30. व्याकरण हिन्दी || 01.05 प्रयत्न के आधार पर व्यंजन के भेद



1.4 प्रयत्न के आधार पर व्यंजन के भेद

स्वरतंत्री में कंपन के आधार पर अघोष और सघोष


घोष और अघोष व्यंजन---
' घोष या सघोष व्यंजन : - ध्वनि की दृष्टि से जिन व्यंजन वर्णों के उच्चारण में स्वरतन्त्रियाँ झंकृत अर्थात कंपायमान होती है , उन्हें ' घोष ' या सघोष व्यंजन कहते है जैसे , , , , , , , , , , , , , , म (वर्णों के तृतीय, चतुर्थ और पंचम व्यंजन) ड़ ढ़ ज य र ल व ह

अघोष व्यंजन : - जिन ध्वनियों का उच्चारण स्वरतंत्रियाँ झंकृत अर्थात कंपायमान नहीं होती, उनको ' अघोष ' व्यंजन कहते हैं ! क, , , , , , , , , फ (वर्णों के प्रथम तथा द्वितीय व्यंजन) फ़ श ष स ।


ये घोष - अघोष व्यंजन इस प्रकार हैं
सभी स्वर

घोष                               अघोष

, ,                            ,
, ,                           ,
, , , ड़ , ढ़                        ,
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, ,                            ,
, , , ,                          , ,



श्वास (प्राण) की मात्रा के आधार पर अल्पप्राण और महाप्राण


अल्पप्राण : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु की कम मात्रा की आवश्यकता होती है, उनको अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं;
जैसे क ग ङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म (वर्णों के प्रथम, तृतीय और पंचम) ड़ य र ल व

महाप्राण : जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वास वायु की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है, उनको महाप्राण व्यंजन कहते हैं;
जैसे ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भ (वर्णों के द्वितीय और चतुर्थ) ढ़ ह

श्वास के अवरोध के आधार पर स्पर्श और संघर्षी


स्पर्श व्यंजन : (क वर्ग से प वर्ग तक, च वर्ग के आलावा)
क ख ग घ ङ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म

स्पर्श-संघर्षी व्यंजन : च छ ज झ ञ (च वर्ग)
अंत:स्थ व्यंजन : य र ल व

उष्म (संघर्षी) व्यंजन : श ष स ह

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