।
घडी-घडी (हर समय) - तुम घडी-घडी खेलते मत रहो।
कहीं-कहीं (कहीं पर) - यहाँ कहीं-कहीं पर आपको मोर देखने को मिल
जाएँगे।
घर-घर (हर घर में) - यहाँ घर-घर कंप्यूटर है।
क्या-क्या (क्या) - बाजार से क्या-क्या लाना है।
पृष्ठ संख्या: 41
2. इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और
वाक्यों में प्रयोग कीजिए -
'भानुमती का पिटारा', 'दस्तक देना', 'धावा बोलना', 'घर करना', 'पीठ ठोकना'।
उत्तर
हमारा
संदूक भानुमति का पिटारा बन गया है।
लगता
है किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी।
जैसे
ही उसने कुत्ते को पत्थर मारा उसने धावा बोल दिया।
यह
शंका तुम्हारे दिमाग में घर कर गयी हैं।
अध्यक्ष
द्वारा पुरस्कृत होने पर सबने उसकी पीठ ठोकी।
पाठ - 7 पापा खो गए
(नाटक) हिंदी वसंत भाग - II
- विजय तेंदुलकर
पृष्ठ संख्या - 60
प्रश्न अभ्यास
नाटक से
1. नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों?
उत्तर
नाटक
में सबसे बुद्धिमान पात्र मुझे कौआ लगा क्योंकि उसने ही
लड़की के पापा को खोजने का उपाय बताया। उसी की योजना के कारण लैटरबक्स सन्देश लिख
पाता है।
2.
पेड़ और
खंभे में दोस्ती कैसे हुई?
उत्तर
एक बार जोरों की आँधी आने के कारण खंभा पेड़ के ऊपर गिर जाता है, उस समय पेड़ उसे सँभाल लेता है और इस प्रयास में
वह ज़ख्मी भी हो जाता है। इस घटना से खंभें में जो गुरुर होता है, वह खत्म हो जाता है और अंत में दोनों की दोस्ती
हो जाती है।
3. लैटरबक्स को सभी लाल ताऊ कहकर क्यों पुकारते थे?
उत्तर
लैटरबक्स ऊपर से नीचे पूरा लाल रंग में रँगा था साथ ही वह बड़ों
की तरह बातें भी करता था इसलिए सभी उसे लाल ताऊ कहकर पुकारते थे।
4. लाल ताऊ किस प्रकार बाकी पात्रों से भिन्न है?
उत्तर
लाल ताऊ को पढ़ना-लिखना आता है इसलिए वो नाटक के अन्य पात्रों से भिन्न है। उसे दोहे भजन भी गाना
आता है।
5. नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही
सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगीं? लिखिए।
उत्तर
नाटक में बच्ची को बचानेवाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र कौआ
है। उसकी कुछ मजेदार बातें हैं -
• "ताऊ एक
जगह बैठकर यह कैसे जान सकोगे? उसके
लिए तो मेरी तरह रोज चारों दिशाओं में गश्त लगानी पड़ेगी, तब जान पाओगे यह सब।"
• "वह
दुष्ट कौन है? पहले उसे नज़र तो आने
दीजिए।"
• "सुबह जब
हो जाए तो पेड़ राजा, आप अपनी घनी छाया इस पर किये रहें। वह आराम से देर तक सोई
रहेगी।"
6. क्या वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके
घर नहीं पहुँचा पा रहे थे?
उत्तर
सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुँचा पा रहे थे
क्योंकि लड़की बहुत छोटी थी उसे अपने घर का पता, यहाँ तक कि अपने पापा के नाम
भी मालूम नही था जिस कारण उसे घर पहुँचाना बहुत कठिन था।
पृष्ठ संख्या: 61
2. मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक 'पापा खो गए' क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण
भी बताइए।
उत्तर
इस नाटक
का शीर्षक 'पापा खो गए' इसलिए रखा गया होगा क्योंकि लड़की को अपने पापा का नाम-पता कुछ भी मालूम नहीं था। नाटक
के सभी पात्र मिलकर उसके पापा को खोजने की योजना बनाते हैं।
इस नाटक का दूसरा शीर्षक 'लापता बच्ची' भी रखा
जा सकता है चूँकि पूरे नाटक बच्ची के घर का पता लगाने का प्रयास किया
जाता है।
भाषा की बात
1. आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश
दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है,
जैसे - 'सड़क / रात का समय...दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की
आवाज।' यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो
क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर
रात का दृश्य दिखाने के लिए हम निम्नलिखित निर्देशों का प्रयोग कर सकते हैं -
• चाँदनी
रात का दृश्य है। आसमान में तारे दिख रहे हैं।
• अँधेरी
रात होने के कारण सड़कें सुनसान हैं। कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ रही है।
2. पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिहन
की ओर गया होगा।
अगले पृष्ठ पर दिए गए अंश से विराम चिह्नों को हटा दिया गया है।
ध्यानपूर्वक पढि़ए तथा उपयुक्त चिहन लगाइए -
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप
रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ
गिरी थी वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो
मुझे उस रात की याद हो आती है, अंग थरथर काँपने लगते हैं
उत्तर
मुझ पर भी एक रात आसमान से गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे, बाप रे ! वो बिजली थी या आफ़त ! याद आते ही अब भी
दिल धक-धक करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ खड्डा कितना गहरा पड़ गया था, खंभे महाराज ! अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे
उस रात की याद हो आती है। अंग थरथर काँपने लगते हैं।
पाठ - 8 शाम-एक किसान
(कविता) हिंदी वसंत भाग - II
- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
पृष्ठ संख्या - 64
प्रश्न अभ्यास
कविता से
1. इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया
है - यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें
उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में 'आकाश का साफ़ा' वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।
उत्तर
दूसरी एकरूपता - चिलम सूरज-सी
चौथी एकरूपता - अँगीठी पलाश के फूलों-सी
पाँचवी एकरूपता - अंधकार भेड़ों के गल्ले-सा
2. शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर
बताइए -
क) शाम कब से शुरू हुई?
ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?
ग) इस बीच
आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर
क) शाम छः बजे से शुरू हुई।
ख) सूरज को डूबने में करीब एक घंटा लगा।
ग) इस बीच आसमान का रंग लाल और कुछ देर बाद पीले रंग में
परिवर्तित हो गया और कुछ देर बाद सूरज आसमान से गायब हो गया और चारों ओर अँधेरा छा
गया।
पृष्ठ संख्या: 65
3. मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो - 'सुनते हो'। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक
या दो शब्दों में बाँधिए -
कबूतर कौआ मैना
तोता चील हंस
उत्तर
कबूतर - भाई, ख़त ले
लो।
कौआ - सुनते हो, घर में मेहमान आने वाले हैं।
मैना - कैसे हो?
तोता - राम! राम! भाई।
चील -
अरे,वह देखो नीचे क्या पड़ा है।
हंस -
मेरी तरह शांत और स्वच्छ रहो।
कविता से आगे
1. इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का
प्रयोग करना होगा?
