1.4 प्रयत्न के आधार पर व्यंजन के भेद
स्वरतंत्री में कंपन के आधार पर – अघोष
और सघोष
घोष और अघोष व्यंजन---
' घोष या सघोष व्यंजन ' :
- ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ
झंकृत अर्थात कंपायमान होती है , उन्हें ' घोष '
या
सघोष व्यंजन कहते है जैसे – ग, घ, ङ,
ज,
झ,
ञ,
ड,
ढ,
ण,
द,
ध,
न,
ब,
भ,
म
(वर्णों के तृतीय, चतुर्थ और पंचम व्यंजन) ड़ ढ़ ज य र ल व ह
अघोष व्यंजन : - जिन ध्वनियों का उच्चारण
स्वरतंत्रियाँ झंकृत अर्थात कंपायमान नहीं होती, उनको '
अघोष
' व्यंजन
कहते हैं ! क, ख, च, छ, ट,
ठ,
त,
थ,
प,
फ
(वर्णों के प्रथम तथा द्वितीय व्यंजन) फ़ श ष स ।
ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं –
सभी स्वर
घोष अघोष
ग , घ , ङ क , ख
ज , झ , ञ च , छ
ड , द , ण , ड़ ,
ढ़ ट , ठ
द , ध , न त , थ
ब , भ , म प , फ
य , र , ल , व ,
ह श , ष , स
श्वास (प्राण) की मात्रा के आधार पर – अल्पप्राण
और महाप्राण
अल्पप्राण : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास
वायु की कम मात्रा की आवश्यकता होती है, उनको अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं;
जैसे – क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म (वर्णों
के प्रथम, तृतीय और पंचम) ड़ य र ल व
महाप्राण : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास
वायु की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है, उनको महाप्राण व्यंजन कहते हैं;
जैसे – ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भ (वर्णों के
द्वितीय और चतुर्थ) ढ़ ह
श्वास के अवरोध के आधार पर – स्पर्श और
संघर्षी
स्पर्श व्यंजन : (क वर्ग से प वर्ग तक, च
वर्ग के आलावा)
क ख ग घ ङ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
स्पर्श-संघर्षी व्यंजन : च छ ज झ ञ
(च वर्ग)
अंत:स्थ व्यंजन : य र ल व
उष्म (संघर्षी) व्यंजन : श ष स ह
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