कहानी का सारांश
किसी तालाब में एक कछुआ रहता था। तालाब के पास माँद में रहने वाली एक लोमड़ी से उसकी दोस्ती हो गई। एक दिन दोनों आपस में बातचीत कर रहे थे कि अचानक एक तेंदुआ वहाँ आएगी। दोनों वहाँ से जान बचाकर भागे। लोमड़ी तो सरपट दौड़ती हुई अपनी माँद में पहुँच गई, किंतु धीमी चाल के कारण कछुआ तालाब तक नहीं पहुँच पाया। तेंदुए ने छलाँग लगाकर कछुए को पकड़ लिया। तेंदुए ने अपने दाँतों तथा नाखूनों से उसे खाना चाहा, किंतु सफल नहीं हो पाया क्योंकि कछुए की खोल बहुत मोटी थी। उसके सख्त खोल पर खरोंच तक नहीं आई। लोमड़ी अपनी माँद से यह सब देख रही थी। उसने कछुए को बचाने की एक तरकीब सोची। उसने तेंदुए से कहा-तेंदुआ जी, कछुए की खोल को तोड़ने का सबसे आसान तरीका यह है कि इसे पानी में फेंक दो। पानी में इसका खोल नरम हो जाएगा। चाहे तो आजमाकर देख लो! तेंदुए ने लोमड़ी की बात मानकर कछुए को पानी में फेंक दिया। इस प्रकार, कछुआ पुनः पानी में पहुँच गया और उसकी जान बच गई।
शब्दार्थ :
माँद-खोह, पशुओं के रहने का स्थान।
सरपट-तेज़ गति की चाल या दौड़।
छलाँग लगाकर-उछलकर।
खाल-शरीर का ऊपरी चमड़ा।
-उपाय, तरीका, ढंग।
प्रश्न – अभ्यास
कहानी से
प्रश्न 1 –> लोमड़ी ने कछुए को बचाने का क्या उपाय सोचा?
उत्तर: –> लोमड़ी ने कछुए को बचाने लिए तेंदुए से कहा कि वह कछुए को पानी में फेंक दे ताकि उसका खोल नरम हो जाए।
प्रश्न 2 –> तेंदुए ने क्या मूर्खता की?
उत्तर: –> तेंदुए ने यह मूर्खता की कि वह लोमड़ी की बातों में आ गया और उसने कछुए को पानी में फेंक दिया।
गपशप
प्रश्न1–> जब तेंदुआ आया तब कछुआ और लोमड़ी गपशप कर रहे थे। सोचो वे क्या बातें कर रहे होंगे? यह तुम अपने दोस्त के साथ मिलकर सोचो। सोची गई गपशप पर तुम नाटक भी कर सकते हो।
उत्तर:–>
विद्यार्थी स्वयं करें।
कछुआ चाल
कछुआ बहुत धीरे-धीरे चलता है। इसलिए जो बहुत धीरे चलता है उसके लिए हम कहते हैं
प्रश्न 1 –> अब बताओ इनके लिए क्या कहेंगे
(i) जो तेज़ भागता हो।
उत्तर: –> वह खरगोश की तरह भागता है।
(ii) जो बहुत अच्छा तैराक हो।
उत्तर:–> वह मछली की तरह तैरता है।
तुम्हारी समझ से
जब तेंदुए ने कछुए को पकड़ा तब
प्रश्न 1–> वह क्या सोच रहा होगा?
उत्तर:–> उस समय कछुआ किसी भी तरह से अपनी जान बचाने के बारे में सोच रहा होगा।
प्रश्न 2 –> उसने उस समय किसे याद किया होगा?
उत्तर:–> उसने उस समय अपनी जान बचाने के लिए ईश्वर को याद किया होगा।
खोल जैसा सख्त?
प्रश्न 1–> बताओ कछुए के खोल जैसी सख्त चीजें और क्या हो सकती हैं?
उत्तर:–> कछुए के खोल जैसी अन्य सख्त चीजे हैं- शंख, घोंघा, सीपी, बाांस, नारियल, इत्यादि।
प्रश्न 2–> लोमड़ी ने तेंदुए को कछुए का खोल तोड़ने का आसान तरीका बताया था। क्या तुम नारियल को तोड़ने का तरीका सुझा सकते हो?