उत्तर
इस कविता को चित्रित करने के लिए हमें पीला, भूरा, लाल, सफ़ेद, काला, हरा, आदि अनेक रंगों का प्रयोग करना
पड़ेगा।
3. हिन्दी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने
संध्या का वर्णन इस प्रकार किया है -
संध्या का झुटपुट-
बाँसों का झुरमुट-
है चहक रहीं चिडि़याँ
टी-वी-टी--टुट्-टुट्
• ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल जी की कविता में
आपको क्या मुख्य अंतर लगा? लिखिए।
उत्तर
सुमित्रानंदन पंत ने अपनी कविता में संध्या का दृश्य चिड़ियों के
माध्यम से दिखाया है वहीं सर्वेश्वरदयाल जी ने संध्या का
दृश्य किसान के माध्यम से प्रस्तुत किया है। यही इन दोनों की कविताओं में मुख्य
अंतर है।
भाषा की बात
1. लिखी पंक्तियों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से
देखिए-
(क) घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी
(ख) सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा
(ग) पानी का परदा-सा मेरे आसपास था हिल रहा
(घ) मँडराता रहता था एक मरियल-सा कुत्ता आस-पास
(ड) दिल है छोटा-सा छोटी-सी आशा
(च) घास पर फुदकती नन्ही-सी चिडि़या
• इन पंक्तियों में सा/सी का प्रयोग व्याकरण की
दृष्टि से कैसे शब्दों के साथ हो रहा है?
उत्तर
इन पंक्तियों में सा/सी का प्रयोग उन शब्दों के साथ किया जा रहा
है जिनकी उपमा दी जा रही है। जैसे-नदी चादर-सी अर्थात् नदी चादर के समान। इससे
इनमें तुलना और समानता प्रकट की जा रही है।
2. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग आप किन संदर्भों में
करेंगे? प्रत्येक शब्द के लिए दो-दो संदर्भ (वाक्य) रचिए।
आँधी दहक सिमटा
उत्तर
आँधी - इस वक़्त मेरे मन में आशंकाओं की आँधी चल रही है।
कल रात में आई आँधी ने सब कुछ तबाह कर दिया।
दहक - उसे देखते ही मेरे मन में एक ज्वाला दहक उठा।
चूल्हे की आग अब तक दहक रही है।
सिमटा - डाँट खाने के बाद वो कोने में सिमटा बैठा है।
उसका कारोबार धीरे-धीरे सिमट रहा है।
पाठ - 9 चिड़िया की बच्ची
(कहानी) हिंदी वसंत भाग - II
- जैनेन्द्र कुमार
पृष्ठ संख्या: 73
1. किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन
संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर
माधवदास
ने संगमरमर की नयी कोठी बनवाई थी और उसके सामने सुहावना सा एक बगीचा भी लगवाया था।
उन्हें धन की कोई कमी नही थी। उन्होंने चिड़िया को धन का, सोने
का पिंजरा और मोतियों की झालर का भी लालच दिया और कहा की चिड़िया जो
मांगे वो सब दे सकते हैं। इन बातों से पता
चलता है की माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था।
उनका
चिड़िया से कहना की मेरा महल भी सूना है, वहाँ
कोई चहचहाता नहीं है, तुम्हें देखकर मेरी रागनियों का दिल बहलेगा, मेरा
दिल वीरान है आदि बातों से पता चलता है कि माधवदास सुखी नहीं था।
2. माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह
बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
नहीं, माधवदास का बार-बार चिड़िया से
यह कहना कि यह बगीचा तुम्हारा ही है निःस्वार्थ मन से नही कहा गया था। ऐसा
उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि उन्हें वह चिड़िया बड़ी प्यारी लगी। वह उसे अपने पास ही
रखना चाहते थे ताकि उनका मन बहलता रहे।
3. माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के
पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र
में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर
क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
माधवदास और चिड़िया का मनोभाव एक दूसरे के विपरीत था। एक तरफ माधवदास के लिए
भौतिक सुख यानी धन-संपत्ति से बड़ा कोई ना था वहीँ दूसरी तरफ चिड़िया के लिए आत्मिक
और पारिवारिक सुख ज्यादा महत्वपूर्ण थी। उसके लिए माँ की गोद सबसे ज्यादा प्यारी
थी। उसे मोती और सोने के मूल्य से मतलब
नहीं था इसलिए उसने माधवदास के
बार-बार समझाने पर भी सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दिया।
दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद बेतुकी थी।
4. कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के
पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया
लिखिए।
उत्तर
कहानी के अंत में नन्हीं चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग
निकलने की बात पढ़कर मुझे ख़ुशी महसूस हुई। इस कारण ही वह अपने माँ के पास वापस
पहुँच पाई नहीं तो माधवदास के पिंजरों में सदा के लिए कैद हो जाती। अगर ऐसा होता
तो वह स्वछंद होकर उड़ नहीं पाती। उसे सारी जिंदगी कैद में गुजारना पड़ता और वह
माधवदास के लिए बस एक मन बहलाने का सामान बन रह जाती जो कि बहुत बुरा होता चूँकि
स्वतंत्रता सभी को प्रिय है।
5. 'माँ मेरी बाट देखती होगी' - नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के
आधार पर बताइए कि हमारी ज़िंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?
उत्तर
माँ का हमारे जीवन बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। वो हमें जन्म देती
हैं, हमारा पालन-पोषण करती हैं और दुनिया के बुरे-भले चीज़ों से अवगत कराती हैं। वह सुख-दुःख में भी हमारा साथ नही छोड़तीं। वही बच्चे
की पहली दोस्त और अध्यापिका भी होती है।
6. इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना
चाहेंगे और क्यों?
उत्तर
इस कहानी का एक और शीर्षक 'सच्चा सुख' भी रख सकते हैं क्योंकि यहाँ धन-दौलत वाले
व्यक्ति को सुखी ना बताकर एक चिड़िया को सुखी दिखाया है जिसके पास अपना परिवार है।
कहानी से आगे
1. इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से
दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीज़ों
में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप
आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर
इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें कई जगह देखने को मिलता
है जैसे रोज सुबह सूरज का खिलना और शाम को अस्त होना, चन्द्रमा का रात में आना, तारों का रात में टिमटिमाना, ऋतू में परिवर्तन आदि।
पृष्ठ संख्या: 74
2. सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में
आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा -'स्वाधीनता' या 'प्रलोभनोंवाली पराधीनता'?
ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख
नहीं मिल पाता।
नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें -
क)
क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
ख)
क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
ग)
क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
उत्तर
मुझे स्वाधीनता प्रलोभनोंवाली पराधीनता से ज्यादा पसंद होगी
क्योंकि सारी सुख-सुविधाएँ मिलने के बावजूद हमें दूसरे के अधीन ही रहना होगा।
पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता
क्योंकि उसने वास्तव जीवन में सुख को देखा ही नहीं है। वह दूसरों की इच्छा पर रहा
है इसलिए वो सपने में भी सुख नही देख सकता।
भाषा की बात
1. पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं -
क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी।
ख) कभी पर हिलाती थी।
ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों 'पर' के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर
आप भी 'पर' का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के
लिए'पर' के प्रयोग हुए हों।
उत्तर
उस पेड़ पर फल लगे हैं।
उस चिड़िया के पर बहुत सुन्दर हैं।
उसने प्रयत्न बहुत किया पर परीक्षा में प्रथम ना आ सका।
2. पाठ में तैंने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिन्दी
के वर्तमान रूप में तूने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिन्दी के निकट की बोलियों
में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
उत्तर
ठहरियो - ठहरना
मन्नै - मुझे
अइयो – आओ
पाठ - 10 अपूर्व अनुभव
(संस्मरण-जापानी) हिंदी वसंत भाग - II
- तेत्सुको
कुरियानागी
पृष्ठ संख्या: 81
प्रश्न अभ्यास
पाठ से
1. यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए
तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर
जापान के शहर तोमोए में हर एक बच्चे का एक निजी पेड़ था। चूँकि
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह न तो किसी पेड़ पर
चढ़ पाता था और न किसी पेड़ को निजी संपत्ति मानता था। तोत्तो-चान जानती थी कि
यासुकी-चान आम बालक की तरह पेड़ पर चढ़ने की इच्छा रखता है इसलिए उसकी इस इच्छा को
पूरा करने के लिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने का अथक प्रयास
किया।
2. दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद
तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर
रहे? लिखिए।
उत्तर
तोत्तो-चान रोज अपने निजी पेड़ पर चढ़ती थी परन्तु इस बार अथक
परिश्रम से पोलियोग्रस्त अपने मित्र यासुकी-चान को पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचाने
से उसे आज ख़ुशी के साथ आत्म संतुष्टि भी मिली जो उसके लिए अपूर्व अनुभव था। वहीँ
दूसरी तरफ यासुकी-चान पहली बार पेड़ पर चढ़ पाया जिससे उसके मन की इच्छा पूरी हुई जो
उसके लिए अपूर्व अनुभव था।
3. पाठ में खोजकर देखिए -
कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा
उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के
बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर
जब तोत्तो-चान और यासुकी-चान एक तिपाई-सीढ़ी के द्वारा पेड़ की
द्विशाखा तक पहुँच रहे थे तब सूरज का ताप उनपर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे। जब
तोत्तो-चान अपनी पूरी ताकत से यासुकी-चान को पेड़ की ओर खींच रही थी तब बादल का एक
टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। मेरे अनुसार इस प्रकार
परिस्थिति के बदलने का कारण उन दो मित्रों को सहयोग उनके भले काम में सहयोग देना
था।
4. 'यासुकी-चान को लिए पेड़ पर चढ़ने का यह . . . . .
अंतिम मौका था' - इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिये और लिखकर बताइए कि
लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा।
उत्तर
यासुकी-चान को लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला अंतिम मौका था।
लेखिका ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि यासुकी-चान पोलियो से ग्रस्त था इसलिए स्वयं
पेड़ पर चढ़ने में असमर्थ था और तोत्तो-चान सबसे झूठ बोलकर इतनी मेहनत हमेशा नही
कर सकती थी।
अनुमान और कल्पना
1. अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें
नीचे क्यों थीं?
उत्तर
तोत्तो-चान हमेशा झूठ बोलने की आदत नहीं थी। उसे लग रहा था की
कहीं उसका झूठ पकड़ा नही जाए इसलिए अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें
नीचें थीं।
पृष्ठ संख्या: 82
2. यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुज़रनेवाले
व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर
ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर
शारीरिक चुनौतियों से गुज़रनेवाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने
की सुविधाएँ सुविधावाली जगहों कई हैं जैसे - अस्पताल, मेट्रो स्टेशन, शॉपिंग मॉल आदि।
भाषा की बात
1. पाठ में 'ठिठियाकर हँसने लगी', 'पीछे से धकियाने लगी' जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान
लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है।
इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज़ को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही
ठिठियाना और धकियाना शब्द में 'आना'प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन
जाता है। 'आना' प्रत्यय से बननेवाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर
लड़वाना, रोजाना, ठिकाना, घबराना
पाठ - 11 रहीम के दोहे
(कविता) हिंदी वसंत भाग - II
- रहीम
पृष्ठ संख्या - 84
प्रश्न अभ्यास
दोहे से
1. पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई
कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर
अलग-अलग लिखिए।
उत्तर
उदहारण वाले दोहे
तरवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान।।
थोथे बादर क्वार वके, ज्यों रहीम घहरात।
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।
धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।
कथन वाले दोहे
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
2. रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की
तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को
बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय
में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर
क्वार के मास बादल केवल गरजते हैं, बरसते नहीं हैं जैसे वे निर्धन व्यक्ति जो पहले
कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं इसलिए कवि
ने दोनों में समानता स्पष्ट की है।
पृष्ठ संख्या: 85
दोहे से आगे
1. नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम
अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए -
क) तरुवर फल...................सचहिं सुजान।।
ख) धरती की-सी...................यह देह।।
उत्तर
क) इसे
अपने जीवन में उतार लेने से हमारे मन से लालच और मोह
खत्म हो जाएगा और परोपकार की भावना जागेगी। इससे हमें
आत्म-संतुष्टि प्राप्त होगी और हम सही अर्थों में मनुष्य बन पायेंगें।
ख) इसे
अपने जीवन में उतार लेने से हम अपने शरीर और मन को सहनशील बना
पायेंगें जिससे सुख और दुःख दोनों को सहजता से स्वीकार कर पायेंगें।
भाषा की बात
1.
निम्नलिखित
शब्दों के प्रचलित हिन्दी रूप लिखिए -
जैसे -
परे-पड़े (रे, ड़े)
बिपति
मछरी
बादर
सीत
उत्तर
विपत्ति
मछली
बादल
शीत
2. नीचे दिए उदाहरण पढ़िए -
क) बनत बहुत बहु रीत।
ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में 'ब' का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में 'ज' का प्रयोग। इस प्रकार बार- बार एक ध्वनि के आने से
भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है।
वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर
संपत्ति संचहि सुजान।
रघुपति राघव राजा राम।
काली लहर कल्पना काली, काल
कोठरी काली।
चारू
चंद्र की चंचल किरणें।
पाठ - 11 पाठ - 12
कंचा
(कहानी) हिंदी वसंत भाग - II
- टी. पद्मनाभन
प्रश्न अभ्यास
कहानी से
1. कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में
समा जाते हैं, तब क्या होता है?
उत्तर
कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं
तब वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। कंचों का जार का आकार आसमान के
समान बहुत ऊँचा हो गया है और वह उसके भीतर अकेला है। वह चारों ओर बिखरे हुए कंचों
से मजे से खेल रहा था। मास्टर जी कक्षा में पाठ "रेलगाड़ी" का पढ़ा रहे
थे। उसे मास्टरजी द्वारा बनाया गया बॉयलर भी कंचे का जार ही नज़र आता है। इस चक्कर में मास्टर जी से डाँट भी खाई लेकिन उसके दिमाग में केवल कंचों का खेल चल रहा था।
2. दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति
है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फ़िर हँसतें हैं। कारण बताइए।
उत्तर
दूकानदार ड्राइवर के सामने अप्पू एक छोटा चंचल बालक है। पहले तो
दुकानदार उससे परेशान होता है क्योंकि वह कंचों को केवल देख रहा है कहीं उससे जार फूट ना जाए परन्तु
अप्पू ने कंचे खरीद लिए तो वह हँस पड़ा। जब अप्पू के कंचे सड़क पर बिखर जाते हैं तो तेज़ रफ़्तार से आती कार
का ड्राइवर यह देखकर परेशान हो जाता है कि वह दुर्घटना की परवाह किए बिना, सड़क पर कंचे उठा रहा है परन्तु जैसे ही अप्पू उसे इशारा करके अपना कंचा दिखाता है तो वह उसके
कंचे की ओर लगाव देख कर हँसने लगता है। इस तरह वे
दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फ़िर हँसतें हैं।
3. 'मास्टर जी की आवाज़ अब कम ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के
बारे में बता रहे थे।'
मास्टर जी की आवाज़ धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।
उत्तर
शुरुआत में मास्टर जी पाठ पढ़ाने की मुद्रा में थे इसलिए वो ऊँची
आवाज़ में बात कर रहे थे परन्तु जब उन्हें लगा कि सब बच्चे उनके पाठ में
ध्यानमग्न हो गए तब उन्होंने पाठ समझाने की मुद्रा अपनाई और अपनी आवाज़ को धीमा कर दिया।
पृष्ठ संख्या: 98
कहानी से आगे
2. आप कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?
