कविता का सारांश
शीर्षक ‘तितली और कली’ नामक कविता की कवयित्री 'शोभा देवी मिश्र' हैं। इस कविता में कवयित्री बताती हैं कि एक पौधे की हरी डाल पर एक नन्ही सुंदर-सी कली लगी हुई थी। एक तितली उस कली के पास आकर बोली कि-तुम बड़ी अच्छी लग रही हो। अब तुम जागो, अपनी आँखें खोलो और हमारे संग खेलो।
अपनी सुगंध को गली-गली में फैलाओ। खेलने की बात सुनकर कली छिटककर खिल उठी। और हवा के झोंकों के साथ इधर-उधर हिलने लगी तो कली को हिलता देख कर तितली उसे छूने के लिए चल पड़ी।
काव्यांशों की व्याख्या
1. हरी डाल पर लगी हुई थी,
नन्ही सुंदर एक कली।
तितली उससे आकर बोली,
तुम लगती हो बड़ी भली।
अब जागो तुम आँखें खोलो,
और हमारे सँग खेलो।
फैले सुंदर महक तुम्हारी,
महके सारी गली गली।
शब्दार्थ:
डाल-पेड़-पौधों की शाखा।
नन्ही-छोटी।
भली-अच्छी।
महक-सुगंध
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम’ भाग-2 की कविता ‘तितली और कली’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवयित्री शोभा देवी मिश्र ने एक तितली तथा एक कली के बीच संवाद का दर्शाया हैै।
व्याख्या – एक पौधे की हरी डाल पर एक छोटी-सी सुंदर कली उगी हुई थी। एक तितली उसके पास आकर बोली कि वह बहुत ही अच्छी लग रही है अब तुम जागो, अपनी आँखें खोलो और अपनी सुगंध को गली-गली में पहुँचाओ।
2. कली छिटककर खिली रँगीली
तुरंत खेल की सुनकर बात।
साथ हवा के लगी भागने,
तितली छूने उसे चली।
शब्दार्थ:
छिटकना – खिलकर, मुँह खोलकर,
रँगीली-सुंदर रंगों से भरी।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम’ भाग-2 की कविता ‘तितली और कली’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसमें कवयित्री शोभा देवी मिश्र ने एक तितली तथा एक कली के बीच संवाद का दर्शाया हैै।
व्याख्या – खेलने की बात सुनकर कली छिटककर खिल उठी। और हवा के झोंकों के साथ इधर-उधर हिलने लगी तो कली को हिलता देख कर तितली उसे छूने के लिए चल पड़ी।
प्रश्न-अभ्यास
कविता से।
प्रश्न 1 तितली कली के पास क्यों गई थी?
उत्तर:
तितली कली के पास उसकी सुंदरता का वर्णन कर उसके साथ खेलने गई थी।
प्रश्न 2 तितली और कली ने क्या खेल खेला?
उत्तर:
कली छिटककर खिलकर मस्ती के साथ हवा में इधर उधर हिलने लगी और तितली उसे छूने के लिए चल पड़ी।
उत्तर:
तितली द्वारा खेलने की बात सुनकर कली खुश हो गई।
अंदाज़ा लगाओ
प्रश्न 1 तितली कली के पास कब गई होगी?
उत्तर:
सुबह ✓
प्रश्न 2 तुमने समय का अंदाज़ा कैसे लगाया?
उत्तर:
तितली कली के पास जाकर उससे जागने तथा आँखें खोलने के लिए कहती है। इससे पता चलता है कि यह सुबह का समय रहा होगा।
दो-दो बार
अब नीचे लिखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए वाक्य बनाओः
घड़ी – घड़ी जगह – जगह
घर – घर डाल – डाल
उत्तर:
घड़ी – घड़ी – बेचैनी में वह घड़ी-घड़ी बाहर देख रहा था।
जगह – जगह – शहर में जगह-जगह दुुुकानेें खुल गई हैं।
घर – घर – आजकल घर घर में इंटरनेट है।
डाल – डाल – उस पेड़ की डाल-डाल फल से लदी है।
मिलते – जुलते शब्द
प्रश्न 1 कविता में से वे शब्द ढूँढ़ो जो सुनने में कली जैसे लगते हैं। जैसे-कली, भली।
(i) नीचे दिए गए शब्दों जैसे कुछ शब्द अपने मन से जोड़ो।
उत्तर:
बोलो तितली डाल
खोलो मितली थाल
खैलो टिकली जाल
महके सारी गली-गली
प्रश्न 1 महक तुम्हें अच्छी भी लग सकती है और बुरी भी।
उत्तर:
अच्छी लगने वाली महक को कहेंगे –> सुगंध
बुरी लगने वाली महक को कहेंगेे –> दुर्गंध
प्रश्न 2 ऐसी चीज़ों के नाम लिखो जिनकी महक तुम्हें पसंद है और जिनकी पंसद नहीं है।
उत्तर:
प्रश्न 9
तुम्हारे आस-पास ऐसे कौन-कौन-से फूल हैं जिनकी बहुत तेज़ महक है?
(i) फूलों के नाम अपनी भाषा में लिखो।
उत्तर:
गुलाब, हरसिंगार, गुलदाउदी, बेला, चमेली, इत्यादि।
(ii) तुम्हारे घर में किस-किस तरह की महक आती है? (जैसे-साबुन या तेल की महक गुसलखाने से)
उत्तर:
हमारे घर में बाहर के लॉन से सुगंधित फूलों की महक आती है।
तुम्हारी बात।
प्रश्न 10
खेलने के लिए कली तुरंत जाग गई थी? तुम किस काम के लिए तुरंत जाग जाओगी और किस काम के लिए जागना पसंद नहीं करोगी? क्यों?
उत्तर:
रंग-बिरंगी
प्रश्न 11
कविता में पौधे की डाल हरे रंग की बताई गई है। नीचे लिखी चीजें किन-किन रंगों की हो सकती हैं?
उत्तर:
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