परीक्षाएं जब भी होती हैं बच्चों के साथ माता-पिता की भी परीक्षा होती है। बच्चों की परीक्षा से पता चलता है कि बच्चों ने कितनी मेहनत की है सभी विषयों में और माता पिता की परीक्षा यह होती है उन्होंने बच्चों का कितना हौसला बढ़ाया, घर का माहौल उनके अनुकूल रखा, उनकी खुराक पर पूरा ध्यान दिया। माता-पिता का फर्ज बनता है बच्चों के दिलों में परीक्षा का डर या हौव्वा न बिठा कर उनसे दोस्ती कराई जाए ताकि वह सकारात्मक विचारों को लिए विषयों को अच्छी तरह पढ़ें और अच्छे परिणाम ला सकें।
बच्चे की हौसला बढ़ाते रहें:
यह सच है मन के जीते जीत है, मन के हारे हार बच्चे की हिम्मत बनाए रखें, मानसिक रूप से उसे बताते रहें आप पढ़ सकते हैं और अच्छा कर सकते हैं। आप होशियार हैं, आपकी स्मरण शक्ति स्ट्रांग है ताकि वह मानसिक रूप से अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा सके। जहां महसूस हो या बच्चा स्वयं कहे कि उसका मॉरल डाउन हो रहा है, वहीं उसे प्यार और अतिरिक्त ध्यान दें और उसका मॉरल डाउन न होने दें।
पिछले सालों के पेपर भी साल्व करवाएं
परीक्षाओं से कुछ दिन पूर्व पुराने सालों के पेपर उसे हल करने को दें ताकि । पेपर का पैटर्न समझ सके और उसकी घबराहट दूर हो सके। साल्व करते समय उसे अलग कमरे में बिना किसी बाधा के निर्धारित समय देते हुए पेपर हल करने को दें ताकि उसे विश्वास हो जाए कि वह निर्धारित समय में पेपर कर सकता है। यदि वह थोड़ा पीछे भी है तो हौसला बढ़ाते हुए अभ्यास कराते रहे।
फाइनल परीक्षा पर पूरा ध्यान दें:
फाइनल परीक्षा होने से कम से कम डेढ़ माह पूर्व उसको समझाएं अपना पूरा ध्यान परीक्षा पर लगाएं और स्वयं भी सहयोग दें। उन दिनों आउटिंग पर बिना मजबूरी न निकलें और घर पर कोई पार्टी न रखें। बच्चे को समझाएं कि फाइनल परीक्षा के लिए पंद्रह-बीस दिन पर्याप्त नहीं होते। उसकी मदद कर टाइम टेबल बनवाएं, महत्त्वपूर्ण टॉपिक्स पर निशान लगाएं।
टीचर से मिलकर बच्चे की कमजोरी का पता लगाएं ताकि उस पर विशेष ध्यान दे सके। पेपर के संभावित प्रश्नों को ध्यान में रख कर उसे तैयारी कराने में मदद करें। कौन सा प्रश्न कितने अंक का है और अधिकतम कितने अंक ला सकता है। कितने समय में संभावित प्रश्न का उत्तर लिखा जा सकता है। इसमें बच्चे की मदद करें।
किन विषयों में स्कोर ज्यादा कर सकता है, उसे पहचानें:
कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिनमें बच्चे शत प्रतिशत स्कोर कर सकते हैं और कुछ में थोड़ा कम अध्यापक से मिलकर पूरी जानकारी ले और बच्चे को उन विषयों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने को कहें। बच्चे को प्रश्नों का उत्तर देते हुए बताएं कैसे अच्छे से एक्सप्रेस करना है, टीचर की मदद से बताएं।
घर पर टेस्ट लें:
बच्चे की घबराहट दूर करने के लिए बीच बीच में उसका टेस्ट लें। टेस्ट पेपर स्वयं तैयार करें जिनमें महत्वपूर्ण टॉपिक्स को लें ताकि उसका रिवीजन भी हो सके और अंदाजा भी हो जाएगा कि बच्चा कहां स्टैंड कर रहा है।
डर कैसा
महत्वपूर्ण बिंदुओं को अलग से बच्चे को कहें कि नोट कर ले ताकि सोने से पहले उसे दोहरा सके।
परीक्षा भवन पहले से देख लें:
अगर अलग स्थान पर पेपर होने हैं तो बीच में एक दिन जाकर उस स्थान को चैक कर लें। ताकि पहले पेपर के दिन ढूंढने में समय बर्बाद न हो और आपको भी पता चल जाए कि कितना समय लगेगा। बच्चे को घबराहट भी कम होगी।
डाइट पर ध्यान दें
■ बच्चे का एनर्जी लेवल बना रहे, इसलिए एक कटोरी में सूखे मेवे रख दें ताकि भूख लगने पर उन्हें खा सके और तुरंत एनर्जी भी पा सके।
■ पीने को पौष्टिक पेय दें जैसे स्मूदी, फ्लेवर्ड मिल्क, फलों का ताजा जूस आदि बदलते मौसम में बच्चों के गले जल्दी खराब होते हैं। ठंडी वस्तुओं से परहेज रखें, न ही ठंडा पानी दें।
■ रात्रि में सोने से पूर्व एक कप गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिला दें ताकि इम्यून सिस्टम ठीक रहे।
■ अगर बच्चा देर तक पढ़ रहा है तो उसे भेलपुरी, उपमा, चिवड़ा, हैल्दी चीजें खाने को दें।
■ सब्जियों का गर्म सूप भी बच्चे के लिए पौष्टिक होता है। भारी भरकम खाना खाने को न दें, न ही अधिक चटपटा मसालेदार भोजन दें।
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