उत्तर
'प्यारा
कंचा' क्योंकि इस कहानी में कंचे के
प्रति अप्पू के लगाव को दिखाया गया है।
भाषा की बात
1. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित मुहावरे किन
भावों को प्रकट करते हैं? इन भावों से जुड़े दो-दो मुहावरे बताइए और उनका
वाक्य में प्रयोग कीजिए।
1. माँ ने दाँतों तले उँगली दबाई।
2. सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ़ देख रही है।
उत्तर
दाँतों तले उँगली दबाई (भाव - आश्चर्य)
आश्चर्य चकित होना - उस मीनार की सुंदरता देखकर
मैं आश्चर्य चकित रह गया।
हैरान होना - उसे दौड़ता देख मैं हैरान रह गया।
साँस रोके हुए (भाव - डरना)
भय से काँपना - बाघ को देखते ही वह भय से
काँपने लगा।
प्राण सूख जाना - अँधेरा
होने से उसके प्राण सूख गए।
2. विशेषण कभी-कभी एक से अधिक शब्दों के भी होते हैं।
नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्से क्रमशः रकम और कंचे के बारे में बताते हैं
इसलिए वे विशेषण हैं।
1.पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे।
2.बढ़िया सफ़ेद गोल कंचे ।
इसी
प्रकार कुछ विशेषण नीचे दिए गए हैं इनका प्रयोग कर वाक्य बनाएँ -
1.
ठंडी
अँधेरी रात
2.
खट्टी-मीठी
गोलियाँ
3.
ताज़ा
स्वादिष्ट भोजन
4.
स्वच्छ
रंगीन कपड़े
उत्तर
1. आज ठंडी अँधेरी रात में मुझे दर लग रहा है।
2. हमें
खट्टी-मीठी गोलियाँ अच्छीं लगती हैं।
3. आज हमें
ताज़ा स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलेगा।
4. मेरी
माँ हमारे लिए स्वच्छ रंगीन कपड़े ले कर आयीं।
पाठ - 13 एक तिनका
(कविता) हिंदी वसंत भाग - II
- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
पृष्ठ संख्या: 100
प्रश्न अभ्यास
कविता से
1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य
में बदलिए।
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा -
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी -
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी -
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया -
उत्तर
(क) एक
दिन जब मैं अपनी छत की मुंडेर पर खड़ा था।
(ख) आँख
में तिनका चले जाने के कारण आँख लाल होकर दुखने लगी।
(ग)
बेचारी ऐंठ दबे पावों भागी।
(घ) किसी
तरीके से आँख से तिनका निकाला गया।
2. 'एक तिनका' कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उत्तर
'एक
तिनका' कविता में कवि ने उस दिन की
घटना की चर्चा की है जब उसे अपने ऊपर घमंड हो गया और वह अपने को श्रेष्ठ
समझने लगा। तभी एक तिनका उसके आँख में घुस गया जिससे उसकी आँखे लाल हो गयीं। बड़े
प्रयास करने पर जब तिनका निकला तब लेखक को समझ आई की उसके घमंड को चूर करने के लिए
तिनका है। इससे घटना से यह संदेश मिलता है की हमें
घमंड नही करना चाहिए।
3. आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?
उत्तर
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की आँखे लाल हो गयीं और दर्द करने लगीं। वह बैचैन हो उठा और कराहने
लगा।
4. घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास
लोगों ने क्या किया?
उत्तर
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने कपड़े
की मूँठ बनाकर उसकी आँख पर लगाकर तिनका निकालने का प्रयास किया।
5. 'एक तिनका' कविता में घमंडी को उसकी 'समझ' ने चेतावनी दी -
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है -
तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
• इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।
उत्तर
तिनके का प्रयोग दोनों काव्यांश में उदहारण देने के लिए किया गया है। यह
समानता है।
पहले काव्यांश में कवि हरिऔधजी जी ने हमें घमंड न करने की सीख दी है तथा दूसरे काव्यांश में कबीरजी ने हमें किसी को भी तुच्छ न समझने की सीख
दी है। यह दोनों में अंतर है।
पृष्ठ संख्या: 101
भाषा की बात
1. 'किसी ढब से निकलना' का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। 'ढब से' जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे - धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के
बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। 'धम से', 'छप से', इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए
किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ
अधूरे वाक्य दिए गए हैं।
उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए -
छप से, टप से, थर्र से, फुर्र से, सन् से
क) मेढ़क
पानी में......कूद गया।
ख) नल बंद
होने के बाद पानी की एक बूँद......चू गई।
ग) शोर
होते ही चिड़िया......उड़ी।
घ) ठंडी
हवा.......गुजरी, मैं ठंड में..... काँप गया।
उत्तर
क)
मेढ़क पानी में छप से कूद गया।
ख) नल
बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप से चू गई।
ग) शोर
होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
घ)
ठंडी हवा सन् से गुजरी, मैं
ठंड में थर्र से काँप गया।
पाठ - 14 खानपान की बदलती
तस्वीर (निबंध) हिंदी वसंत भाग - II
- प्रयाग शुक्ल
पृष्ठ संख्या: 105
प्रश्न अभ्यास
निबंध से
1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब
है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।
उत्तर
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब
विभिन्न प्रदेशों के खान-पान के मिश्रित रूप से है। आज हमें एक ही घर में हमें कई
प्रान्तों के खाने देखने के लिए मिल जाते हैं। उदाहरण के तौर पर मेरा घर दिल्ली
में है जहाँ पराठे आदि ज्यादा बनते हैं परन्तु खानपान
की मिश्रित संस्कृति की वजह से साम्भर-डोसा, इडली जो की दक्षिण भारत
का प्रमुख भोजन है वो भी बनता है।
(आप
अपने घर के भोजन को भी उदाहरण के लिए दे सकते हैं। अगर आप उत्तर भारतीय
हैं तो आपके घर में दक्षिण भारतीय भोजन भी बनता होगा और दक्षिण भारतीय के घरों में
उत्तर भारत के भोजन भी बनते हैं।)
2.
खानपान
में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?
