Class 08 || Science H || Ch. 01 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

Class 08 || Science H || Ch. 01 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

प्रश्न :- फसल किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर :- जब एक ही किस्म के पौधों को किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाया जाता है तो उसे हम फसल कहते हैं। जैसे यदि किसी खेत में सभी पौधे गेहूं के हैं तो उसे हम गेहूं की फसल कहते हैं।
फसलों के गुण धर्म के आधार पर हम फसल को अन्य, दलहन (लाल), तिलहन (तेल), फल, सब्जी आदि में विभाजित कर सकते हैं।

प्रश्न:- मौसमी विविधता के आधार पर फसलें कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर :- मौसमी विविधता के आधार पर फसलें दो प्रकार की होती है।
(A)   खरीफ की फसल और (B) रवि की फसल

खरीफ की फसल :- वर्षा ऋतु में बोई जाने वाली फसल खरीफ की फसल कहते हैं। इन्हें हम जून से सितंबर तक अर्थात वर्षा ऋतु में उगाते हैं। जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास आदि।

रवि की फसल :- शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलों को रवि की फसल कहा जाता है। जैसे गेहूं चना, मटर, सरसों आदि

प्रश्न:-  कृषि पद्धति किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार की हैं,?
 उत्तर :- फसल उगाने के लिए किसान जिन तरीके को अपनाता है । उन्हें कृषि पद्धति या  फसल पद्धति कहते हैं।
फसलों को उगाने के लिए किसान द्वारा की गई कृषि कार्य अर्थात कृषि क्रियाकलाप कृषि पद्धतियां हैं | जो निम्न प्रकार हैं-
·         मिट्टी तैयार करना
·         बुआई
·         खाद एवं उर्वरक देना
·         सिंचाई
·         खरपतवार से सुरक्षा
·         कटाई
·         भंडारण

प्रश्न :- खेत जोतना या मिट्टी तैयार करना किसे कहते हैं? जुताई करना क्यों आवश्यक है?
                                  अथवा
कृषि से पहले मिट्टी क्यों तैयार की जाती है और इसे किस प्रकार तैयार करते हैं ? यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर :- मिट्टी को उलटना पलटना और पोला करने की प्रक्रिया को जुताई अथवा खेत जोतना कहते हैं इसी को हम मिट्टी तैयार करना भी कहते हैं।

इसके लिए किसान खेत में पानी देकर कुछ दिन के लिए उसको ऐसे ही छोड़ देता है । तब खेत की मिट्टी हल्की सी नमी वाली रह जाती है तब उसमें किसान हल अथवा ट्रैक्टर या अन्य किसी उपकरण के द्वारा खेत की मिट्टी को उलट-पुलट करता है अर्थात जुताई करता है।

जैसे की हम जानते हैं मिट्टी कुछ सेंटीमीटर तक ही पौधे के लिए उपजाऊ होती है। खेत की मिट्टी कि इस ऊपरी परत को उलट-पुलट करना ही जुताई कहलाता है।

जुताई करने का कारण 
* इसे फसली पौधों की जड़े जमीन में गहराई तक चली जाती है और मिट्टी के पूरे होने के कारण आसानी से श्वसन करती हैं।
* इस पोली मिट्टी में किसानों के मित्र केंचुए और अन्य लाभदायक सूक्ष्मजीव होते हैं । जो मिट्टी में ह्यूमस की मात्रा बढ़ाकर उसे उपजाऊ बनाते हैं।
* इस मिट्टी में आपघटन करने वाले सूक्ष्म जीव भी होते हैं जो जीवो को आपघटित कर उनके शरीर में उपस्थित खनिज आदि को अलग करते हैं । जिन्हें पादप की जड़ें जमीन से आसानी से अवशोषित कर लेती हैं।
* जुताई करने से मिट्टी में नीचे पहुंचे पोषक तत्व ऊपर आ जाते हैं।
* इससे मिट्टी के अंदर नाइट्रोजन एवं फास्फोरस वह अन्य उपयोगी पदार्थो की जो मात्रा होती है। वह पूर्ण रूप से मिट्टी के अंदर मिल जाती है। 