उत्तर:–> सबसे पहले नारियल के ऊपर के रेशे को निकालने के लिए उसे छीलना चाहिए।
चलने के बाद उसमें छेद करके उसके पानी को निकाल लेना चाहिए।
अंत में नारियल को पत्थर या फ़र्श पर हल्के से पटककर तोड़ देना चाहिए।
एक से अनेक
प्रश्न 1–> अब नीचे दिए शब्दों को बदलकर लिखो :
उत्तर:–>
एक कपड़ा तीन कपड़े
एक रुपया पंद्रह रुपए
एक खंभा चार खंबे
एक पौधा आठ पौधे
एक पतीला दो पतीले
एक संतरा दस संतरे
किसकी चाल
बताओ, ऐसे कौन-कौन चलता है?
उत्तर – >
फुदक-फुदक कर – > कोयल, मैना, चिड़िया
चौकड़ी भरकर – > हिरण, खरगोश, कछुआ
छलाँग लगाकर – > कंगारू, चीता, कुत्ता
रेंग-रेंग कर– > केंचुआ, साहब, जोंक
मुलायम नरम
लोमड़ी ने तेंदुए को बताया था कि पानी में फेंकने से कछुए का खोल मुलायम हो जाएगा।
नीचे लिखी चीज़ों में से कौन-कौन सी चीज़ें पानी में फेंकने से मुलायम हो जाएँगी? सही जगह पर लिखो।
उत्तर – >मुलायम हो जाएँगीं मुलायम नहीं होंगीं
कागज लकड़ी
रोटी गिलास
बिस्किट प्लेट
रूई पत्ता
पापड़ मोम
उत्तर :
चतुर लोमड़ी
एक मगरमच्छ था। वह लोमड़ी को खाना चाहता था। पर लोमड़ी थी बहुत चालाक। वह मगरमच्छ की पकड़ी में ही नहीं आती थी। मगरमच्छ ने एक बार कछुए से मदद माँगी। कछुए ने कहा-लोमड़ी हमेशा नदी पर पानी पीने आती है। क्यों न तुम उसे वहीं पकड़ी लो ! मगरमच्छ उस दिन नदी पर लोमड़ी का इंतज़ार करता रहा। पूरी रात काट दी। फिर पता चला कि....
लोमड़ी मगरमच्छ के इरादो को पहले से ही भाँप गई थी। अतः वह नदी की दूसरी ओर पानी पीकर चली गई। मगरमच्छ हाथ मलता रह गया। एक दिन लोमड़ी को किसी कारण से नदी के पार जाना पड़ा। उसने पर जाने के लिए मगरमच्छ की सहायता मांगी।
मगरमच्छ इसी अवसर की ताक में था। उसने उसे अपनी पीठ पर बिठा लिया और बीच नदी में जाकर, उसने जैसे ही लोमड़ी को खाना चाहा, तो लोमड़ी बोली, “तुम मुझे खाना चाहते हो परन्तु मुझे खाओगे, तो तुम्हें बड़ी परेशानी होगी। मेरी पूँछ देखो बड़ी शरारती है। वह मुझे खाते समय तुम्हारे गले में फंस जाएगी और तुम मर जाओगे।” उसने अपनी पूंछ को हिलाते हुए कहा।
मगरमच्छ हिलती हुई पूछ को देखकर बहुत हेरान हुआ और बोला, “अब तुम ही बताओ में क्या करूँ।”
लोमड़ी बोली, “तुम मुझे पार उतार दो । मैं वापसी में अपनी पूँछ कटवाकर तुम्हारे पास आती हूँ। तब तुम मुझे खा लेना।” मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और उसने लोमड़ी को नदी के पार छोड़ दिया।
बस फिर क्या था लोमड़ी झट से किनारे से दूर भाग गई और मगरमच्छ बोली- “मूर्ख मगरमच्छ अपना दिमाग तो लगाता । यदि मेरी पूँछ कट जाएगी, तो मैं तो वैसे ही शर्म से मर जाऊँगी।”
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