उत्तर
खानपान में बदलाव के कई फायदे हैं जैसे हमारी खाने में रूचि बनी रहती है, देश-विदेश के व्यंजन पता चलते हैं, इससे भारत की राष्ट्रीय एकता भी बनी रहती है। साथ ही इससे जल्दी बनने वाले खानों का उपलब्ध होने लगी हैं
जिससे समय की भी बचत होती है। हम अपने स्वास्थ्य और स्वाद के अनुसार भी भोजन का
चयन कर सकते हैं।
इन सब फायदों के बावजूद लेखक इसलिए चिंतित हैं क्योंकि इसके नुकसान भी हैं जैसे स्थानीय
भोजन की लोकप्रियता का कम हो हो रही है साथ ही खाद्य पदार्थों में शुद्धता की कमी होती जा रही है। कुछ लोग उन
व्यंजनों का प्रयोग अत्याधिक करने लगे हैं जो केवल स्वाद देते हैं परन्तु
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?
उत्तर
खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ है कि वे व्यंजन जो
स्थानीय आधार पर बनते थे। जैसे मुम्बई की पाव-भाजी, दिल्ली के छोले-कुलचे, आगरा के पेठे आदि।
पृष्ठ
संख्या: 106
निबंध से आगे
2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान
से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए -
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला।
भोजन |
कैसे पकाया |
स्वाद |
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उत्तर
भोजन |
कैसे पकाया |
स्वाद |
दाल |
उबालना |
नमकीन |
भात |
उबालना |
मीठा |
रोटी |
सेंकना |
मीठा |
पापड़ |
तलना |
नमकीन |
आलू |
उबालना |
मीठा |
बैंगन |
भूनना |
कसैला |
पृष्ठ संख्या: 107
भाषा की बात
1. खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा
हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण
दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए -
सीना-पिरोना, भला-बुरा, चलना-फिरना,
लंबा-चौड़ा, कहा-सुनी, घास-फूस।
उत्तर
सीना-पिरोना - सीना-पिरोना की कला हर व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी है।
भला-बुरा - मैंने उसे भला-बुरा कह दिया था।
चलना-फिरना - वृद्धावस्था के कारण अब चलना-फिरना कठिन हो गया
है।
लंबा-चौड़ा - ये पुल बहुत लम्बा-चौड़ा है।
कहा-सुनी - मेरी रमण से खेल में कहा-सुनी हो गयी।
घास-फूस - उसका घर घास-फुस का है।
पाठ - 15 नीलकंठ
(रेखाचित्र) हिंदी वसंत भाग-II
- महादेवी वर्मा
पृष्ठ संख्या - 116
प्रश्न अभ्यास
निबंध से
1. मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर
नीली गर्दन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया और मोरनी सदा मोर की छाया के समान उसके साथ रहती
इसलिए उसका नाम राधा रखा गया।
2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का
किस प्रकार स्वागत हुआ?
उत्तर
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का उसी तरह
स्वागत हुआ जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़ उनके चारों ओर घूम-घूम कर
गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे, बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर उनका निरीक्षण
करने लगे, छोटे खरगोश उनके चारों ओर
उछलकूद मचाने लगे और तोते एक आँख बंद करके उनका
परीक्षण करने लगे।
3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती
थीं?
उत्तर
नीलकंठ देखने में बहुत सुंदर था और लेखिका को उसकी हर चेष्टाएँ
आकर्षक लगती थीं परन्तु कुछ चेष्टाएँ उन्हें बहुत भाती थीं जैसे -
• मेघों
की गर्जन ताल पर उसका इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर तन्मय
नृत्य करना।
• लेखिका
के हाथों से हौले-हौले चने उठाकर खाते समय उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न
करती थी।
• नीलकंठ
का दयालु स्वभाव और सबकी रक्षा करने की चेष्टा करना।
4. 'इस आनंदोंत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज
उठा' - वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर
यह वाक्य लेखिका द्वारा कुब्जा मोरनी को लाने की ओर संकेत कर
रहा है। कुब्जा मोरनी के आने से पहले नीलकंठ, राधा और अन्य पशु-पक्षी बाड़े में आराम से रह रहे थे जिसे लेखिका
ने आनंदोंत्सव की रागिनी कहा है। परन्तु कुब्जा मोरनी के आ जाने से वहाँ अशांति
फ़ैल गयी। वह स्वभाव से मेल-मिलाप वाली न थी। ईर्ष्यालु प्रकृति की होने के कारण वह
नीलकंठ और राधा को साथ न देख पाती थी।
उसने राधा के अंडे भी तोड़ डाले थे।
नीलकंठ अप्रसन्न रहने लगा था और अंत में यह
उसकी मृत्यु का कारण बना।
5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना
असहनीय क्यों हो जाता था?
उत्तर
वसंत में आम के वृक्ष मंजरियों से लदे जाते और अशोक लाल पत्तों
से ढक जाता जिसे देखकर नीलकंठ के लिए जालीघर में रहना
असहनीय हो जाता। उसे फलों के वृक्षों से भी अधिक
सुगन्धित व खिले पत्तों वाले वृक्ष अच्छे लगते थे।
6. जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन
गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
उत्तर
कुब्जा का स्वभाव मेल-मिलाप वाला न था। ईर्ष्यालु होने के कारण वह सबसे झगड़ा करती रहती थी और अपनी चोंच से नीलकंठ के पास जाने वाले
हर-एक पक्षी को नोंच डालती थी। वह किसी को भी नीलकंठ के पास आने नहीं देती थी यहाँ
तक की उसने इसी ईर्ष्यावश राधा के अंडें भी तोड़ दिए थे। इसी कारण वह किसी की मित्र
न बन सकी।
पृष्ठ संख्या: 117
7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख
कीजिए।
उत्तर
एक बार एक साँप पशुओं के जाली के भीतर पहुँच गया। सब जीव-जंतु इधर-उधर भागकर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। निगलने के प्रयास में
साँप ने उसका आधा पिछला शरीर मुँह में
दबा लिया। नन्हा खरगोश धीरे-धीरे चीं-चीं कर रहा था परन्तु आवाज़ इतना तीव्र नही था
की किसी को स्पष्ट सुनाई दे। सोये हुए नीलकंठ ने जब यह मंद स्वर सुना तो वह झट से अपने पंखों को समेटता हुआ झूले
से नीचे आ गया। उसने सावधानी से साँप के फन के पास पंजों से दबाया और फिर अपनी चोंच से इतने
प्रहार उस पर किए कि वह अधमरा हो गया और फन की पकड़ ढीली होते ही खरगोश का बच्चा
मुख से निकल आया। इस प्रकार नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया।
इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं निम्नलिखित
हैं -
• सतर्कता
- जालीघर के ऊँचे झूले पर सोते हुए भी उसे खरगोश की मंद पुकार सुनकर यह शक हो गया कोई प्राणी कष्ट में है और वह झट से
झूले से नीचे उतरा।
• साहसी
और वीर - अकेले
ही उसने साँप से खरगोश के बच्चों को बचाया और साँप के दो खंड कर दिया जिससे उसके
साहस और वीरता का पता चलता है।
• रक्षक -
खरगोश को मौत के मुँह से बचाकर नीलकंठ ने यह सिद्ध कर दिया कि वह रक्षक है।
• दयालु -
वह खरगोश के बच्चे को सारी रात अपने पंखों में छिपाकर ऊष्मा देता रहा जिससे उसके
दयालु होने का पता चलता है।
भाषा की बात
1. 'रूप' शब्द से 'कुरूप', 'स्वरूप', 'बहुरूप' आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द
बनाओ -
गंध, रंग, फल, ज्ञान
उत्तर
गंध - सुगंध, दुर्गन्ध, गंधक, गंधहीन।
रंग - बदरंग, बेरंग, रंगबिरंगा।
फल - सफल, निष्फल, असफल, विफल।
ज्ञान - विज्ञान, अज्ञान, सद्ज्ञान।
2. नीचे दिए गए शब्दों के संधि विग्रह कीजिए
संधि |
विग्रह |
नील + आभ = |
सिंहासन = |
नव + आगंतुक = |
मेघाच्छन्न = |
उत्तर
संधि |
विग्रह |
नील + आभ = नीलाभ |
सिंहासन = सिंह + आसन |
नव + आगंतुक = नवागंतुक |
मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न |
पाठ - 16 भोर और बरखा
(कविता) हिंदी वसंत भाग-II
- मीराबाई
पृष्ठ संख्या: 120
प्रश्न अभ्यास
कविता से
1. 'बंसीवारे ललना', 'मोरे प्यार', 'लाल जी', कहते हुए यशोदा किसे जगाने का प्रयास करती हैं और वे कौन-कौन सी
बातें कहती हैं?