प्रश्न :- पाटल क्या है ? यह किस काम में लाया जाता है? उत्तर:- पाटल लकड़ी का एक बहुत बड़ा और भारी टुकड़ा होता है जो खेत के मे बने मिट्टी के बड़े-बड़े ढ़ेलों को तोड़ने के काम आता है । इसका उपयोग खेतों को समतल करने में भी किया जाता है।

प्रश्न :-  कृषि औजार किसे कहते हैं ? कुछ के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:-  विभिन्न कृषि कर्म में विभिन्न औजारों उपयोग में आते हैं । जैसे जैसे हल, फावड़ा, कुदाल, खुरपा आदि औजार खेत की मिट्टी को भुरभुरा या उलट-पुलट करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।  

दरांती व हंसिया का उपयोग फसल वह चारा आदि को काटने के काम मिलाया जाता है।

प्रश्न :- हल क्या है और यह किस काम आता है ?
उत्तर:- हल कृषि कार्य का एक महत्वपूर्ण हो औजार है। इसका उपयोग खेत जोतने, निराई करने, खरपतवार निकालने आदि में किया जाता है ।
यह लकड़ी अथवा धातु का बना होता है । इसके नीचे के हिस्से में लोहे की एक तिकोनी पत्ती लगी होती है। जिसे फाल कहते हैं । फाल के ऊपर एक हैंडिल लगा होता है। जो बाल को नियंत्रित करता है। यह फाल एक लकड़ी के लंबे डंडे से जुड़ी होती है जिसे हल साफ्ट कहते हैं। हल साफ्ट के ऊपरी सिरे पर जोत अथवा जुए के द्वारा बंधी होती है । इसमें बैल, भैसा, ऊंट आदि का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न :- बुवाई क्या है और उसमें अच्छे प्रकार के बीच का चयन किस प्रकार किया जाता है? 
उत्तर :- बुआई:- बीजों को मिट्टी के अंदर उचित गहराई पर फसल उगाने के लिए डालना बुवाई कहलाता है।
फसलों के लिए अच्छी किस्म व अच्छी गुणवत्ता वाले तथा स्वस्थ और साफ होना चाहिए। ताकि वे बीज किसान को अच्छी व अच्छी गुणवत्ता वाली अधिक उपज दे सके। 

बीज का चयन- किसान को फसल उत्पादन करने से पहले बीज का चयन करना बहुत जरूरी है । बीजअच्छे किस्म का, अधिक उत्पादन देने वाला, रोग निरोधी क्षमता वाला और क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए ।
इसका सबसे अच्छी विधि यह है कि बीज बोने से पहले बीज को पानी में डाल देना चाहिए । जिससे जो बीज खराब होंगे वह पानी के ऊपर तैरने लग जाते हैं । जिन्हें आसानी से बाहर निकाला जा सकता है और अच्छी किस्म के बीजों को खेत में उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न :- पौध क्या है ? पौध से उगाई जाने वाली किसी फसल का नाम बताइए?
उत्तर :- अलग क्यारियों में तैयार किए गए छोटे-छोटे नवोदभिदों को पोर्ट कहते हैं। धान इसी प्रकार पौध तैयार करके लगाया जाता है। 

प्रश्न :- पौधों को लगाते समय उनके बीच उचित दूरी क्यों रखनी चाहिए ?
उत्तर:- पादपों को अपना भोजन बनाने के लिए और वृद्धि करने के लिए उचित प्रकाश, खनिज और पानी की आवश्यकता होती है इसलिए उन्हें दूर दूर लगाया जाता है
 यदि वे घनी मात्रा में उगाए जाएंगे तो उनमें प्रकाश, खनिज और पानी के लिए प्रतियोगिता होगी और वे ठीक से नहीं पनप पाएंगे।

प्रश्न :- खेत में खाद या उर्वरक डालने की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:- खेत में लगातार फसल लेने से उसकी उपजाऊ शक्ति अर्थात उसमें उपस्थित खनिज आदि की मात्रा घट जाती है । जिसके कारण अगली फसल सही प्रकार नहीं उग पाती । इसीलिए हमें खेत में खनिज आदि पदार्थों की पुनः पूर्ति के लिए खाद्य या उर्वरक की को डालने की आवश्यकता होती है। खेत में खाद डालने की प्रक्रिया को खाद देना कहते हैं।