उत्तर
'बंसीवारे ललना', 'मोरे
प्यार', 'लाल जी', कहते हुए यशोदा अपने पुत्र श्रीकृष्ण को जगाने का प्रयास करती हैं।
वे कहतीं हैं कि रात बीत गयी है, सुबह हो गयी है, सभी के
दरवाजें खुल चुके हैं। गोपियाँ दही से मक्खन निकाल रही हैं जिससे उनके कंगन बज रहे
हैं, उन्हें सुनो। दरवाजे पर देव और मानव
सभी तुम्हारी प्रतीक्षा में खड़े हैं, ग्वाल-बाल भी शोर
मचा रहे हैं और जय-जयकार कर रहें हैं, उनके हाथ
में माखन रोटी लेकर गाएँ चराने के लिए तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहें हैं।
2.
नीचे दी
गई पंक्ति का आशय अपने शब्दों में लिखिए - 'माखन-रोटी हाथ मँह लीनी, गउवन के रखवारे।'
उत्तर
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि गायों के रखवाले ग्वाल-बालों
के हाथ में माखन और रोटी है।
3. पढ़े हुए पद के आधार पर ब्रज की भोर का वर्णन
कीजिए।
उत्तर
पद के आधार पर ब्रज में भोर होते ही सभी घरों के किवाड़ खुल जाते हैं। गोपियाँ दही मथना
शुरू कर देती हैं जिससे उनके कंगन खनकने की आवाज़ होती है। ग्वाल-बाल गायें चराने के लिए तैयार होने लगते हैं।
4. मीरा को सावन मनभावन क्यों लगने लगा?
उत्तर
मीरा को सावन मनभावन इसलिए लगा क्योंकि यह मौसम मीरा को श्रीकृष्ण के आने का अहसास कराता
है।इसमें प्रकृति बड़ी सुहावनी होती है
इसलिए मन में उमंग भर जाती है।
5. पाठ के आधार पर सावन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर
सावन में प्रकृति मनोहारी दृश्य प्रस्तुत करती है। चारों तरफ
बादल फैल जाते हैं, गरजते हैं और बिजली चमकती है।
इस मौसम में मनभावन वर्षा होती है जिससे सभी प्रसन्न हो जाते हैं। गर्मी में कमी
आती है और ठंडी हवाएँ बहती हैं।
पाठ से आगे
1. मीरा भक्तिकाल की प्रसिद्द कवयित्री थीं। इस काल के
दूसरे कवियों के नामों की सूची बनाइए तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए।
उत्तर
कवि - उनकी रचना
सूरदास - सूरसागर
रसखान - प्रेम वाटिका
परमानंद - परमानंदसागर
तुलसीदास - रामचरितमानस
2. सावन वर्षा ऋतु का महीना है, वर्षा ऋतु से संबंधित दो अन्य महीनों के नाम लिखिए।
उत्तर
आषाढ़ और भादो
पृष्ठ संख्या: 121
भाषा की बात
1. कृष्ण को 'गउवन के रखवारे' कहा गया है। जिसका अर्थ है गौओं का पालन करनेवाला। इसके लिए एक
शब्द दें।
उत्तर
गोपाला
2. नीचे दो पंक्तियाँ दी गई हैं। इनमें से पहली पंक्ति
में रेखांकित शब्द दो बार आए हैं, और दूसरी पंक्ति में भी दो बार। इन्हें पुनरुक्ति
(पुन:उक्ति) कहते हैं। पहली पंक्ति में रेखांकित शब्द विशेषण हैं और दूसरी पंक्ति
में संज्ञा।
'नन्हीं-नन्हीं बूँदन मेहा बरसे'
'घर-घर खुले किंवारे'
इस प्रकार के दो-दो उदाहरण खोजकर वाक्य में प्रयोग कीजिए और
देखिए कि विशेषण तथा संज्ञा की पुनरुक्ति के अर्थ में क्या अंतर हैं?
जैसे - मीठी-मीठी बातें, फूल-फूल महके।
उत्तर
विशेषण पुनरुक्ति
नए-नए - कल मैंने नए-नए कपडे पहने थे।
ठंडे-ठंडे - समोसे बड़े ठंडे-ठंडे हैं।
संज्ञा पुनरुक्ति
गली-गली - मैंने उसे गली-गली ढूंढा।
नगर-नगर - आजकल नगर-नगर छापेमारी चल रही है।
पाठ - 17 वीर कुँवर सिंह
(जीवनी) हिंदी वसंत भाग-II
पृष्ठ संख्या: 127
प्रश्न अभ्यास
निबंध से
1. वीर कुँवरसिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी
विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर
वीर कुँवरसिंह के व्यक्तित्व की निम्न विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है -
• बहादुर
• साहस
• बुद्धिमान
व चतुर
• उदार
• सांप्रदायिक
सद्भाव
2. कुँवरसिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद
मिली?
उत्तर
कुँवरसिंह को बचपन में घुड़सवारी, तलवारबाजी और कुश्ती लड़ने में मजा आता था। उन्हें इन कामों से
स्वतंत्रता सेनानी बनने में भरपूर मदद मिली। इन सब से उनके अंदर साहस और वीरता का विकास हुआ साथ ही वे
तलवारबाजी और घुड़सवारी की कला में निपुण हुए जिसे उन्हेोने अंग्रेज़ों के खिलाफ
युद्ध करने में इस्तेमाल किया।
3. सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था
थी- पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
इब्राहिम खाँ और किफायत हुसैन उनकी सेना में धर्म के आधार पर नहीं
अपितु कार्यकुशलता और वीरता के कारण उच्च पद पर आसीन थे। उनके यहाँ हिन्दुओं के और
मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे। उन्होंने पाठशाला के साथ मकतब भी बनवाए। इनसे पता चलता है की सांप्रदायिक सद्भाव में कुँवर सिंह की गहरी आस्था
थी।
4. पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुँवर
सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर
साहसी - ऊनि पूरी जीवन गाथा उनके साहसी होने का प्रमाण है। कुँवर सिंह ने जगदीशपुर हारने के बाद भी मनोबल नही खोया और
संग्राम में भाग लिया। उन्होंने अपनी घायल भुजा को स्वयं काटकर गंगा में समर्पित कर दिया जो की साहस का अद्वितीय उदहारण
है।
उदार - कुँवरसिंह
बड़े ही उदार हृदय थे। उनकी माली हालत अच्छी न
होने के बावजूद वे निर्धनों की हमेशा सहायता करते थे। उन्होंने कई तालाबों, कुँओं, स्कूलों तथा रास्तों का निर्माण किया।
स्वाभिमानी - वयोवृद्ध हो चुकने के बाद भी उन्होंने अंग्रेज़ों
के सामने घुटने नहीं टेके और उनका डटकर मुकाबला किया।
5. आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद फ़रोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुँवरसिंह ने मेले
का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर
वीर कुँवरसिंह ने मेले का उपयोग स्वतंत्रता की क्रांतिकारी गतिविधियों, गुप्त बैठकों की योजनाओं को कार्यान्वयित करने के
रूप में किया।
पृष्ठ संख्या: 128
भाषा की बात
1. आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग
करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है। जैसे - सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग
करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए।
सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के वर्ण 'नी' की मात्रा दीर्घ 'ी' (ई) से हृस्व 'ि' (इ) हो गई है।
ऐसे शब्दों को, जिनके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में हृस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता जैसे - दृष्टि से दृष्टियों।
नीचे दिए गए शब्दों के वचन बदलिए -
नीति, स्थिति, जिम्मेदारियों, सलामी, स्वाभिमानियों, गोली।
उत्तर
नीति - नीतियों
स्थिति - स्थितियों
जिम्मेदारियों - जिम्मेदारी
सलामी - सलामियों
स्वाभिमानियों - स्वाभिमानी
गोली - गोलियों
पाठ - 18 संघर्ष के कारण
मैं तुनुकमिज़ाज हो गया: धनराज (साक्षात्कार) हिंदी वसंत भाग-II
- विनीता पाण्डेय
पृष्ठ संख्या: 133
प्रश्न अभ्यास
साक्षात्कार से
1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी
छवि उभरती है वर्णन कीजिए।
उत्तर
साक्षात्कार के अनुसार धनराज पिल्लै खुले दिल के, सीधे-सरल और भावुक व्यक्ति हैं। वे बड़े ही कठिन आर्थिक संघर्षों से गुजरे जिससे वह अपने आप-को असुरक्षित समझने लगे थे। उन्हें
गुस्सा बहुत अधिक आता है परन्तु वह अपने घर-परिवार की बहुत इज्जत करते हैं। उन्हें
अपनी प्रसिद्धि पर जरा भी अभिमान नहीं है। लोगों
को लगता है कि उनके स्वभाव में तुनक-मिजाजी आ गई परन्तु आज भी वे सरल व्यक्ति हीं
हैं।
2. धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने
तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।
उत्तर
धनराज पिल्लै की ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की
यात्रा बहुत ही संघर्षपूर्ण है। उनका एक बहुत गरीब परिवार में जन्म हुआ। इनसे बड़े दो भाई हॉकी खेलते
थे जिसे देख इन्हें भी खेलने का शौक हुआ परन्तु स्टिक खरीदने के पैसे नही थे। ये
अपने साथियों से स्टिक उधार मांग कर खेलते थे। इन्हें अपनी पहली हॉकी स्टिक तब मिली जब इनके बड़े भाई का
चयन भारतीय कैंप के लिए हुआ। तब इनके बड़े भाई ने अपनी पुरानी स्टिक इन्हे दे दी।
मात्र 16 की उम्र में इन्होनें जूनियर
राष्ट्रीय हॉकी सन् 1985 में मणिपुर में खेली। 1986 इन्हें सीनियर टीम में डाल दिया गया। 1989 में ऑलविन एशिया कैंप में चुने
जाने के बाद ये सफलता के सीढियाँ लगातार चढ़ते रहे। 1999 में महराष्ट्र सरकार ने इन्हें पवई में एक फ्लैट दिया और 2000 में इन्होनें अपनी फोर्ड आइकॉन खरीदी।
3. 'मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से
सँभालने की सीख दी है' -
धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर
धनराज पिल्लै की इस बात का अर्थ है कि कई लोग प्रसिद्ध होने के
बाद घमंडी हो जाते हैं परन्तु उनकी माँ द्वारा दिए संस्कारों के कारण आज वह
प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद भी विन्रम स्वभाव के हैं। इंसान चाहे जितना ऊँचा उठ
जाएँ परन्तु उसमें घमंड की भावना नहीं होनी चाहिए।
साक्षात्कार से आगे
1. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर
ध्यानचंद हॉकी के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी थे। उनके स्टिक से बॉल
सटती तो गोल होकर ही वापस आती। वह हॉकी को एक करिश्माई अंदाज़ में खेलते। वह तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय
हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं। इसलिए ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है।
पृष्ठ संख्या: 134
2.किन विशेषताओं के कारण हॉकी को भारत का राष्ट्रीय
खेल माना जाता है?
उत्तर
सन् 1928 से लेकर 1956 तक भारत ने हर ओलम्पिक में हॉकी में स्वर्ण पदक हासिल किया। इस खेल ने गुलाम
भारत को विश्व में एक पहचान दिलाई इसलिए हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता
है।
अनुमान और कल्पना
1. 'यह कोई जरुरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए' - क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों की बातचीत के आधार पर लिखिए।
उत्तर
हम धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं क्योंकि
हमारे समाज में बहुत से संगीतकार, कलाकार, साहित्यकार, रंगकर्मियों, खिलाड़ी
आदि हैं जिन्हें शोहरत तो मिली परन्तु उनके काम का उचित मेहनताना नहीं मिला। पैसा
और शोहरत दोनों अलग चीज़ें हैं। पैसा तो गलत कामों से भी कमाया जा
सकता है परन्तु शोहरत केवल अपने काम के प्रति प्यार से प्राप्त
होता है।
भाषा की बात
1.
नीचे कुछ
शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने
के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए -
1.
प्रेरणा, प्रेरक, प्रेरित
2.
संभव, संभावित, संभवत:
3.
उत्साह, उत्साहित, उत्साहवर्धक
उत्तर
1. प्रेरणा - महात्मा गांधी के आदर्शों से हम सबको प्रेरणा लेनी
चाहिए।
प्रेरक
- महापुरुषों की कथाएँ प्रेरक होती हैं।
प्रेरित
- बहादुरी की कहानियाँ मुझे बहादुर बनने के लिए प्रेरित
करती हैं।
2. संभव - यह काम मेरे लिए संभव है।
संभावित
- परीक्षा की अभी संभावित तिथि ही जारी हुई है।
संभवत:
- संभवत: आज बारिश होगी।
3. उत्साह - आज का दिन उत्साह भरा रहा।
उत्साहित
- आज छात्र बड़े उत्साहित हैं।
उत्साहवर्धक
- यह किताब छात्रों कर लिए उत्साहवर्धक है।
2. तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस
प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे - बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही
शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप
लिखिए।
उत्तर
वर्षा - बारिश, बरखा, बरसात
चन्द्रमा - चंदा, चाँद, चन्द्र
नया - नया, नवीन, नूतन
पैर - पग, पद, पाँव
3. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी
रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए,
जैसे - फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं - गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।
उत्तर
क्रिकेट - गेंद, बल्ला, विकेट, रन, पिच, आदि।
पाठ - 19 आश्रम का
अनुमानित व्यय (लेखा-जोखा) हिंदी वसंत भाग-II
- मोहनदास करमचंद गांधी
पृष्ठ संख्या: 139
प्रश्न अभ्यास
लेखा जोखा
1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी
पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गाँधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में
आनेवाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगें?