प्रश्न :- खाद किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती है? और इसका उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर :- खेत या मृदा की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पदार्थों को खाद्द कहते हैं। 
खाद दो प्रकार की होती हैं -
1. खाद  (कार्बनिक खाद या जैविक खाद )
2. उर्वरक (रासायनिक खाद)

1. खाद (कार्बनिक खाद या जैविक खाद) :- मुख्य रूप से जीव जंतुओं एवं पौधों के सड़े-गले अवशेषों के सूक्ष्म  जीवो द्वारा अपघटन कराने से खाद का निर्माण किया जाता है । इसी हम कार्बनिक खाद या जैविक खाद कहते हैं। यह खाद सूक्ष्म जीवो एवं केंचुआ के द्वारा बनाई जाती है। इसलिए इसे जैविक खाद कहते हैं। इसमें मुख्यत कार्बनिक पदार्थों का उपयोग किया था इसलिए  कार्बनिक खाद भी कहते हैं। इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से किया जाता है। जैसे कंपोस्ट खाद, वर्मी कंपोस्ट खाद आदि

2. उर्वरक (रासायनिक खाद) :- उर्वरक खनिज पूरक पदार्थ होते हैं विशेष रूप से बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में अनेकों रसायनों के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं इसलिए रसायनिक खाद भी कहते हैं। क्योंकि यह मिट्टी में विशेष खनिज की प्रतिपूर्ति करते हैं इसलिए इन्हें उर्वरक कहते हैं। जैसे यूरिया, अमोनियम सल्फेट, सुपर फास्फेट पोटाश, NPK (नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटैशियम) आदि।
इनकी कम मात्रा में आवश्यकता होती है परंतु यह मिट्टी को अम्लीय अथवा क्षारीय बना देता है । इसलिए हम कह सकते हैं कि यह प्रदूषण करते हैं।

खाद के लाभ:- जैविक खाद उर्वरक की अपेक्षा अच्छे माने जाते है । इसका मुख्य कारण है
* इसके उपयोग से मिट्टी की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है।
* इससे उपयोग से मिट्टी भुरभुरी एवं सारंध्र हो जाती है। जिसके कारण जल व गैस आदि का विनिमय सरलता से होता है
* इससे पर्यावरण मित्र सूक्ष्मजीवों की संख्या में वृद्धि होती है।
* मिट्टी के अंदर नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की मात्रा मैं वृद्धि होती है।
* मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है।
* फसल उत्पादन अधिक होता है।

प्रश्न :- नाइट्रिककरण किसे कहते हैं और यह किस जीव की सहायता से होता है?
उत्तर :- नाइट्रोजन का स्थिरीकरण:-  प्राकृतिक नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलने की प्रक्रिया को नाइट्रोजन का स्थिरीकरण या नाइट्रिकरण कहते हैं। 
रायझोबियम राइजोबियम बैक्टीरिया नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है। यह बैक्टीरिया फलीदार पौधों की जड़ों में पाया जाता है|

प्रश्न :- सिंचाई किसे कहते हैं ? सिंचाई के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं और सिंचाई की कुछ पारंपरिक साधनों के नाम भी बताइए ?
उत्तर :- सिंचाई:-  नियमित अंतराल पर फसल को पानी देने की प्रक्रिया को सिंचाई कहते हैं। बीज की बुवाई के बाद सिंचाई बहुत आवश्यक है क्योंकि इसी जल की सहायता से मिट्टी में मिले हुए खनिज व अन्य उपयोगी पदार्थों को फसली पौधे उपयोग कर पाते हैं।
अतः सही समय पर सिंचाई उत्पादन क्षमता में वृद्धि करती है अन्यथा फसल फसल खराब हो जाती है। फसल की योग्यता के अनुसार सिंचाई बहुत जरूरी है|