उत्तर
गाँधी जी आश्रम में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को स्वावलंबी और
आत्मनिर्भर बनाना चाहते होंगें इसलिए वह पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आनेवाले औज़ार-छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि खरीदना चाहते होंगें।
2. गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं
व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उनपर लिखी गई किताबों से उन अंशों को
चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती का पता चलता है?
उत्तर
गांधीजी बचपन में स्कूल हमेशा समय पर जाते और
छुट्टी होते ही घर वापस चले आते। वे समय के पाबंद इंसान थे। वे कभी भी फिजूलखर्ची
नहीं करते थे यहाँ तक कि पैसा बचाने के लिए वे कई बार कई किलोमीटर पैदल यात्रा करते
थे क्योंकि उनका मानना था कि धन को जरुरी कामों में ही खर्च करना चाहिए। कुछ
किताबों के इन अंशों से हिसाब-किताब के प्रति गाँधी जी की चुस्ती पता चलता का है।
(छात्र
स्वयं भी गांधीजी की जीवनी पर आधारित किताबें पढ़कर जवाब दे सकते हैं।)
4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम
(जैसे - घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।
उत्तर
कपड़े सिलना - यह काम मुझे बहुत पेचीदा लगता है इसलिए मैं इसे
नही कर पाता।
पेड़-पौधे लगाना - चूँकि मुझे पौधों के बारे में ज्यादा जानकारी
नही है इसलिए मुझे यह नही आता।
पेड़-पौधे लगाना, कार चलाना, कम्प्यूटर
चलाना आदि काम मैं सीखकर ही छोड़ूंगा।
(छात्रों
को अपने विचारों के अनुसार उत्तर दे सकते हैं।)
5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के
उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?
उत्तर
आश्रम में स्वयं काम करने को ज्यादा महत्व दिया जाता था क्योंकि गांधीजी ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।गांधीजी लोगों को आजीविका प्रदान कर, लघु उद्योग को बढ़ावा देकर, श्रम को बढ़ावा देकर उन्हें स्वावलंबी बनाना चाहते
हैं।
भाषा की बात
1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है।
इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय
वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो
रहा है -
प्रमाणित, व्यथित, द्रवित, मुखरित, झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित।
उत्तर
प्रमाणित - प्रमाण + इत
व्यथित - व्यथा + इत
द्रवित - द्रव + इत
मुखरित - मुखर + इत
झंकृत - झंकार + इत
शिक्षित - शिक्षा + इत
मोहित - मोह + इत
चर्चित - चर्चा + इत
इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और शब्द के
पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे - सप्ताह + इक = साप्ताहिक।
नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द
पहचानिए और देखिए क्या परिवर्तन हो रहा है-
मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक, नैतिक, पौराणिक, दैनिक।
उत्तर
मौखिक - मुख + इक
संवैधानिक - संविधान + इक
प्राथमिक - प्रथम + इक
नैतिक - नीति + इक
पौराणिक - पुराण + इक
दैनिक - दिन + इक
पृष्ठ संख्या: 140
2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से
बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे सामासिक
शब्दों को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छः शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें
दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?
उत्तर
धनहीन - धन से हीन
रेलभाड़ा - रेल के लिए भाड़ा
रसोईघर - रसोई के लिए घर
आकाशवाणी - आकाश से वाणी
देशनिकाला - देश से निकाला हुआ
पापमुक्त - पाप से मुक्त
पाठ - 20 विप्लव गायन
(कविता) हिंदी वसंत भाग-II
- बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'
पृष्ठ संख्या: 142
प्रश्न अभ्यास
कविता से
1. 'कण-कण में है व्याप्त वही स्वर ..... कालकूट फणि की
चिंतामणि'
(क) 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश किसके लिए/किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?
उत्तर
कवि 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश का भाव नव-निर्माण और जनता को जागृत
करने के लिए प्रयुक्त हुए हैं।
(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरे अंतरतर से' - पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है?
उत्तर
वही स्वर, वह
ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का 'रुद्ध-गीत की क्रुद्ध तान है/निकली मेरे अंतरतर से' में आपसी संबंध बनता है क्योंकि कवि इन पंक्तियों में आवेशपूर्वक जनता को जागृत
करना चाहते है परंतु उसके कंठ से वह गीत बाहर नहीं आ सकता जिससे वह और भी अधिक
अधीर हो जाता है।
2. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए -
'सावधान ! मेरी वीणा में ...... दोनों ऐंठी हैं।'
उत्तर
इस पंक्ति में कवि लोगों को परिवर्तन के प्रति
सावधान करता है और वीणा से कोमल स्वर निकालने की बजाय कठोर स्वर निकलने के कारण
उसकी उँगलियों की मिजराबें टूटकर गिर गईं, जिससे उसकी उँगलियाँ
ऐंठकर घायल हो जाती है ।
पृष्ठ
संख्या: 143
भाषा की बात
1.
कविता में
दो शब्दों के मध्य (-) का प्रयोग किया गया है, जैसे - 'जिससे उथल-पुथल मच जाए' एवं 'कण-कण में है व्याप्त वही स्वर'। इन पंक्तियों को पढ़िए और
अनुमान लगाइए कि कवि ऐसा प्रयोग क्यों करते हैं?
उत्तर
कवि कविता में दो शब्दों के मध्य (-) का प्रयोग कर शब्दों में
लय बनाये रखते हैं। इस कारण कविता भी ओजपूर्ण लगती है।
2. कविता में (,-।) आदि जैसे विराम चिह्नों का उपयोग रुकने, आगे-बढ़ने अथवा किसी खास भाव को अभिव्यक्त करने के लिए किया
जाता है। कविता पढ़ने में इन विराम चिह्नों का प्रभावी प्रयोग करते हुए काव्य पाठ
कीजिए।
गद्य में आमतौर पर है शब्द का प्रयोग
वाक्य के अंत में किया जाता है, जैसे - देशराज जाता है। अब कविता की निम्न
पंक्तियों को देखिए -
'कण-कण में है व्याप्त......वही तान गाती रहती है,'
इन पंक्तियों में है शब्द का प्रयोग अलग-अलग जगहों पर किया गया है।
कविता में अगर आपको ऐसे अन्य प्रयोग मिलें तो उन्हें छाँटकर
लिखिए।
उत्तर
• कंठ
रुका है महानाश का
• टूटीं
हैं मिजराबें
• रोम-रोम
गाता है वह ध्वनि
3. निम्न पंक्तियों को ध्यान से देखिए -
'कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ......एक हिलोर उधर से आए,'
इन पंक्तियों के अंत में आए, जाए जैसे तुक मिलानेवाले शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसे
तुकबंदी या अंत्यानुप्रास कहते हैं।
कविता से तुकबंदी के अन्य शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर
• बैठी है
- ऐंठी हैं
• इधर -
उधर
• रुद्ध -
युद्ध
• फणि -
मणि
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