सिंचाई के स्रोत:- भारत में सिंचाई के लिए अनेक स्रोत उपयोग किए जाते हैं। जैसे कुआं, जलकूप, टूयूवबैल, तालाब, झील, नदियां, बांध एवं नहर आदि।

सिंचाई के पारंपरिक तरीके :- झीलों एवं नहरों में उपलब्ध जल को निकालकर खेतों तक पहुंचाने के तरीकों को पारंपरिक तरीके कहते हैं । इन्हें मवेशी अथवा मजदूरों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

विभिन्न पारंपरिक तरीके निम्न है - मोट (घिरणी ), चेन पंप, ढोलकी,  रहट (उत्तोलक तंत्र)

सिंचाई की आधुनिक विधियां:- छिड़काव तंत्र, ड्रिप तंत्र आदि।

प्रश्न  :- खरपतवार किसे कहते हैं ? इसे नष्ट करने वाले रसायन को किस नाम से जाना जाता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करो । हम खरपतवार हमको किस प्रकार दूर कर सकते हैं ?
उत्तर :- खरपतवार :- फसल में प्राकृतिक रूप से उगे अवांछित पौधों को खरपतवार कहते हैं। जैसे घास, बथुआ, हिरनखुरी आदि।
खरपतवार को नष्ट और नियंत्रित करने वाले रसायनों को खरपतवारनाशी कहते हैं । जैसे 2, 4-D. खरपतवारनाशी जहरीले पदार्थ हैं । अतः इनका उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए और इन्हें बच्चों से दूर रखना चाहिए।

खरपतवारनाशी के साथ साथ हम फसल उगे मेंअवांछित पौधों को निराई के द्वारा, सीधे उखाड़ कर खेत से बाहर फेंक सकते हैं। 

फसलों के बीच उगे प्राकृतिक पौधों को फसल से निकाल कर बाहर फेंकना, यह निराई कहलाता है।

प्रश्न :- कटाई किसे कहते हैं और इसमें फिल्म यंत्रों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर :- कटाई:- फसलों के पक जाने पर उनको काटना कटाई कहलाता है। कटाई एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए फसल को या तो जमीन के पास से काट लिया जाता है अथवा खींचकर उखाड़ लिया जाता है।

 फसलों को हम  निम्नलिखित उपकरणों के द्वारा काटते हैं| जैसे दरांती, हार्वेस्टर, थ्रेसिंग मशीन आदि।

थ्रेसिंग:- काटी गई फसल को मशीन के द्वारा भूसे व दानों से अलग करना थ्रेसिंग कहलाता है।

फटक:-  विधि छोटे किसान अनाज को फटक विधि द्वारा अलग करते हैं इस विधि को विनोंइग भी कहते हैं|

प्रश्न :- भंडारण किसे कहते हैं और इसका क्या उपयोग है? 
उत्तर :- भंडारण :- फसल की कटाई के बाद उसको लंबे समय तक सुरक्षित रखने की प्रक्रिया को भंडारण कहते हैं। भंडारण में अनेक बातों का ध्यान रखा जाता है कि फसल साफ, शुद्ध, नमीरहित, चूहे एवं सूक्ष्म जीवों से सुरक्षित रखना होता है ।
वहीं से पीड़ा को और सूक्ष्मजीवों आदि के आक्रमण से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का उपयोग भी करना पड़ता है। वर्तमान में फसल का भंडारण साइलो और भंडार गृहों में बोरों या अन्य किसी धातु के पात्र में किया जाता है। 

प्रश्न :- पशुपालन क्या है और यह क्यों किया जाता है ?
उत्तर :- 
पशुपालन:- जब किसी जानवर को अधिक पैमाने पर पाला जाता है तो उसे पशुपालन कहते है । पशुपालन से अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण किया जाता है|

जंतुओं के द्वारा पौषण:- मनुष्य को भोजन पौधों से ही नहीं बल्कि जंतुओं से भी प्राप्त होता है अर्थात वे पशु उत्पादों पर भी निर्भर है।  जैसे दूध मांस आदि।

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1. उचित शब्द छांटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए । तैरने, जल, फसल, पोषक, तैयारी।
(क) एक स्थान पर एक ही प्रकार के बड़ी मात्रा में उगाए गए पौधों को कहते हैं।
(ख) फसल उगाने से पहले प्रथम चरण मिट्टी की ……………… होती है।
(ग) क्षतिग्रस्त बीज जल की सतह पर ….. ………. लगेंगे।
(घ) फसल उगाने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं मिट्टी से ……….. तथा …. आवश्यक हैं।

उत्तर- (क) फसल (ख) तैयारी (ग) तैरने (घ) जल, पोषक

प्रश्न 2. ‘कॉलम A’ में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम B से कीजिए।
कॉलम A कॉलम B
(I) खरीफ़ फसल
(Ii) रबी फसल

(Iii) रासायनिक उर्वरक

(Iv) कार्बनिक खाद

(A) मवेशियों का चारा
(B) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट

(C) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष

(D) गेहूं, चना, मटर

(E) धान एवं मक्का।

उत्तर – 

कॉलम A कॉलम B
(I) खरीफ़ फसल
(Ii) रबी फसल

(Iii) रासायनिक उर्वरक

(Iv) कार्बनिक खाद

(E) धान एवं मक्का
(D) गेहूँ, चना, मटर

(B) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट

(C) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष।

 

प्रश्न 3. निम्न के दो-दो उदाहरण दीजिए(क) खरीफ़ फसल   (ख) रबी फसल
उत्तर- (क) खरीफ़ फसल-
(I) धान
(Ii) मक्का

(ख) रबी फसल-
(I) गेहूँ
(Ii) चना

प्रश्न 4. निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए
(क) मिट्टी तैयार करना
(ख) बुआई
(ग) निराई
(घ) थ्रेशिंग
उत्तर-  (क) मिट्टी तैयार करना- मिट्टी को पलटना और पोला बनाना ताकि इसमें पौधे वृद्धि कर सकें और । साँस ले सकें। इससे सूक्ष्मजीवों की वृधि भी उचित होती है। इस प्रक्रिया को जुताई कहते हैं। १. जुते हुए खेत में सूखी मिट्टी के बड़े-बड़े ढेलों को पाटल की सहायता से तोड़ते हैं। मिट्टी का पानी और वायु द्वारा अपरदन रोकने के लिए मिट्टी को समतल करना भी जरूरी है।

(ख) बुआई- खेत में बीज बोने की विधि को बुआई कहते हैं। यह फसल उत्पादन का महत्त्वपूर्ण चरण है। बोने से पहले अच्छी गुणवत्ता वाले स्वस्थ बीजों का चयन किया जाता है। बीजों को हाथों द्वारा या सीड-ड्रिल द्वारा खेतों में बोया जाता है।

(ग) निराई- यह खेतों में से अवांछित पौधे (खरपतवार) हटाने की विधि है। यह विधि बहुत आवश्यक है क्योंकि खरपतवार जल, पोषक, स्थान और प्रकाश के लिए फसल से स्पर्धा रखती है।

खरपतवार पौधों को हाथ से जड़ सहित उखाड़ कर अथवा भूमि के निकट से काट कर हटाया जाता है। खरपतवार हटाने का सर्वोत्तम समय उनमें पुष्प एवं बीज बनने से पहले का होता है। यह कार्य खुरपी या हैरो से करते हैं। कुछ रसायनों का उपयोग खरपतवार नियंत्रण के लिए किया जाता है, जिन्हें खरपतवारनाशी कहते हैं। इनका उपयोग जल में घोल कर फसल पर छिड़काव द्वारा किया जाता है।
उदाहरण-2-4 D

(घ) थ्रेशिंग- कटी हुई फसल में से अनाज को भूसे से अलग करने की विधि को श्रेशिंग कहते हैं। श्रेशिंग के लिए पशुओं का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। बड़े-बड़े खेतों में श्रेशर या कंबाइन मशीन उपयोग में लाई जाती है। कंबाइन कटाई और थ्रेशिंग दोनों कार्य करती है।

प्रश्न 5. स्पष्ट कीजिए कि उर्वरक खाद से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर- उर्वरक और खाद में भिन्नता

उर्वरक (Fertilizers) खाद (Manures)
(1) एक अकार्बनिक लवण है।
(2) इसका उत्पादन फैक्ट्रियों में होता है।

(3) इससे मिट्टी में ह्यूमस की वृद्धि नहीं होती।

(4) इसमें पादप पोषक प्रचुर मात्रा में होते हैं।

एक कार्बनिक पदार्थ है।
इसे खेतों में गोबर, अपशिष्ट के अपघटन से बनाया जाता है

इसमें हयूमस प्रचुर मात्रा में होती है।

इसमें पादप पोषक की मात्रा अल्प होती है।

प्रश्न 6. सिंचाई किसे कहते हैं? जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- विभिन्न अंतराल पर खेत में नियमित जल देना सिंचाई कहलाता है। सिंचाई का समय एवं बारंबारता फसलों, मिट्टी एवं ऋतु में भिन्न होता है।

सिंचाई की आधुनिक विधियों द्वारा जल का उपयोग मितव्ययता से होता है। जल संरक्षित करने वाली मुख्य विधियां हैं|

(I) छिड़काव तंत्र (Sprinkler System)—इस विधि का उपयोग असमतल भूमि जहां जल की मात्रा कम होती है, पर किया जाता है। सारे खेत में उर्ध्व पाइपों का जाल बिछा होता है, जिनके ऊपरी सिरों पर घूमने वाले नोजल लगे रहते हैं। यह पाइप निश्चित दूरी पर मुख्य पाइप से जुड़े होते हैं। पंप की सहायता से भेजा गया जल मुख्य पाइप से होता हुआ नोजल से वर्षा के रूप में पौधों पर गिरता है। यह छिड़काव रेतली (Sands) मिट्टी के लिए उपयोगी है।

(Ii) ड्रिप-तंत्र (Drip System)—इस विधि में पौधों की जड़ों पर जल बूंद-बूंद करके गिरता है, इसलिए इसे ड्रिप-तंत्र कहते हैं। फलदार पौधों, बगीचों और वृक्षों को जल देने की यह सर्वोत्तम विधि है।

ड्रिप तंत्र में एक मुख्य नली होती है जिसकी सहायक नलियां होती हैं। इन सहायक नलियों के सिरे पर विशेष नोजल लगी होती है। इनसे जड़ों को बूंद-बूंद पानी मिलता है और पानी व्यर्थ नहीं जाता। यह विधि जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए वरदान है।

प्रश्न 7. यदि गेहूँ को खरीफ ऋतु में उगाया जाए तो क्या होगा? चर्चा कीजिए।
उत्तर- गेहूँ एक रबी फसल है अथात् यह सर्दी की ऋतु में होती है और इसे कम तापमान और कम पानी की

आवश्यकता होती है। यदि गेहूँ को खरीफ या वर्षा ऋतु में बोया जाएगा तो इसे अधिक पानी मिलने से गेहूं की फसल मर जाएगी या अस्वस्थ पौधे उगेंगे।

प्रश्न 8. खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर- फसल के अच्छे उत्पादन के लिए खेतों में खाद व उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग किया जाता है। खाद और उर्वरकों में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाशियम आदि पोषक तत्त्व भरपूर होते हैं, परंतु यह मिट्टी की प्रकृति बदल देते हैं। मिट्टी क्षारीय अथवा अम्लीय बन सकती है।

प्रश्न 9. खरपतवार क्या हैं? हम उनका नियंत्रण कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर- खरपतवार-उपज के साथ उगे हुए अवांछित पौधे खरपतवार कहलाते हैं। खरपतवार हटाने को निराई कहते हैं। खरपतवार को हटाने और उनकी वृद्धि को नियंत्रण करने की विधियां निम्नलिखित हैं

(I) जुताई– मिट्टी को पलटना और पोला करना जुताई कहलाता है। जुताई हल से की जाती है। इससे खरपतवार उखड़ जाती और मिट्टी में मिल जाती है।
(I) उखाड़ना-इस विधि में खरपतवार को भौतिक रूप से हाथों द्वारा उखाड़कर अथवा मिट्टी के समीप से काटकर अलग किया जाता है। इसके लिए खुरपा या हैरो उपयोग में लाए जाते हैं।
(Iii) रासायनिक विधि-इस विधि में कुछ रासायनिक पदार्थ, जिन्हें खरपतवार-नाशक कहते हैं, उपज पर छिड़के जाते हैं। उदाहरण-2-4 D.

प्रश्न 10. निम्न बॉक्स को सही क्रम से इस प्रकार लगाइए कि गन्ने की फसल उगाने का रेखाचित्र तैयार हो जाए।

प्रश्न 11. नीचे दिए गए संकेतों की सहायता से पहेली को पूरा कीजिए
ऊपर से नीचे की ओर

सिंचाई का एक पारंपरिक तरीका।
बड़े पैमाने पर पालतू पशुओं की उचित देखभाल करना।
फसल जिन्हें वर्षा ऋतु में बोया जाता है।
फसल पक जाने के बाद काटना।
बाईं से दाईं ओर

शीत ऋतु में उगाई जाने वाली फसलें
एक ही किस्म के पौधे जो बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं।
रासायनिक पदार्थ जो पौधों को पोषक प्रदान करते हैं।
खरपतवार हटाने की प्रक्रिया।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. मुख्य कृषि पद्धतियों का वर्णन करें।
उत्तर- मुख्य कृषि पद्धतियाँ

(I) हल चलाना- इससे मिट्टी पोली और पतली हो जाती है। यह लकड़ी या लोहे के बने होते हैं। हल चलाने के बाद मिट्टी समतल की जाती है ताकि हवा और पानी से मिट्टी उड़ न सके।

(Ii) बुआई- मिट्टी की तैयारी के बाद खेतों में बीज हाथों अथवा सीड-ड्रिल द्वारा डाला जाता है। इसे बुआई कहते हैं।

(Iii) सिंचाई- फसली पौधे मिट्टी में से जड़ों द्वारा जल ग्रहण करते हैं। पौधे की वृद्धि के लिए पानी आवश्यक है। सिंचाई के विभिन्न ढंगों जैसे-पानी चक्की, छिड़काव, ट्यूवबैल, दोलित टोकरियों आदि का उपयोग किया जाता है।

(Iv) खाद डालना– प्रत्येक फसल मिट्टी में से काफ़ी मात्रा में पोषक अवशोषित करती है। इन पोषकों की पूर्ति के लिए खाद डालना आवश्यक है।

(V) निराई- खेतों में फसल के साथ कई अन्य पौधे भी उग जाते हैं। यह फसल के साथ जल, प्रकाश और पोषक की स्पर्धा रखते हैं। अतः इनका खेतों में से हटाना अति आवश्यक है। इस क्रिया को निराई कहते हैं।

(Vi) फसल की सुरक्षा- कीट, कवक, बैक्टीरिया, चूहे आदि फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। कीटनाशी और खरपतवारनाशी का उपयोग करके इन्हें नष्ट किया जाता है।

(Vi) कटाई और भंडारण- जब फसल तैयार हो जाती है तो उचित समय पर इसे काटा जाता है। फसलों की कटाई हाथों से, दराँती से अथवा हारवेस्टर से की जाती है। अनाज को भूसे से अलग किया जाता है और अनाज का भंडारण बड़े-बड़े भंडार ग्रहों में किया जाता है। अनाज में नमी की मात्रा 14% से अधिक नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 2. फसल की उपज बढ़ाने के लिए कौन-सी पद्धतियाँ इस्तेमाल में लाई जाती हैं ?
उत्तर- फसल की उपज बढ़ाने की पद्धतियाँ हैं

(I) मिट्टी में उर्वरकों का मिलाना
(Ii) चयनित बीजों का उपयोग
(Iii) खरपतवार नियंत्रण
(Iv) पौधों के रोगों का नियंत्रण

(I) उर्वरक (Fertilizers)- यह रासायनिक पदार्थ, खेतों में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए डाले जाते हैं। यह पोषक तत्वों की आपूर्ति करके फसल की उपज बढ़ाने में सहायक होते हैं।
(Ii) चयनित बीजों का उपयोग (Selective Breeding)- रोग निरोधक बीजों का निर्माण किया जाता है। उच्च किस्म के बीजों के नियमित उपयोग से फसल में वृद्धि होती है।
(Iii) खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)– खरपतवार-नाशकों के उपयोग से खरपतवार को नष्ट किया जाता है।
(Iv) पौधों के रोगों का नियंत्रण (Control Of Plant Diseases)- फसल को कीटों, कवक, जंतुओं और रोगों से बचाना चाहिए। फसल की उपज के लिए यह अति आवश्यक प्रक्रम है। कीटों को नष्ट करने के लिए कीटनाशी का उपयोग करना चाहिए।

प्रश्न 3. उर्वरक क्या है ? मिश्रित उर्वरक क्या है ? किसान खेतों में उर्वरक क्यों डालते हैं ? हमें उर्वरक कैसे भंडारित करने चाहिएं ?
उत्तर- उर्वरक-खेत अथवा मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कायम रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन, उर्वरक कहलाते हैं।

मिश्रित उर्वरक- उर्वरक जो एक साथ कई पोषक तत्वों की आपूर्ति करें, मिश्रित उर्वरक कहलाते हैं ; जैसे-(I) NPK में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाशियम है।
(Ii) CAN- कैल्शियम, अमोनियम नाइट्रेट का मिश्रित उर्वरक है।
उर्वरकों की महत्ता- खेतों में खनिज तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाशियम की आपूर्ति के लिए रासायनिक उर्वरक और मिश्रित उर्वरक डाले जाते हैं। मिट्टी में तत्त्वों की कमी लगातार उपज उगाने से होती है। इसलिए किसान खेतों में उर्वरक डालते हैं।
उर्वरकों का भंडारण- कई उर्वरक नमी प्रिय होते हैं अर्थात् यह जल शोषित करते हैं। यदि उर्वरकों को नमी युक्त स्थानों पर भंडारित किया जाए तो यह खेतों में डालने योग्य नहीं रहते। कुछ उर्वरक थैलों को नष्ट कर देते हैं जिनमें वे रखे जाते हैं। इनका भंडारण शुष्क स्थानों पर होना चाहिए।

प्रश्न 4. जुताई (Ploughing) के लिए कौन-कौन से औजार उपयुक्त होते हैं, वर्णन करो।
उत्तर-  जुताई (Ploughing) के लिए उपयोग में आने वाले औज़ार–हल, कुदाली (Hoe), कल्टीवेटर (Cultivator)।

(I) हल- इसका उपयोग मिट्टी के पलटने, उर्वरक डालने, खरपतवार हटाने, मिट्टी को छांटने आदि के लिए किया जाता है। यह लकड़ी से बना होता है और बैलों के एक जोड़े से खींचा जाता है।

इसमें लोहे की मजबूत तिकोनी पत्ती होती है, जिसे फाल कहते हैं। हल का मुख्य भाग लंबी लकड़ी का बना होता है जिसे हल शैफ्ट कहते हैं। इसके एक सिरे पर हैंडल होता है तथा दूसरा सिरा जोत के डंडे से जुड़ा होता है जिसे बैलों की गरदन के ऊपर रखा जाता है। एक जोड़ी बैल एवं एक आदमी इसे सरलता से चला सकता है।

(Ii) कुदाली (Hoe)—यह एक सरल औजार है जिसका उपयोग खरपतवार निकालने और मिट्टी को पोला करने के लिए किया जाता है। इसमें लकड़ी अथवा लोहे की छड़ होती है जिसके सिरे पर लोहे की चौड़ी और मुड़ी प्लेट लगी होती है जो ब्लेड का कार्य करती है। इसका दूसरा सिरा पशुओं द्वारा खींचा जाता है।

(Iii) कल्टीवेटर (Cultivator)- आजकल जुताई ट्रैक्टरों द्वारा संचालित कल्टीवेटर से की जाती है। इनके उपयोग से श्रम और समय दोनों की बचत होती है।

Post a Comment